नई दिल्ली: लोकसभा में तीन क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा हुई और इस चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों के कानूनों में बदलाव करने जा रही है। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पहली बार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है। इसके साथ ही राजद्रोह को देशद्रोह में बदला जा रहा है। अमित शाह ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रंता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं। शाह ने कहा कि इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं। जो बदलाव किए गए हैं उससे अब क्या फर्क पड़ेगा।
- -CRPC में किसी शिकायत पर एक्शन का कोई समय निर्धारित नहीं था। आप कोई शिकायत देते थे, तो पुलिस उस पर 10 साल बाद भी कार्रवाई कर सकती थी। लेकिन अब तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी।
- -आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है।
- -मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है।
- – पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा।
- -झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा।
- -गैंगरेप के मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा
- – छोटे-मोटे अपराधिक मामलों में समरी ट्रायल में तेजी लाई जाएगी। 3 साल तक की सजा वाले मामलों में मजिस्ट्रेट कर सकते हैं समरी ट्रायल
- -सात साल या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में फोरेंसिक अनिवार्य होगा।
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- 10 साल या उससे अधिक, आजीवन एवं मृत्युदंड के दोषी प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किए जा सकेंगे।
- -घोषित अपराधियों की भारत से बाहर की सम्पत्ति को जब्त करने का नया प्रावधान होगा।
गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में यह भी कहा कि नये कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है। शाह ने कहा कि लंबे समय बाद देश की जनता ने एक ऐसी सरकार चुनी है जिसने अपने घोषणापत्र में किए वादों को अक्षरश: लागू किया है।
- – यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही करेगी।