नई दिल्ली. पति-पत्नी के कई मामले कोर्ट रूम में आते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला दिल्ली हाईकोर्ट में एक व्यक्ति लेकर पहुंचा. उसने पत्नी पर जो-जो आरोप लगाएं वो हैरान करने वाले हैं. एक व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है कि वह अपनी पत्नी का लिंग परीक्षण केंद्र सरकार के अस्पताल में करवाएं.
उस व्यक्ति ने दावा किया है कि उसकी पत्नी एक ‘ट्रांसजेंडर’ है. उसने दावा किया कि उसकी पत्नी ने शादी से पहले यह तथ्य छिपाया कि वह ट्रांसजेंडर है. शख्स ने कोर्ट में दलील दी कि इस तथ्य को छिपाने से उसे मानसिक आघात पहुंचा है, उनकी शादी को सफल होने से रोका गया है. इतना ही नहीं उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ कई झूठी कानूनी कार्यवाही भी की हैं.
क्या है पति की मांग?
शख्स के वकील अभिषेक कुमार चौधरी ने याचिका में कहा है कि किसी व्यक्ति का लिंग या लिंग पहचान एक निजी मामला है. हालांकि, विवाह के संदर्भ में दोनों पक्षों के अधिकार आपस में जुड़े हुए हैं. एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन सुनिश्चित करने के लिए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत दोनों व्यक्तियों के जीवन के मौलिक अधिकारों को संतुलित और सम्मान करना महत्वपूर्ण है.
पत्नी ने दर्ज करवाए कई केस
याचिका में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता को महिलाओं के लिए बनाई गई कानूनी कार्यवाही के अधीन होने से पहले निष्पक्ष जांच और तथ्यों के निर्धारण का मौलिक अधिकार है. याचिका में इस बात पर जोर देकर कहा गया है कि यदि पत्नी इन कानूनों के अर्थ और दायरे में ‘महिला’ की श्रेणी में नहीं आती है तो याचिकाकर्ता को भरण-पोषण देने या घरेलू हिंसा और दहेज कानूनों के तहत आरोपों का सामना करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.