Chandrashekhar Azad in Lok Sabha: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद 2024 के लोकसभा चुनावों में नगीना लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं। चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि वह सदन में एक स्वतंत्र आवाज बने रहेंगे और सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ नहीं जाएंगे। चंद्रशेखर ने इस दौरान कांग्रेस-सपा के PDA गठबंधन पर भी हमला बोला और कहा है कि वह चाहते हैं कि उनके आधीन होकर रहे, जबकि वह ऐसा नहीं होने देंगे।
दरअसल, सांसद चंद्रशेखर ने शुक्रवार को इंडियन एक्सप्रेस आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में कहा किहम भेड़ नहीं हैं जो किसी के भी पीछे-पीछे चलेंगे। हम अपने लाखों लोगों की उम्मीद हैं और इसलिए स्वतंत्र खड़े रहेंगे। चंद्रशेखर ने अपने पहली बार संसद में जाने को लेकर किस्सा शेयर किया और यह भी बताया है कि कैसे उन्हें सपा-कांग्रेस किसी ने जरूरत न पड़ने तक तवज्जो नहीं दी।
सपा-कांग्रेस ने नहीं दी संसद में तवज्जो
चंद्रशेखर ने कहा कि जब मैं पहली बार संसद गया तो मैं खाली बेंच पर अकेला बैठा था। मैं नया था, मुझे नहीं पता था। मुझे लगा कि विपक्ष में मेरे दोस्त मुझे अपने साथ बैठने के लिए कहेंगे। मुझे लगा कि वे कहेंगे कि हम दोनों भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं और हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए। लेकिन तीन दिन वहां बैठने के बाद मुझे एहसास हुआ कि किसी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चंद्रशेखर वहां कहां बैठे हैं।
स्पीकर चुनाव में किया था कांग्रेस ने संपर्क
स्पीकर के चुनाव में कांग्रेस द्वारा मांगी गई मदद का जिक्र करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि जब स्पीकर का चुनाव आया तो कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें फोन करके कहा कि उन्हें उनकी मदद करनी चाहिए। चंद्रशेखर ने कहा कि मैंने उन्हें सहमति जताई लेकिन उन्होंने डिवीजन का प्रस्ताव ही नहीं रखा। जब ऐसा नहीं हुआ तो मामला वहीं खत्म हो गया। नेता अपने रास्ते चले गए और मैं अपने रास्ते चला आया।
‘किसी के पीछे नही चलेंगे’
स्पीकर चुनाव के विपक्ष के रुख को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि मैंने तय किया कि मैं न तो दक्षिणपंथी रहूंगा और न ही वामपंथी। मैं बहुजन हूं और अपने एजेंडे के साथ अकेला खड़ा रहूंगा। यही वजह है कि मैंने विपक्ष के साथ वॉकआउट नहीं किया। हम भेड़ नहीं हैं जो किसी के पीछे चलें। हम अपने लाखों लोगों की उम्मीद हैं। हम छोटे राजनीतिक कार्यकर्ता हो सकते हैं लेकिन हम अपने समाज के नेता हैं। अगर हम दूसरों का अनुसरण करते रहेंगे तो इससे हमारे लोगों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।
नगीना सीट के लिए नहीं बन पाई थी बात
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि वह राज्य में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन चाहते थे, लेकिन दोनों में से कोई भी उन्हें नगीना देने के लिए तैयार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वे (सपा-कांग्रेस) वंचितों के बीच एक स्वतंत्र आवाज़ नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि जो भी आगे आए वह उनके साथ या उनके अधीन खड़ा हो, जिससे वे उसका इस्तेमाल कर सकें और उसे आगे बढ़ने न दें। उन्होंने मुझसे किसी दूसरी सीट से या उनके चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए कहा था। मैंने उनसे कहा कि मैं न तो अपना निर्वाचन क्षेत्र छोड़ूंगा और न ही किसी और के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ूंगा।
‘खुद को साबित करने के लिए लड़ा चुनाव’
चंद्रशेखर आजाद ने सपा-कांग्रेस के रवैये को लेकर कहा कि मैंने उसके बाद ही यह सोच लिया था कि मुझे पूरी ताकत से चुनाव लड़कर जीत हासिल करनी होगी। नगीना सांसद ने कहा कि मैं जानता था कि भले ही मुझे खूब वोट मिलें लेकिन अगर मैं हार गया तो यह साबित किया जाएगा कि मैं चुनाव लड़ने के लायक नहीं हूं। टाइम पत्रिका ने मुझे भारत के 100 उभरते नेताओं में शामिल किया था, इसलिए मुझे खुद को साबित करना था।
बाबा साहब अंबेडकर और कांशीराम का जिक्र करते हुए चंद्रशेखर आजा ने कहा कि उनके एक अच्छे छात्र के रूप में चंद्रशेखर आज़ाद और उनके साथियों की जिम्मेदारी है कि वे अपना काम पूरा करें, और यह काम तब पूरा होगा जब संविधान पूरी तरह लागू होगा और सामाजिक और आर्थिक असमानता खत्म होगी।
बीजेपी RSS पर भी बोला हमला
आज़ाद ने कहा कि 2014 से ही दलितों को यह डर था कि संविधान बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी कार्यकर्ताओं और उसके थिंक टैंक आरएसएस की लॉन्ग टर्म योजना रही है। वे आज कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन वे कभी भी संविधान के समर्थन में नहीं थे। इसकी शुरुआत 2014 से हुई और 2024 इसका चरम है। इसलिए, अगर बीजेपी अयोध्या हार जाती है और प्रधानमंत्री इतने कम अंतर से जीतते हैं, तो यह दर्शाता है कि सांप्रदायिक राजनीति के आधार पर यूपी में चुनाव जीतना अब आसान नहीं है।