विपक्षी इंडिया गठबंधन ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा में स्पीकर का पद एनडीए के सहयोगियों को दिया जाना चाहिए। हालांकि इस मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी कई अलग-अलग राय हैं। जेडीयू ने साफ शब्दों में कहा है कि वह भाजपा के फैसले का समर्थन करेगी। वहीं टीडीपी का कहना है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों को सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय करना चाहिए।
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने शनिवार को कहा कि जेडीयू और टीडीपी एनडीए के सहयोगी हैं और वे भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिए गए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। केसी त्यागी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “जेडीयू और टीडीपी एनडीए में मजबूती से शामिल हैं। हम भाजपा द्वारा अध्यक्ष पद के लिए सुझाए गए व्यक्ति का समर्थन करेंगे।”
दूसरी ओर, टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोम्मारेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उम्मीदवार का फैसला एनडीए के सहयोगियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “एनडीए के सहयोगी दल साथ बैठकर तय करेंगे कि अध्यक्ष पद के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा। आम सहमति बनने के बाद हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी उसका समर्थन करेंगे।”
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत के आंकड़े से 32 कम 240 सीटें मिली। 16 और 12 लोकसभा सीटों के साथ एन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार किंगमेकर बनकर उभरे।
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इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी आप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि यह पद जेडीयू या टीडीपी में से किसी एक को दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने दावा किया कि अगर भाजपा को अध्यक्ष का पद मिलता है तो वह जेडीयू और टीडीपी सांसदों की खरीद-फरोख्त शुरू कर देगी। गहलोत ने कहा था, “केवल टीडीपी और जेडीयू ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोग लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को उत्सुकता से देख रहे हैं। अगर भाजपा का भविष्य में कुछ भी अलोकतांत्रिक करने का इरादा नहीं है, तो उसे अध्यक्ष का पद अपने किसी सहयोगी को दे देना चाहिए। अगर भाजपा लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखती है तो टीडीपी और जेडीयू को अपने सांसदों की खरीद-फरोख्त देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 26 जून को होगा।