मायावती का मुस्लिमों को सख्त संदेश: कहा-आगे सोच समझकर चुनाव में मिलेगा मौका, लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पर भी उठाए सवाल
मतगणना के दूसरे दिन बुधवार सुबह 5 जून को प्रेस नोट जारी कर मायावती ने कहा, चुनावों को इतना लंबा नहीं खींचना चाहिए था। तकरीबन ढाई माह चली चुनावी प्रक्रिया से न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों, बल्कि आमजन और मजदूर मेहनतकमश लोगों का उत्साह फीका पड़ा है। जनादेश को स्वीकारते हुए उन्होंने चुनाव परिणामों का विश्लेषण कर बहुजनहित में ठोस कदम उठाए जाने की बात कही है।
मायावती ने पार्टी के कैडर व मतदाताओं के प्रति आभार जताते हुए कहा, हमारी पार्टी ने मुस्लिम समाज को हमेशा ही उचित प्रतिनिधित्व दिया है। इस बार भरपूर टिकट दिए, लेकिन बसपा को वह ठीक से समझ नहीं पा रहे। इसलिए आगे से काफी सोच विचार करके ही चुनाव में मौका दिया जाएगा। ताकि, भविष्य में पार्टी को इस बार की तरह भयंकर नुकसान न हो।
मायावती ने बताया, 18वीं लोकसभा के लिए ढाई माह चली चुनावी प्रक्रिया मंगलवार शाम मतगणना और परिणामों की घोषणा के साथ समाप्त हो गई, लेकिन भीषण गर्मी के चलते लोगों को काफी परेशानी हुई है। चुनाव ड्यूटी के दौरान कई लोगों की जान चली गई। शासकीय कर्मचारियों के अलावा गरीब तबकों व मेहनतकश लोगों के उत्साह में काफी कमी आई, जिस कारण वोट प्रतिशत प्रभावित हुआ है।
Read More :- किसने बनाई ये तस्वीर; क्या है All Eye on Rafah की पूरी कहानी, जो हो रही वायरल…
रूलिंग पार्टी को देशहित में सोचना होगा
मायावती ने कहा, चुनाव आयोग से हमारी पार्टी पहले भी इतनी लंबी चुनाव प्रक्रिया पर विरोध जताया था। चुनाव में मंहगाई, गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त लोगों में चर्चा थी कि चुनाव फ्री एण्ड फेयर हुए और ईवीएम में गड़बड़ी न हुई तो परिणाम रूलिंग पार्टी के विपरीत व चौंकाने वाले होंगे। लोकसभा चुनाव के नतीजे आए सबके सामने हैं। अब सत्ता पर काबिज लोगों को देश के लोकतंत्र, संविधान व देशहित में सोचना और फैसला करना होगा कि इस चुनाव परिणाम का भविष्य में उनके जीवन पर क्या फर्क पड़ने वाला है। उनका भविष्य कितना शान्त, समृद्ध और सुरक्षित रह पाएगा?
समाज के स्वाभिमान का आंदोलन है बसपा
मायावती ने बताया कि इस चुनाव में देशभर की निगाहें यूपी पर टिकी हुई थीं। यहां के परिणाम भी सबके सामने हैं। हमारी पार्टी इन्हें गंभीरता से लेकर हर स्तर पर गहराई से विश्लेषण करेगी और पार्टीहित में जो ज़रूरी होगा ठोस कदम उठाएगी। बसपा राजनीतिक पार्टी के साथ लोगों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का आंदोलन है। हमारी प्रतिक्रिया भी लोकतंत्र व संविधान की मजबूती को समर्पित होगी। ताकि, देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यकों के हित, कल्याण, उनकी सुरक्षा व सम्मान पर मंडराता ख़तरा दूर हो।
संघर्ष और त्याग-बलिदान का आंकलन ज़रूरी
मायावती ने कहा, बाबा साहब ने कहा था कि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर तरक्की के बंद दरवाज़े खोले जा सकते हैं। इसे लिए अपने संघर्ष, त्याग और बलिदान का आंकलन करते रहना बहुत ज़रूरी है, तभी भविष्य संवरेगा व सुधरेगा भी। मेरा भी यही कहना है कि बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलकर लगन, निष्ठा व ईमानदारी से मेहनत करना ही मिशनरी धर्म है। हमारी इसी सोच व शक्ति ने शोषित व उपेक्षि लोगों को आत्म-सम्मान के लिए संघर्ष करते रहना सिखाया है। सरकार बनने पर ‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक तरक्की’ के तहत उनके जीवन में काफी हद बदलाव भी लाने का प्रयास किया है।