Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दिग्गज नेता शरद पवार को ‘फेक न्यूज़ का डायरेक्टर’ कहा है। फडणवीस ने यह बात विपक्ष के उन आरोपों के संदर्भ में कही है जिनमें राज्य का निवेश गुजरात की तरफ चले जाने के आरोप लगाए गए। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र ने देश में हुए कुल निवेशों का 52 फीसदी हिस्सा हासिल किया है। उन्होंने निवेश में गुजरात को लेकर पक्षपात किए जाने की बात भी नकारी है। इन सबके बीच फडणवीस ने शरद पवार को ‘फेक न्यूज़ का डायरेक्टर’ कहकर एक पुराने ‘जख्म’ को फिर से हरा करने की कोशिश भी की है।
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बम धमाकों से जुड़ा है यह जख्म
महाराष्ट्र की राजनीति में ‘साहेब’ के नाम से मशहूर शरद पवार का यह ‘जख्म’ 1993 बॉम्बे ब्लास्ट धमाकों से जुड़ा हुआ है और इसे लेकर विपक्षी उन पर निशाना साधते रहे हैं। 1993 में 12 मार्च को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक के बाद एक 12 बम धमाकों से दहल गई थी। इसे मुंबई पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है। इस हमले में 257 मासूम लोगों की मौत हुई थी और 1400 से ज्यादा घायल हुए थे।
मुंबई बम ब्लास्ट के समय शरद पवार थे मुख्यमंत्री
जिस समय मुंबई में बम ब्लास्ट हुए थे, उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। इन हमलों के बाद शरद पवार ने कहा था कि धमाके 12 नहीं बल्कि 13 जगह हुए थे। यह बात उन्होंने टीवी पर आकर कही थी। पवार के इस बयान की वजह से कई वर्षों तक यह कन्फ्यूजन बना रहा कि आखिर धमाके 12 जगह हुए थे या 13 जगह। दरअसल जिन 12 जगहों पर बम धमाके हुए थे वो सभी हिंदू बहुल थे। शरद पवार ने इसमें एक मुस्लिम बहुल इलाके को भी शामिल करवाया।
बाद में खुद स्वीकार किया था अपना झूठ
शरद पवार ने बाद में खुद स्वीकार किया था कि केवल 12 जगहों पर ही धमाके हुए थे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई थी। हालांकि इसके पीछे शरद पवार का तर्क था कि अगर वो एक मुस्लिम इलाका नहीं जोड़ते तो दंगे होने का खतरा था। धमाकों से पहले मुंबई में भीषण दंगे हुए थे और इसी के बाद शरद पवार को केंद्र से राज्य में मुख्यमंत्री बनाकर भेजा गया था। पवार का तर्क रहा है कि अगर वो एक झूठ नहीं बोलते तो मुंबई में कत्ल-ए-आम का दूसरा दौर शुरू हो जाता। हालांकि विपक्षियों ने शरद पवार के इस तर्क को नहीं माना। इसके कारण भी हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने बताया था डी कंपनी का हाथ
बम धमाकों के बीद सुरक्षा एजेंसियों ने साफ कर दिया था कि इसके पीछ दाऊद इब्राहिम यानी डी कंपनी का हाथ है। लेकिन शरद पवार इसके बावजूद लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करते रहे कि इसके पीछे श्रीलंकाई आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) का हाथ है। दरअसल पवार चाहते थे कि लोगों के दिमाग में यह बात न जाने पाए कि भीषण आतंकी धमाकों के पीछे किसी मुस्लिम संगठन का हाथ है।
अपने झूठ का बचाव करते रहे हैं पवार
इतने वर्षों में विपक्षी नेताओं द्वारा लगातार निशाना बनाए जाने के बावजूद शरद पवार अपने ‘झूठ’ का बचाव करते रहे हैं। 2022 में महाराष्ट्र के जलगांव में पवार ने अपने वक्तव्य का बचाव करते हुए कहा था-‘100 फीसदी सही बात है। मैंने ऐसा किया था। उस वक्त जिन जगहों पर धमाके हुए थे वो हिंदू समुदाय के लिए अहम जगहें थीं। इनमें सिद्धिविनायक मंदिर भी शामिल था। मैंने धमाके में इस्तेमाल मैटेरियल को खुद चेक किया था और ये प्रोडक्ट भारत नहीं बल्कि कराची में ही बनते थे। इसका मतलब था कि पड़ोसी देश में बैठे लोग हिंदू-मुस्लिम में दंगे कराना चाहते थे और मुंबई को जलाना चाहते थे। इसीलिए मैंने मुहम्मद अली रोड के रूप में एक और जगह जुड़वाई। इसी वजह से बाद में सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए।’
पवार अपनी बात को सही साबित करने के लिए जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की जांच का भी जिक्र करते हैं। उन्होंने कहा था- ‘आयोग ने अपनी जांच में स्वीकार किया था कि अगर मैंने यह स्टैंड नहीं लिया होता तो मुंबई जल गई होती।’ हालांकि कई बार की सफाई के बावजूद पवार के सामने ये झूठ बार-बार आ ही जाता है। पवार को हर बार इसका जवाब देना पड़ता है। अब शायद एक बार फिर पवार चुनाव से पहले इसे लेकर सफाई देते दिख जाएं।