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September 3, 2025 10:03 pm

अमेरिका से इस युद्ध में मात खा गया चीन……’टैरिफ छोड़िए……

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अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपना आर्थिक शिकंजा और कस दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 104 फीसदी टैरिफ लगा दिया जो आज यानी 9 अप्रैल से लागू हो गया है. इसका सीधा मतलब है कि अमेरिका में बिकने वाला चीनी सामान दोगुने से भी ज्यादा कीमत पर मिलेगा. मगर ये टैरिफ बस एक परत भर है. असली चोट अमेरिका ने चीन के वैज्ञानिकों को दी है. जिससे चीन की रिसर्च कम्युनिटी को करारा झटका लगा है.

दरअसल अब तक चीन, हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ के वैज्ञानिक अमेरिका के SEER यानी ‘Surveillance, Epidemiology, and End Results’ नाम के कैंसर डेटा बेस तक पहुंच रखते थे. मगर बीते शुक्रवार से उन्हें इसमें लॉग इन करने की परमिशन नहीं मिल रही है. अब जब वे इस वेबसाइट पर लॉग इन करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें सिर्फ एक मैसेज दिखाई देता है- “इस समय एक्सेस बहाल नहीं की जा सकती.”

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क्या है ये अमेरिका का SEER?

SEER अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की ओर से चलाया जाता है और देश की 48 फीसदी आबादी से जुड़े कैंसर मामलों का डेटा इसमें मौजूद है. इस डेटा की मदद से दुनियाभर के रिसर्चर कैंसर से जुड़ी स्टडी करते हैं. इलाज के तरीके तलाशते हैं और सर्वाइल रेट का एनालिसिस करते है.

अब यह रास्ता चीन सहित उन देशों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है, जिन्हें अमेरिका ने “चिंता के देश” की लिस्ट में रखा है. इसमें रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया के साथ अब चीन भी शामिल हो गया है. यह कदम NIH यानी नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ द्वारा बीते हफ्ते जारी एक सिक्योरिटी अपडेट के तहत उठाया गया है.

इन डेटाबेस से भी चीन को बाहर किया

NIH के बाकी डेटा बेस जैसे Database of Genotypes and Phenotypes, The Cancer Genome Atlas और Genomic Data Commons पर भी इन रिसर्चरों की पहुंच रोक दी गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में मौजूद वैज्ञानिक डेटा बेस इस स्तर की जानकारी फिलहाल नहीं दे सकते. यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब अमेरिका में NIH के नए निदेशक के रूप में जय भट्टाचार्य ने 1 अप्रैल को पदभार संभाला है. उनके कार्यभार संभालते ही NIH में कई सौ कर्मचारियों को हटाया गया या इस्तीफा देने की सलाह दी गई. पांच डायरेक्टर्स और दो वरिष्ठ अधिकारियों को या तो छुट्टी पर भेज दिया गया या नए पद पर तैनात किया गया है.

पहले भी लग चुकी है रोक

वैसे यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस तरह की रोक लगाई हो. फरवरी 2024 में बाइडन प्रशासन ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर कुछ संवेदनशील डेटा को उन देशों के हाथ लगने से रोकने की बात कही थी, जिन्हें अमेरिका खतरे वाले देश मानता है. हालांकि अभी तक चीन से PubMed और ClinicalTrials.gov जैसे NIH के मुख्य प्लेटफॉर्म्स पर पहुंच बनी हुई है. अगर इन पर भी बैन लगाया गया तो यह लाखों चीनी डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों के लिए बड़ा झटका साबित होगा.

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