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July 17, 2025 12:24 pm

जानें मोसाद के रडार पर कौन-कौन…..’इजराइल का ‘सुप्रीम’ टारगेट खामनेई की खोज……

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ईरान-इजराइल सीजफायर को 3 हफ्ते होने वाले हैं. मिसाइलें और फाइटर जेट्स की बारूदी वर्षा थम चुकी है, लेकिन ईरान में मोसाद का ऑपरेशन अब भी जारी है. ईरान के टॉप अधिकारी मोसाद एजेंट्स के टारगेट पर हैं, जिसका सबूत तेहरान में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के बेहद करीबी अली ताएब की हत्या है. उनकी हत्या में मोसाद का हाथ होने का शक है. अली ताएब की हत्या ईरान में होने वाले कत्लेआम की शुरुआत मानी जा रही है. दावा है कि खामेनेई की मौत तक ये सिलसिला नहीं रुकेगा.

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कोई नहीं जानता ईरान में कहां, किस गोली पर ईरान के सुप्रीम लीडर का नाम लिखा है. कोई नही जानता कब कौन सा ड्रोन ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की हत्या की वजह बन जाए. इस डर और कयासों की वजह है मोसाद का ऑपरेशन जो ईरान में अब भी जारी है. ईरान-इजराइल युद्ध को समाप्त हुए करीब 20 दिन बीते चुके हैं, लेकिन ईरान में मोसाद के एजेंट्स अब भी एक्टिव हैं और घात लगाकर खामेनेई के करीबियों की हत्या कर रहे हैं.

मोसाद का सबसे लेटेस्ट टारगेट बने है. ईरान के सु्प्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के करीबी अली ताएब. ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि खामेनेई के बेहद करीबी अली ताएब की रहस्यमयी हालातों में मौत हो गई है.इनकी मौत के पीछे मोसाद का हाथ होने का शक है. अली ताएब ज्यादा चर्चा में नहीं रहते थे. खुफिया तौर पर खामेनेई के लिए काम करते थे. साराल्लाह हेडक्वार्टर में ख़ामेनेई के प्रतिनिधि रहे चुके थे. कुछ ईरानी रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी मौत 9 जुलाई को हुई, जबकि इसका खुलासा 12 जुलाई को हुआ.

मोसाद के टारगेट पर ईरान के टॉप लीडर्स

दावा किया जा रहा है कि उनकी हत्या तेहरान के चितगर इलाके में मौजूद इसी इमारत में हुई. इमारत के एक अपार्टमेंट में विस्फोट की खबर सामने आई थी, जिसके 72 घंटे बाद ही अली ताएब की मौत का दावा किया जाने लगा. माना जा रहा है कि इस इमारत में विस्फोट के वक्त अली ताएब मौजूद थे. अली ताएब की मौत ईरानी सुप्रीम लीडर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि उन्हें खामेनेई की आंख, कान माना जाता था, वो बिना खबरों में रहे खामेनेई तक हर सीक्रेट जानकारी पहुंचे थे. यही वजह है कि उन्हें IRGC के साराल्लाह हेडक्वार्टर में खामेनेई ने लंबे वक्त तक अपने प्रतिनिधि की भूमिका में रखा था.

साराल्लाह IRGC का एक बेहद अहम मुख्यालय है. यहां विरोध प्रदर्शनों को कुचलने का काम होता है. सरकार विरोधी लोगों पर नजर रखी जाती है. सरकार विरोधियों के खिलाफ साइबर जंग का केंद्र है. 2009, 2017 और 2019 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों को दबाने की पूरी रणनीति इसी हेडक्वार्टर से बनी थी. अली ताएब का हस्तक्षेप हर उस जगह था, जहां से खामेनेई शासन के खिलाफ बगावत हो सकती थी. यही वजह है कि वो मोसाद के प्राइमरी टारगेट्स में से एक थे, लेकिन ये ईरान में होने वाले रक्त चरित्र की महज शुरुआत भर है.

12 दिनों में इजराइल ने ईरान में जोरदार हमले किए… मिसाइलें बरसीं… बम बरसे, लेकिन अब मोसाद ने जंग का दूसरा अध्याय शुरू कर दिया है, जो षड्यंत्रों का चक्रव्यूह लेकर आया है. माना जा रहा है कि मोसाद के टारगेट पर ईरान के टॉप लीडर्स हैं.

  • सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई
  • राष्ट्रपति मसूद पाजेश्कियां
  • खामेनेई का बेटा मुजतबा खामेनेई
  • ईरान के CDS अब्दुल रहीम मोसावी
  • खामेनेई के सलाहकार अली शमखानी इजराइली खुफिया एजेंसी के टारगेट बन सकते हैं.

दरअसल मोसाद ईरान में एक बड़ा जाल बना चुका है, जिसका ट्रेलर 12 दिन के युद्ध की शुरुआत में ही देखने को मिला था. जब मोसाद ने IDF की स्ट्राइक के दौरान ईरान के डिफेंस सिस्टम और बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर्स को निष्क्रिय कर दिया था. साथ ही ईरान के मिलिट्री ठिकानों पर ईरानी जमीन से ही बड़े ड्रोन हमले किए गए थे.

दरअसल ईरान में ना सिर्फ मोसाद के एजेंट अपनी मजबूत जड़े जमा चुके हैं, बल्कि उन्होंने ईरान में जगह-जगह ड्रोन केंद्र भी स्थापित कर लिए हैं, जो ईरान के लिए बड़ी चुनौती हैं. ईरान के अंदर एक्टिव मोसाद के ठिकानों को तबाह किया जा रहा है. 11 जुलाई को तेहरान में एक विशेष ऑपरेशन चलाकर मोसाद के एक और ठिकाने को तबाह किया गया है. ईरानी इंटेलिजेंस VAJA ने तेहरान में मोसाद के ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग ठिकाने का पता लगाया. इस ठिकाने से हाईटेक ड्रोन उपकरण और ड्रोन मिले हैं. इस ठिकाने से जुड़े 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

इजराइल के टारगेट अब भी जिंदा

दरअसल युद्ध के दौरान ही ईरान के सुप्रीम लीडर और राष्ट्रपति इजराइल के टारगेट पर थे. वही वजह है कि खामेनेई जहां अंडरग्राउंड हो गए थे. वहीं राष्ट्रपति पेजेश्कियान इजराइल हमले में घायल हो गए थे, जिस बात का खुलासा अब हुआ है. ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान बाल-बाल बचे थे. 16 जून को तेहरान में सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक थी. इस बैठक में राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी शामिल थे. इसी दौरान इजराइल ने मिसाइल दागी. हमले में पेजेश्कियान के पैर में चोट आई थी.

दावा है कि इजराइल का ये हमले बेहद सटीक था. IDF के पास टारगेट की बिल्कुल सटीक जानकारी थी. यही वजह है कि इजराइल ने नसरल्लाह की तर्ज पर स्ट्राइक कर पेजेश्कियान की हत्या का षड्यंत्र रचा था. जिस वक्त हमला हुआ पेजेश्कियान इमारत के सबसे निचले फ्लोर पर मौजूद थे इमारत पर कुल 6 बम दागे गए. ये बम इमारत के एंट्री और एग्जिट गेट पर गिराए गए यानी इमारत से बाहर आने और अंदर जाने का हर रास्ता बंद कर दिया गया.

विस्फोट के बाद इमारत की बिजली काट दी गई. हालांकि किसी तरह ईरानी राष्ट्रपति और बाकी लीडर्स सुरक्षित इमारत से बाहर निकल आए. अब ईरान-इजराइल के बीच युद्ध खत्म जरूर हो चुका है, लेकिन इजराइल के टारगेट अब भी जिंदा हैं, जिन्हें खत्म करने का जिम्मा मोसाद का है, लेकिन डर है कि अगर मोसाद अपने मिशन में कामयाब रहा, तो उसका जश्न अरब में सबसे बड़ी जंग लेकर आएगा.

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