TDS vs TCS: भारत में टैक्स की दुनिया में टीडीएस (TDS) यानी टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स और टीसीएस (TCS) यानी टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स एक-दूसरे के साथ चलते हैं. टीडीएस तब लगता है जब आपको वेतन, किराया या ब्याज की राशि मिलती है. वह राशि सीधे काट ली जाती है, वहीं टीसीएस उस वक्त सामने आता है जब कोई विक्रेता जैसे लग्जरी गाड़ी, शराब, खनिज या अन्य वस्तु बेचते समय कुछ अतिरिक्त कर सीधे ग्राहक से वसूलता है. इन दोनों माध्यम से सरकार को टैक्स समय पर मिलने में मदद होती है और टैक्स चोरी की गुंजाइश कम हो जाती है. आइए आसान भाषा में समझतें हैं कि टीडीएस और टीसीएस हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से कैसे जुड़ा हुआ है और हर नौकरी करने वालों को टीडीएस देना होता है.
TDS है क्या और लागू कब होता है?
टीडीएस वेतन या किराए जैसे शुल्क के भुगतान के पहले भुगतानकर्ता द्वारा डिडक्ट यानी काटी गई रकम होती है. इससे सरकार के पास पहले ही टैक्स का पैसा पहुंच जाता है. इस प्रणाली में टैक्स चोरी का खतरा कम हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं, तो कंपनी आपको महीने के अंत में तनख्वाह देने से पहले टीडीएस का पैसा आपके वेतन से काट लेती है और वो पैसा सीधे सरकार के पास जाता है.
टीडीएस दर
भुगतान का प्रकार | टीडीएस दर |
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वेतन | आपके टैक्स स्लैब के अनुसार काटा जाएगा |
₹50,000 से अधिक मासिक किराया (जमीन, इमारत, फर्नीचर आदि) | जमीन, इमारत, फर्नीचर: 10%मशीनरी: 2% |
लॉटरी/घुड़दौड़/क्रॉसवर्ड इनाम (₹10,000 से ऊपर) | 30% |
लॉटरी टिकट पर कमीशन (₹20,000 से ऊपर सालाना) | 2% |
₹50 लाख से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति खरीद | 1% |
ठेकेदार को भुगतान (एकमुश्त ₹30,000 या सालाना ₹1,00,000 तक) | व्यक्तियों/हिन्दू अविवाहित परिवार (HUF): 1%अन्य: 2% |
टीसीएस क्या है और इसे कौन जमा करता है?
टीसीएस टैक्स कलेक्शन का वह तरीका है जहां विक्रेता सामान या सेवा की बिक्री पर खरीदार से थोड़ी अतिरिक्त राशि वसूलता है. अतिरिक्त राशि टीसीएस के रूप में वसूली जाती है और सरकार के पास जमा किया जाता है. इससे भी टैक्स की चोरी की गुंजाइश कम होती है. टीसीएस के दायरे में तेंदूपत्ता, शराब, लग्जरी कारें, जंगल से लीज पर ली गई लकड़ी, टोल प्लाजा इत्यादि जैसी वस्तुओं पर टीसीएस लगता है.
टीसीएस दर
खरीदी गई वस्तु | टीसीएस दर |
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तेंदूपत्ता (Tendu leaves) | 5% |
शराब (Alcohol) | 1% |
जंगल से लीज पर ली गई लकड़ी (Timber wood) | 2.5% |
स्क्रैप (Scrap) | 1% |
₹10 लाख से अधिक की कीमत वाले वाहन (Motor vehicle) | 1% |
टोल प्लाजा, खदान, पार्किंग स्थल (Toll, mine, parking) | 2% |
धातुएं (Metals: लोहे, लिग्नाइट, कोयला) | 1% |
वन उत्पाद (Forest produce) | 2.5% |
टीडीएस vs टीसीएस
टीडीएस भुगतान करने वाले व्यक्ति के द्वारा दिया जाता है, जबकि टीसीएस विक्रेता के द्वारा जमा किया जाता है. टीडीएस आय जैसे ट्रांजैक्शन पर लगता है, जबकि टीसीएस कुछ खास किस्म की वस्तुओं जैसे लग्जरी कार, खनिज, शराब आदि पर लगता है. दोनों आपके PAN में क्रेडिट होता है और आपके फॉर्म 26AS में भी दर्ज होता है. फॉर्म 26AS एक वार्षिक विवरण है जिसमें करदाता की आय पर सोर्स पर कर कटौती (टीडीएस) और टीसीएस के बारे में सभी डिटेल्स शामिल हैं.
बजट 2025 में थ्रेशोल्ड लिमिट की सीमा बढ़ी
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में टीडीएस और टीसीएस की थ्रेशोल्ड लिमिट बढ़ा दी गई है. वरिष्ठ नागरिकों को इंटरेस्ट से होने वाली 1 लाख रुपये तक की कमाई पर टीडीएस नहीं देना पड़ता है. वहीं किराए से होने वाली कमाई पर 6 लाख रुपये तक टीडीएस से छूट है. डिविडेंड और म्यूचुअल फंड पर सीमा 10,000 रुपये है. वहीं टीसीएस और एलआरएस (Liberalised Remittance Scheme) की थ्रेशोल्ड लिमिट 10 लाख रुपये है.
क्या हर नौकरी करने वालों का TDS कटता है?
नहीं, हर नौकरी करने वाले की सैलरी से TDS नहीं कटता है. अगर आपकी सालाना आमदनी बेसिक टैक्स‑फ्री स्लैब (जैसे 2.5 लाख रुपये पुराने टैक्स सिस्टम में या न्यू टैक्स सिस्टम चुनने पर 4 लाख) से अधिक है, तो कानून के अनुसार आपका एंप्लॉयर हर महीने वेतन पर TDS काटकर जमा करेगा.
25,000 की सैलरी पर कितना है टीडीएस?
33,333 रुपये तक की सैलरी पर टीडीएस नहीं कटता है. न्यू टैक्स सिस्टम चुनने पर सालाना 4 लाख रुपये तक की कमाई पर टीडीएस नहीं कटता है, जबकि पुराने टैक्स सिस्टम में 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टीडीएस में छूट है.
