भारतीय फॉरवर्ड ललित कुमार उपाध्याय ने रविवार 22 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास की घोषणा की। हालांकि, वह घरेलू और लीग मैच खेलते रहेंगे। ललित कुमार उपाध्याय के संन्यास लेने से एक दशक से अधिक समय तक चले उनके करियर का अंत हो गया। अपने करियर में ललित कुमार उपाध्याय ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। इसमें दो ओलंपिक (पेरिस ओलंपिक और टोक्यो ओलंपिक) में कांस्य पदक जीतना भी शामिल है।
ललित कुमार उपाध्याय ने भारत द्वारा यूरोप में खेले गए 8 में से 4 मैच खेले। ये मुकाबले 2024-25 प्रो लीग सीजन का हिस्सा थे। उन्होंने अपना आखिरी मैच 15 जून को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। ललित ने सीनियर अंतरराष्ट्रीय हॉकी में भारत के लिए 183 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 67 गोल किए हैं।ललित कुमार उपाध्याय उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी (पुलिस उपाधीक्षक) भी हैं।
ललित ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, ‘यह यात्रा एक छोटे से गांव से शुरू हुई, जहां सीमित संसाधन थे, लेकिन सपने असीम थे। एक स्टिंग ऑपरेशन का सामना करने से लेकर ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने तक, एक बार नहीं, बल्कि दो बार यह चुनौतियों, विकास और अविस्मरणीय गौरव से भरा रास्ता रहा है। 26 साल बाद अपने शहर से ओलंपियन बनना कुछ ऐसा है, जिसे मैं अपने दिल में हमेशा सम्मान और कृतज्ञता के साथ संजोये रखूंगा।’
उत्तर प्रदेश के 31 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने करियर में भूमिका निभाने वाले विभिन्न लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा, ‘मेरे पहले कोच श्री परमानंद मिश्रा को, जिन्होंने मुझे हॉकी से परिचित कराया और मेरी नींव रखी। हरेंद्र सर को, जिन्होंने मुझे एयर इंडिया में चुनकर पहला ब्रेक दिया। समीर भाई और धनराज सर को, जिन्होंने उस दौरान देखभाल और विश्वास के साथ मेरा मार्गदर्शन किया।’
अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने लिखा, ‘बीपीसीएल को, जिन्होंने मुझे नौकरी की पेशकश की और मुझे काम और विकास के 8 सार्थक साल दिए। मेरे दोस्तों और साथियों को, जिन्होंने इस यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया। हॉकी इंडिया को, जिन्होंने मुझे राष्ट्रीय जर्सी पहनने का अवसर दिया। …और राज्य सरकार को, मुझे डीएसपी के रूप में नियुक्त करके मेरी यात्रा का सम्मान करने के लिए – एक जिम्मेदारी जिसे मैं गर्व के साथ निभाता हूं।’
अंत में उन्होंने भारत के मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत सिंह को धन्यवाद देते हुए लिखा, ‘हॉकी ने मुझे सब कुछ दिया है और तुम इसके सबसे बड़े उपहारों में से एक हो, भाई।’
