मंगलवार को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की टॉप थ्री खबरें कुछ इस तरह थीं. 1-अमेरिका से आयात की जाने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाएगा चीन. 2-चीन की बाजार नियामक संस्था ने एकाधिकार कानूनों के संदिग्ध उल्लंघन के लिए गूगल की जांच शुरू की. बता दें कि गूगल अमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी है. 3-चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने दो अमेरिकी कंपनियों को अविश्वसनीय कंपनियों की लिस्ट में डाला. ये कंपनियां हैं पीवीएच ग्रुप और इलूमिना. चीन का कहना है कि उसने अपनी संप्रभुता, सुरक्षा के हित में ये कदम उठाए हैं.
ग्लोबल टाइम्स की ये सुर्खियां बताती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आने के बाद चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर शुरू हो चुका है. अगर दोनों देश इस विवाद को नहीं सुलझाते हैं तो ये टैरिफ वॉर एक पूर्ण व्यापार युद्ध में बदल सकता है.
चीन की ओर से ये तीन घोषणाएं तब हुईं जब इससे पहले 1 फरवरी को अमेरिका ने चीन से होने वाले सभी आयात पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की. ये घोषणा ट्रंप की उस नीति का हिस्सा है जहां उनकी सरकार ये मानती है कि चीन अमेरिका से सामान के आयात पर अतार्किक कर लगाता है.
व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि 10 प्रतिशत टैरिफ मौजूदा टैरिफ के अतिरिक्त चीन से होने वाले सभी आयातों पर लगाया गया है. इसका अर्थ ये हुआ कि चीन अमेरिका से जो भी आयात करता था उसकी कीमतें 10 फीसदी तक बढ़ जाएंगी.
ट्रंप ने भारत पर भी ऐसा ही कर लगाने की घोषणा की है, हालांकि उन्होंने इस पर अभी अमल नहीं किया है.
चीन ने 4 फ्रंट पर अमेरिका को चिढ़ाया
अमेरिका की ओर 10 परसेंट टैरिफ का जवाब चीन ने 10 से 15 फीसदी टैरिफ लगाकर दिया. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 10 फरवरी से अमेरिका से आयातित कुछ वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा, जिसमें कोयला और LNG पर 15 प्रतिशत टैरिफ तथा कच्चे तेल, कृषि मशीनरी, बड़े कारों और पिकअप ट्रकों पर 10 प्रतिशत टैरिफ शामिल है.
चीन के कस्टम टैरिफ कमीशन के अनुसार यह निर्णय चाइनीज कानून के दायरे में और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों के अनुसार लिए गए हैं.
बता दें कि अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाने के बाद चीन ने इसकी शिकायत विश्व व्यापार संगठन से की है. लेकिन चीन चाहता है कि उसके ओर से लगाए गए टैरिफ पर चीन को ऐसा कोई मौका नहीं मिले.
टैरिफ बढ़ाने से क्या होगा?
जब एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो आयात की लागत बढ़ जाती है, जिससे उन उत्पादों की कीमतें उस देश में बढ़ जाती हैं जहां टैरिफ लगाया गया है. इससे ग्राहकों को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
टैरिफ बढ़ने से निर्यात करने वाले देश के व्यापारिक हित प्रभावित होते हैं क्योंकि उनके उत्पाद अब उस देश में कम प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं जिसने टैरिफ लगाया है. इससे निर्यात में कमी आ सकती है, जो उस देश के व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है.
इस तरह से चीन-अमेरिका के टैरिफ वॉर से दोनों ही देशों को ट्रेड वोल्यूम के अनुपात में नुकसान होगा.
हालांकि टैरिफ वॉर का घरेलू उत्पादकों को फायदा हो सकता है क्योंकि वे अब विदेशी प्रतिस्पर्धा से बच सकते हैं, जिससे उनके उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, यह निर्यात करने वाले देश में रोजगार की हानि का कारण बन सकता है क्योंकि उनकी विदेशी बिक्री कम हो जाती है।
गूगल के खिलाफ जांच, दो दूसरी कंपनियां भी संदेह के घेरे में
चीन ने सिर्फ अमेरिका पर टैरिफ लगाया. बल्कि कई अमेरिकी कंपनियों पर एक्शन भी शुरू कर दी.
गूगल के खिलाफ जांच शुरू करते हुए बीजिंग के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन ने कहा कि अमेरिकी टेक दिग्गज पर “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के एंटी-मोनोपॉली कानून का उल्लंघन करने का संदेह है. इसके परिणामस्वरूप कानून के अनुसार Google के खिलाफ जांच शुरू की गई है.
चीन के इस कदम पर अमेरिकी प्रतिक्रिया का इंतजार है.
चीन ने एक अन्य कदम में अमेरिका की दो कंपनियों को भी संदेह के घेरे में डाल दिया. चीन के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार दोनों कंपनियों ने चीनी फर्मों के खिलाफ भेदभावपूर्ण उपाय अपनाकर सामान्य बाजार लेनदेन के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. जांच के बाद अब इन कंपनियों पर एक्शन लिया जाएगा.
इस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के चीन पर टैरिफ बढ़ाने के एक कदम के जवाब में चीन ने चार स्टेप उठाए हैं.
ये कदम हैं-
1- अमेरिका से आयात पर 10 से 15 फीसदी टैरिफ
2-गूगल के खिलाफ जांच शुरू
3-दो अमेरिकी कंपनियों को संदिग्ध लिस्ट में डालना
4-अमेरिकी कंपनियों द्वारा चीन से आयात पर टैरिफ लगाने के फैसले के खिलाफ WTO में शिकायत
कैसा है दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच व्यापार
अमेरिका और चीन दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्था है. इनके बीच व्यापारिक संबंध बेहद व्यापक हैं. अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2022 में अमेरिका का चीन के साथ वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार 758.4 बिलियन डॉलर था.
अमेरिका ने चीन को वस्तुओं और सेवाओं का कुल 195.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था. जबकि चीन से अमेरिका का आयात 562.9 बिलियन डॉलर था.
इस तरह से 2022 में चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 367.4 अरब डॉलर था. चीन के साथ ट्रंप की नाराजगी की यही वजह भी है. ट्रंप इस व्यापार घाटे को खत्म करना चाहते हैं.
अमेरिका से चीन को प्रमुख सर्विस एक्सपोर्ट ट्रेवल, इंटेलेक्ट्युअल प्रोपर्टी, फाइनेंशियल सर्विस थे.
अगर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बात करें तो चीन में अमेरिका का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2022 में 126.1 बिलियन डॉलर था. चीन में यू.एस. का प्रत्यक्ष निवेश, कंस्ट्रक्शन, थोक व्यापार और फाइनेंस और इ्श्योरेंस के क्षेत्र में है.
वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में चीन का विदेशी निवेश स्टॉक में है. चीन निवेशकों ने 2022 में 28.7 बिलियन डॉलर अमेरिका में निवेश किया था.
यू.एस. में चीन का प्रत्यक्ष निवेश विनिर्माण, रियल एस्टेट और डिपॉजिटरी संस्थानों में है.
अमेरिका द्वारा चीन से किये जा रहे प्रमुख आयात में कम्प्यूटर्स, टेलिफोन, कार पार्ट्स एंड एसेशरीज, तार, इलेक्ट्रिक बैट्री और वीडियो डिस्पले शामिल हैं.
चीन द्वारा अमेरिका से आयात किये जाने वाले मुख्य प्रोडक्ट की बात करें तो ये मशीनरी फ्यूल, ऑयल, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर, ऑयल सीड, फल, अनाज, इलेक्ट्रिक सामान, मेडिकल सामान, ऑप्टिकल, दवाइंयां, केमिकल शामिल हैं.