Swati Maliwal Rajya Sabha Membership: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, क्योंकि उनके दो मंत्री जेल में हैं, जबकि वो खुद और संजय सिंह अभी हाल ही में जेल से बाहर आए हैं। ऐन इसी वक्त पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार पर मारपीट के गंभीर आरोप लगाए हैं। केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार ने कथित तौर पर राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल को कई बार लात मारने के साथ थप्पड़ भी मारे थे और मालीवाल के मदद के लिए चिल्लाने पर वह नहीं रुके थे। दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में यह जानकारी दी गई है। इस पूरे विवाद के बीच आम आदमी पार्टी बिभव कुमार के पक्ष में खड़ी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या स्वाति मालीवाल की राज्यसभा सदस्यता चली जाएगी।
क्या चली जाएगी स्वाति मालीवाल की राज्यसभा सदस्यता?
इस सवाल का एक शब्द में जवाब है- नहीं। स्वाति मालीवाल की लड़ाई का असर उनकी राज्यसभा सदस्यता पर नहीं पड़ेगा।
भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची के नियमों के अनुसार, एक सांसद को केवल दो ही परिस्थितियों में आयोग्य ठहराया जा सकता है। पहली परिस्थिति ये है कि वह सांसद स्वेच्छा से इस्तीफा दे दे। या फिर कोई सांसद पार्टी के निर्देशों के विपरीत वोट करे या मत विभाजन (मतदान) के दौरान अनुपस्थित रहता है, तो भी वह अयोग्य ठहराया जा सकता है।
नियम क्या कहता है?
इसका मतलब यह है कि भले ही आम आदमी पार्टी मालीवाल को पार्टी से निलंबित कर दे फिर भी वह पार्टी की सांसद बनी रहेंगी। हालांकि सदन में वोटिंग के दौरान उन्हें AAP के निर्देशों का पालन करना होगा, लेकिन अगर आम आदमी पार्टी उन्हें निकाल देती है तो वह अपने ही राज्यसभा की स्वतंत्रत सांसद बन जाएंगी। जानकारों के मुताबिक, वह किसी भी पार्टी के निर्देशों से बंधी नहीं रहेंगी।
भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची जिसे लोकप्रिय रूप से ‘दल बदल विरोधी कानून’ (Anti-Defection Law) कहा जाता है। इसे साल 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है। इसके तहत सांसदों की अयोग्यता से जुड़े तमाम पहलू आते हैं। हालांकि, अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे यह लगा हो कि आम आदमी पार्टी अपनी सांसद को निलंबित करेगी या उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
स्वाति मालीवाल उच्च सदन में केजरीवाल की पार्टी की सबसे नई संसद हैं। उन्होंने इसी साल जनवरी में शपथ ली थी, लेकिन अगर आप और मालीवाल के बीच संबंध बिगड़ते हैं और उसके परिणाम स्वरूप उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है तो भी मालीवाल अपने शेष कार्यकाल के दौरान किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हो सकती हैं। इसके लिए उन्हें पहले सांसदी से इस्तीफा देना होगा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सदस्य रीताब्रज बनर्जी को हाल ही में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन वह एक स्वतंत्र सांसद बने रहे।
क्या है स्वाति मालीवाल-बिभव कुमार विवाद?
बता दें, लोकसभा चुनाव के लिए में मतदान से पहले मालीवाल एक बड़े विवाद के केंद्र में हैं। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख ने केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार पर मुख्यमंत्री के आवास पर उनके साथ मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाया है। स्वाति मालीवाल की एक शिकायत के बाद गुरुवार को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में कुमार के खिलाफ पहले सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी। उन पर कथित हमले के संबंध में प्राथमिकी में मालीवाल ने यह भी दावा किया कि कुमार ने उन्हें पूरी ताकत से बार-बार मारा, लेकिन कोई भी उनके बचाव में नहीं आया।
मालीवाल ने आरोप लगाया कि उन्होंने कुमार को यह तक बोला कि उन्हें माहवारी हो रही है, जिसकी वजह से बहुत दर्द है, लेकिन इसके बावजूद वह नहीं रुका।
प्राथमिकी में मालीवाल के हवाले से कहा गया है कि यह मेरे जीवन का सबसे कठिन समय है। दर्द आघात और उत्पीड़न ने दिमाग शून्य कर दिया है। उन्होंने प्राथमिकी में कहा कि मुझे चलने में भी दिक्कत हो रही है। पूर्व में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकीं मालीवाल ने कहा कि उनकी स्थिति और भी बदतर हो गई है कि उन्होंने जीवन भर महिलाओं के मुद्दों के लिए काम किया और लाखों महिलाओं को न्याय दिलाने में मदद की। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बेरहमी से पीटा गया जिसे मैं लंबे समय से जानती हूं।