Kisan Credit Card: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना देशों के करोड़ों किसानों को काफी सस्ती दर पर कर्ज देती है। इसका मकसद किसानों को खेती और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए समय पर और आसान शर्तों पर लोन देना है। इस योजना के तहत किसान अल्पकालिक खेती, कटाई के बाद के खर्च, घरेलू जरूरतों, पशुपालन और खेतों की मरम्मत जैसे कई कामों के लिए लोन ले सकते हैं।
सरकार इस योजना में 2% ब्याज सब्सिडी और 3% समय पर भुगतान बोनस देती है, जिससे किसान को केवल 4% सालाना ब्याज दर पर लोन मिल सकता है। यह देश में उपलब्ध सबसे सस्ते कृषि कर्ज में से एक है। आइए जानते हैं कि KCC कार्ड क्या है, ये कैसे काम करता है और किसान किस तरह से इसका फायदा उठा सकते हैं?
किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम क्या है?
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना की शुरुआत 1998 में किसानों को खेती और दूसरी जरूरतों के लिए समय पर लोन देने के इरादे से की गई थी। इसके जरिए किसान बीज, खाद और खेती के औजार खरीद सकते हैं, ताकि उन्हें महंगे ब्याज पर कर्ज लेने की नौबत न आए। यह कार्ड डेबिट कार्ड की तरह भी काम करता है, जिससे किसान एटीएम से पैसा निकाल सकते हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में फिलहाल 7.75 करोड़ से ज्यादा एक्टिव KCC खाते हैं। पिछले कुछ सालों में इस योजना के तहत लोन लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साल 2014 में जहां कुल लोन ₹4.26 लाख करोड़ था, वो दिसंबर 2024 तक बढ़कर ₹10.05 लाख करोड़ पहुंच गया है। इससे साफ है कि किसानों के बीच KCC की जरूरत और भरोसा दोनों बढ़े हैं।
KCC के तहत कितना लोन मिलता है?
KCC के तहत किसान को मिलने वाली लोन सीमा कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे कि फसल का स्केल ऑफ फाइनेंस, जमीन की मात्रा, खेती की लागत, बीमा खर्च, और फार्म मशीनों की देखरेख का अनुमान। शुरुआत में जो लोन सीमा तय होती है, उसी के आधार पर अगले पांच सालों तक हर साल 10% तक की स्वाभाविक वृद्धि मानकर नई सीमा तय की जाती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में KCC योजना के तहत मिलने वाले अधिकतम लोन की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख तक कर दी है। ₹2 लाख तक का ऋण पूरी तरह कोलैटरल-फ्री होता है, यानी इसके लिए कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती। वहीं, ₹2 लाख से ऊपर की रकम पर बैंक अपनी पॉलिसी के मुताबिक जमानत या अन्य सुरक्षा मांग सकते हैं।
कार्ड की लिमिट दो हिस्सों में क्यों?
इसकी वजह है कि शॉर्ट टर्म लोन (फसल के लिए) और टर्म लोन (जैसे ट्रैक्टर, सिंचाई) पर ब्याज दर, चुकौती शर्तें और सब्सिडी अलग-अलग होती हैं। इसलिए बैंक KCC लिमिट को दो भागों में बांटता है, एक शॉर्ट टर्म लोन, दूसरा टर्म लोन। इससे न सिर्फ किसान को सुविधा होती है, बल्कि बैंक के लिए भी अकाउंटिंग आसान रहती है।
KCC कार्ड कैसे काम करता है?
यह कार्ड बैंक की ओर से किसानों को एक तरह का मल्टीपर्पज डिजिटल डेबिट कार्ड देता है। इससे किसान एटीएम, बैंक मित्र, मोबाइल ऐप या मछली बीज/बीज-खाद विक्रेता की PoS मशीन से पैसे निकाल सकते हैं या खरीदारी कर सकते हैं। कार्ड आधार या बायोमैट्रिक पहचान से भी जुड़ा हो सकता है, ताकि इसका इस्तेमाल सुरक्षित और आसान हो।
कार्ड से कहां-कहां लेन-देन हो सकता है?
इस कार्ड से किसान ATM, बैंक मित्र (BC), मोबाइल बैंकिंग और आधार आधारित ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इससे किसानों को बैंक की कतार में समय नहीं गंवाना पड़ता और वे अपने खेत से सीधे जरूरत का सामान खरीद सकते हैं।
KCC के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
1. जमीन के मालिक किसान (इंडिविजुअल या संयुक्त नामों में)
2. बटाईदार, किरायेदार किसान और मौखिक पट्टेधारक
3. किसान समूह जैसे SHG (सेल्फ हेल्प ग्रुप) या JLG (जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप)
KCC के लिए आवेदन का ऑनलाइन प्रोसेस
1. जिस बैंक से KCC लेना है, उसकी वेबसाइट पर जाएं।
2. Kisan Credit Card विकल्प चुनें।
3. ‘Apply’ पर क्लिक करें।
4. जरूरी जानकारी भरें और सबमिट करें।
आवेदन नंबर मिलेगा, और 3-4 दिन में बैंक संपर्क करेगा।
वहीं, ऑफलाइन आवेदन के लिए किसान को अपने नजदीकी बैंक ब्रांच में जाकर फॉर्म भरना होता है। इसके बाद बैंक अधिकारी जरूरी जांच करेंगे और आपकी योग्यता के आधार पर KCC कार्ड को मंजूरी देंगे।
किन दस्तावेजों की जरूरत होती है?
1. भरा हुआ आवेदन पत्र
2. पहचान और निवास प्रमाण (जैसे आधार, ड्राइविंग लाइसेंस)
3. पासपोर्ट साइज फोटो
4. भूमि स्वामित्व का प्रमाण
5. फसल पैटर्न का विवरण
6. अगर लोन ₹1.60 लाख से अधिक हो, तो गिरवी या गारंटी से जुड़े दस्तावेज
Kisan Credit Card योजना किसानों को खेती के हर पहलू के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट देने का एक शक्तिशाली जरिया है। इसमें ब्याज कम है, प्रक्रिया सरल है और बैंक से जुड़ाव डिजिटल रूप में होता है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह योजना न केवल खेती को आसान बनाती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी मदद करती है।
