लालसोट। घनश्याम प्रजापत। साहित्यिक संस्था आजाद कलम के स्थापना दिवस एवं विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर लालसोट के लाड पैलेस में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें कवियों ने देश भक्ति तो कोई भाईचारा की कविता सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। सर्दी के मौसम में भी श्रोता देर रात तक डटे रहे। सम्मेलन के संयोजक एवं संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष कवि अनुराग प्रेमी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत कृष्ण कुमार सैनी ने सरस्वती माँ की वंदना से करते हुए ‘आस्तीन के साँपो का ज़ब तक मरण नहीं होगा,भारत में तब तक शांति का वातावरण नहीं होगा’ देशभक्ति कविता सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। मालपुरा से आए कवि लुकमान गौरी ने ‘सुबह को लिखता हूं शाम को लिखता हूं,जवानी अपनी हिंदुस्तान के नाम लिखता हूं’ जैसी वीर रस की कविताओं से ठंडे मौसम को भी देशभक्ति की गर्मी में बदल दिया तो मनीषा कुमारी ने ‘मंदिर मस्जिद छोड़ सब देव राजनीति में अटके’ कविता सुनाकर धार्मिक अंधविश्वासों का खंडन कर साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया। लालसोट के युवा कवि अनुराग प्रेमी ने अपने दादा की स्मृतियों पर चुटकलें व हास्य रचनाओं से श्रोताओं को हंसाते हुए ‘बनना है राम अगर तुम्हें बनना है तो मर्यादा में जीना सीखो’ कविता सुनाकर लोगों को आदर्श जीवन जीने का संदेश दिया। अलवर से आई कवयित्री सोनम शुक्ल ने ‘इंसानों में छिपे दरिंदे’ कविता सुनाकर बहन बेटियों पर हो रहे अत्याचार के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया। कवि अनिल वर्मा ने ‘कोई नहीं पूछता फलों में जब मिठास नहीं होती’ कविता सुनाई तो रामेश्वर प्रसाद करुण ने ‘हिन्दी मेरे मन मे है, हिन्दी मेरे तन में है’ कविता सुनाकर हिन्दी भाषा का महत्व व्यक्त किया। गीतकार अशोक दीप ने ‘मात-पिता के चरणों में होते चारों धाम,प्रिय’ गीत सुनाकर युवा पीढ़ी को माता-पिता के सेवा-सम्मान का सन्देश दिया। लखनऊ से आई कवयित्री अपर्णा प्रीतम ने ‘घनघोर तिमिर की राहों में बोली वाणी निश्चल होगी’ जैसी रचना सुनाकर एक नया जोश भर दिया। संचालन करते हुए कवि कुमार धर्मी ने अपनी शेर शायरियों से मंत्रमुग्ध कर श्रोताओं को तालियां बजाने के लिए मजबूर करते हुए ‘कहाँ गया वो दौर जब गांव की शोभा बाड़ हुआ करती थी’ कविता सुनाकर बदलते ग्रामीण परिवेश पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम के अतिथिगणों में गिर्राज सैनी कंछला, कमलेश लोटण, रामोतार जोरवाल, एडवोकेट सूरज सैनी, ओमप्रकाश हिंगोटा आदि उपस्थित रहे। वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक राजेन्द्र यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा अध्यक्ष नवल घुणावत ने सभी कवियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इस दौरान एडवोकेट धीरज नागर, पदम फडकल्या,कमलेश चांदा, देवाशीष सैनी, निर्मल सैनी गणमान्य लोगों सहित सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति रही।
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