देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के ऊर्जा और पर्यावरण विज्ञान स्कूल से ऊर्जा प्रबंधन में बी/एमटेक छात्रों का एक समूह अपने विभागाध्यक्ष डॉ रुबीना चौधरी के साथ ग्राम सनावदिया में जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर शैक्षणिक भ्रमण हेतु आया । सेंटर की निदेशक डॉ. श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन ने उनका सस्नेह स्वागत कर यहाँ के संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया । यह, जैव विव्धता फार्म उनका निजी आवास है, जिसे उनके पति स्वर्गीय जेम्स (जिम्मी ) मगिलिगन ओ.बी.ई. ने स्वयं अपने हाथों और कड़ी मेहनत से बनाया “ईश्वर ने अपनी सभी रचनाओं, जीवित प्राणियों, पशु साम्राज्य, वनस्पति और खनिजों के संरक्ष्ण के लिए आत्मा और विवेक की शक्ति देकर मानवता की रचना की है। मैं संयम से प्राकृतिक संसाधनों से बनाये सस्टेनेबल प्रौद्योगिकियों के साथ सस्टेनेबल जीवन करने की अपनी प्रतिबद्धता से प्रकृति के पांच तत्वों के साथ सद्भाव में रहने का आनंद ले रही हूं। मुझे उनसे सबकुछ मिल रहा है, मैं न तो बेचती हूं और न ही खरीदती हूं, मैं स्वतंत्र और खुश हूं ‘।सभी को उन्होंने अपने गाय-केंद्रित फार्म पर जैव विविधता के साथ , सस्टेनेबल प्रौद्योगिकि सभी प्रकार की सब्जियों, अनाज, जड़ी-बूटियों, मसालों, एक दर्जन प्रकार के सौलर कुकर, धुआं रहित ईंधन का स्रोत हैं। सभी छात्रों के लिए सबसे आश्चर्यजनक और रोमांचक था पैराबोलिक कुकर पर मिट्टी की हांडी में आलू-मेथी और खाड़े-मूंग को पकाना और शेफलर सोलर डिश से प्राकृतिक ज्वाला निकलती देखना।
यहां से जाने के तुरंत बाद ईमेल द्वारा भेजे गए छात्रों की कुछ टिप्पणियां साझा कर कर रही हूं:
1 अभिनव दिवेदी तीसरा सेमेस्टर: :यह जैव विविधता से भरपूर केंद्र आधा एकड़ भूमि पर बना है और यहां की हर चीज हमें स्थायी जीवन जीने का तरीका सिखाती है। यह बिना किसी फंड या अनुदान के चलता है। यहां आने पर हमें पता था कि कुछ हम सौर ऊर्जा के उपकरण देखेंगे ! लेकिंग अद्भुत है यहाँ हर प्रकार की ऊर्जा, सोलर, पवन , क्च्रामुक्त प्रबंधन देखा । हर प्रकार के पेड़-पौधे हैं और सभी गाय द्वारा पोषित किए जा रहे हैं। यहाँ गाय से गोबर की खाद बनाई जाती है। साथ ही विभिन्न पेड़-पौधे (फल और औषधियाँ) और यहाँ तक कि सिंदूर का पेड़, पारिजात, वाटर एप्पल करंज, रतनजोत, हिबिस्कस, वज्रदंती, अदरक, इंसुलिन, पुदीना, आंवला, अमरूद, पपीता, बीटल देखे। बाद में हमने शेफ़लर सोलर डिश देखी जो पूरी तरह से कार्बन मुक्त है और उच्च तापमान संभव है, यह जिम्मी सर द्वारा बनाए गए पेंडुलम सिस्टम पर काम करता है। फिर हमने बरसात के मौसम के लिए वैकल्पिक ईंधन के रूप में न्यूज़पेपर ब्रिकेट्स, 2 किलोवाट हाइब्रिड पावर स्टेशन सोलर-विंड पावर, ऑटो ट्रैक शेफ़लर सोलर डिश देखी। छत पर सोलर ड्रायर कई जैविक उत्पाद सुख रहे थे। हमने वर्षा जल संचयन और खाद बनाने की शुद्ध देशी प्रणाली भी देखी। अंत में हमने विभिन्न प्रकार के सोलर कंसंट्रेटर के बारे में अध्ययन किया, जिसमें पैराबोलिक SK-14, प्रिंस कुकर डीप-फ्राइंग, एक और पार्वती कुकर जो एक साथ 3 डिब्बों में खाना पकाने में सक्षम है और कुछ पोर्टेबल या फोल्डेबल कंसंट्रेटर जैसे सेलेस्टिनो कुकर, हैन्स कुकर इत्यादि शामिल । कुछ रिचार्जेबल सोलर लालटेन भी देखीं। कुल मिलाकर यह अनुभव हमारे लिए अद्भुत था, हम ऊर्जा और पर्यावरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। जिम्मी मगिलिगन सेंटर एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर घर है। जो आदर्श संधारणीय जीवनशैली का एक अद्भुत उदाहरण देता है। सादगी ही कुंजी है; यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव था क्योंकि आपको नवोन्मेषी होने के लिए केवल डिग्री की आवश्यकता नहीं है और नवोन्मेष दुनिया की सबसे अच्छी प्रतिभाओं में से जनक दीदी आप एक है। हमें समझ में आया कि हमारे आस-पास बहुत सारी ऊर्जा है, हमें बस इसका स्मार्ट तरीके से और शून्य अपशिष्ट उपयोग करने की आवश्यकता है। हमें पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाने की आवश्यकता है और पर्यावरण से मेरा मतलब सभी पौधों, जानवरों, हवा और जल संसाधनों से है।
2 साक्षी चौहान: एक पर्यावरण इंजीनियर छात्र होने के नाते, इस यात्रा ने मुझे एक रोडमैप दिया। एक किसान की बेटी के रूप में, मैंने अपने पिता के जैविक खेती के प्रयासों को आगे बढ़ाने और अपने समुदाय के भीतर स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध किया। अपशिष्ट को कम करने, संसाधनों के संरक्षण पर यात्रा के संदेशों ने मुझे अपने दैनिक जीवन में सचेत विकल्प बनाने के लिए प्रेरित किया है। मैं इन पाठों को अपने जीवन में लागू करने के लिए उत्सुक हूं, व्यक्तिगत विकास को पर्यावरणीय विकास के साथ संतुलित करना।
3 शिल्पी यादव :यह एक शानदार अनुभव है, मैंने बहुत सी चीजें सीखी हैं, जिनमें से एक यह है कि किसी भी नवाचार के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है। हम सभी ने कई उपकरण भी सीखे जैसे कि विभिन्न प्रकार के पौधे और औषधीय पौधे और सौर उपकरण जैसे कि शेफ़लर डिश और बरसात के मौसम के लिए सबसे दिलचस्प न्यूज़पेपर ब्रिकेट जो कम से कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं। मैं बहुत सी चीजें नहीं बता सकती जो मैंने वहां सीखी हैं। मैं एक शोध छात्र भी हूं, इसलिए मुझे आपसे नए विचार मिले हैं। हमें मार्गदर्शन देने के लिए आपका आभारी हूं।
4 श्रीधर: एक पर्यावरण इंजीनियरिंग छात्र होने के नाते, मैंने इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखा है। अंत में प्रो रुबीना चोधरी ने आभार प्रकट करते हुए जिम्मी जी और जनक दीदी 1990 से हमारी सभी प्रकार की सकारात्मक उर्जा स्रोत है और हमेशा आपसे सीखते रहें है, सीखते रहेंगे आप हमारी आदर्श है , प्रेरणा है हार्दिक ध्न्यवाद्द !
माननीय सम्पादक महोदय आपसे निवेदन है की आप इसे अपने लोकप्रिय समाचार पत्र/ चैनल में प्रकाशित करने की कृपा करें! धन्यवाद ! डॉ (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन