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July 27, 2024 5:39 am

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जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन: प्रेस विज्ञप्ति…..

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जलवायु संकट की त्रासदी से बचने के लिए जैविक खेती को प्रार्थमिकता देनी होगी  जनक पलटा मगिलिगन
जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रयावर्ण परिसंवाद सप्ताह के चौथे दिन की शुरुआत सोशल इंटरप्रेन्योर वरुण रहेजा की प्रार्थना से हुई । जनक पलटा मगिलिगन ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर इंदौर , देवास ,उज्जैन, शाजापुर, खरगोन जिलों के 20 गाँव से आए जैविक किसानो का स्वागत करते हुए कहा ” आज का विषय है ” जैविक खेती, रसायन मुक्त भोजन, कृषि में देशी बीज से जैव विविधता को बचाना और जल का संरक्षणहै ” । यह भी कहा धरती और इस पर रहने वाले सभी जीवो को जलवायु संकट की त्रासदी से बचाने के जैविक खेती को प्राथमिकता देनी होगी । भारत माता की जय ,धरती माता की जय और गौमाता की जय मिलकर आपसी सहयोग से करना होगी।

जैविक सेतु के संस्थापक एवं संचालक अमरीश केला ने बताया की भारत सरकार के एक कथन अनुसार “जीडीपी 7% की दर से तो बढ़ेगी लेकिन जलवायु के नुकसान के साथ “ इससे पता चलता है कि उन्होंने अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के भारी प्रभाव को पहचान लिया है। हमारे दैनिक जीवन में हमारा स्वास्थ्य जलवायु परिवर्तन के अधीन है और कृषि भी जलवायु परिवर्तन के अधीन है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम पर्यावरण के सभी क्षेत्रों को एकजुट करें और उनका संरक्षण करें। उन्होंने जैविक खेती को मुख्य विषय बनाने पर जोर दिया, सिर्फ खेतों में रसायनों की मात्रा को कम करना काम नहीं आएगा, अब हमें पूरी तरह से जैविक खाद्य पदार्थों का उत्पादन और उपभोग शुरू करना होगा।

उन्होंने मुख्यतः दो बिंदुओं पर जोर दिया पहला यह की हमारे खाद्य पदार्थो में रसायनो की मात्रा बहुत है दूसरा मिलावट बहुत ज्यादा है| यहां तक कि हमारा पशु आहार भी मिलावट से मुक्त नहीं है, दूध और उससे बने उत्पादों की खपत के माध्यम से हमारे शरीर में जहर पहुंच रहा है। वही पर्यावरण की बात करे तो तापमान में बढ़ते उतार-चढ़ाव के कारण प्रकृति और वनस्पति को भारी नुकसान हो रहा हैं| मनुष्य केवल उपभोगी हो गया है वह प्रकृति को नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं वापिस कर रहा हैं।


आज के समय में कृत्रिम रुप से तैयार की गयी फल सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थ का उपयोग कर रहे हैं जिनमे विटामिन,खनिज एवं विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व की कमी को होती है इन कमियों को पूरा करने के लिए मानव की कृत्रिम रूप से बनाई गयी विटामिन की गोलिया का उपयोग करता है | यदि हम सभी खेती के जैविक तरीकों को अपनाएं तो हम 3-5 वर्ष में प्रकृति को होने वाले नुकसान में कुछ हद तक कमी ला सकते हैं। इसी को ध्यान में में रखते हुए जनक दीदी की पहल पर 2014 में जैविक सेतु शुरू किया हमने जैविक किसान को उनके उत्पादों को सही मूल्य और बाजार उपलब्ध करा रहे है |

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. शेफाली संगल ने बताया की जब मैंने पहली बार बनारस में अपना अभ्यास शुरू किया तो मेरे घर के आस पास के बगीचों और अन्य पौधों से अपनी औषधीय जड़ी-बूटियाँ तैयार करती थी ।

यह जानकर बहुत अच्छा लगता है कि जो दवा आप अपने मरीजों को दे रहे हैं वह रसायन मुक्त है। लेकिन यहाँ इंदौर में जैविक जड़ी-बूटियाँ मिलना बहुत कठिन है और मुझे उन्हें अपने पुराने स्रोतों से प्राप्त करना मुश्किल होता है। मै आप सभी जैविक किसानो से निवेदन करती हूँ किकी औषधीय पोधो की भी खेती करे जिससे जिससे उनके आय में वृद्धि तो होगी ही साथ ही इंदौर और आसपास के क्षेत्र में लोगो को अच्छा आयुर्वेदिक उपचार भी मिल सकेगा | विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे जैसे- शतावरी, अरंडी, गोखुरू, बरियारी की जड़ और देसी गुड़हल इत्यादि |

सोशल इंटरप्रेन्योर वरुण रहेजा ने बताया कि 6 साल पहले उन्होंने डॉ जनक जी के साथ इंटर्नशिप की जिसमे उनके पति स्वर्गीय जिम्मी मगिलिगन द्वारा बनाये गए सोलर ड्रायर बनाने और फलों सब्जियों सोलर ड्राई करना सीखा ,तब से चार साल में भारत के अनेको गाँव में रहेजा फ़ूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड बनाई | जिसके माध्यम से भारत में 40000 से ज्यादा किसानो को फायदा पंहुचा चुकी है | पके हुए फल और सब्जियां बड़ी मात्रा में खेतों में बर्बाद हो जाती हैं क्योंकि परिवहन के दौरान वह खराब हो जाती है किसानों को जो मुनाफा होना चाहिए वह नहीं मिल पाता है। जैसे उड़ीसा के गजपति जिले में केले 1 रुपये प्रति किलो बिकते हैं, वही बड़े शहरो में यह केले इससे 20-30 गुना ज्यादा कीमत पर बिकते हैं। इसी समस्या को देखते हुए ऐसा सोलर ड्रायर बनाया जो छोटे बड़े दोनों किसानो की उत्पादन क्षमता के अनुसार था जिसे वह अपने खेत में ही रखकर किसी भी उत्पाद को सोलर ड्राई कर उसे लम्बे समय तक वैसे ही स्वाद भी बरक़रार रख सके और जिससे किसान को उसकी उचित कीमत भी मिल सके| हमारा बिज़नेस मॉडल केवल किसानो को केवल सोलर ड्रायर बेचना नहीं है । हम उनके ड्राई प्रोडक्ट खरीद कर बाजार तक भी पंहुचा रहे है |

जैविक किसान आनंद ठाकुर ने बताया की जैविक किसानों केवल विश्वास के माध्यम से ही अपनी उपज के लिए बाजार बना सकते हैं। उन्हें लोगों के मन में मौजूद संदेहों का समाधान करना चाहिए। खेतों की सीमा पर पेड़ लगाना बहुत फायदेमंद होता है, ये मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, पेड़ो पर चिड़िया व पक्षी रहते है जो की खेतो के लिए फायदेमंद हैं ।

जैविक किसान श्रीमती शुभद्रा कपाड़िया ने बताया ” मेरे पास 2 बीघा जमीन है जिसमें मैं अपने परिवार के लिए जैविक रूप से फसल उगाती हूं एवं अतिरिक्त दोस्तों और रिश्तेदारों को बेचती हूं। अपनी उपज की कीमतें स्वयं तय करती है। मैं कई फसलों के पारंपरिक और पुराने बीजों का संरक्षण और बिक्री भी करती हूं। कई महिलाएं मेरे साथ जुड़ गई हैं क्योंकि महिलाएं चीजों को संरक्षित करने में बेहतर हैं।”

जनक पलटा मगिलिगन की सहयोगी नंदा ने ” विभिन्न मौसमी फसलों के बारे में बताया जो जिम्मी मगिलिगन केंद्र में जैविक रूप से उगाई जाती हैं। मानसून में मक्का, तुअर, उड़द, चवला आदि, सर्दी में गेहूं, चना, मैथी, पालक आदि गर्मी में भिन्डी, खीरा जैसी कुछ सब्जियाँ और कई फलों के पेड़” | अतिरिक्त बचने वाली चीजों को बेचा नहीं जाता बल्कि सोलर ड्रायर में सुखाकर उनका जैम, जूस आदि बनाकर संरक्षित किया जाता है।”

सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक नितीश जसवानी ने बताया की खाने का मुख्य फोकस पेट भरना नहीं बल्कि शरीर और मस्तिष्क को पोषण देना होना चाहिए। वर्षों तक रसायन आधारित खेती से मिट्टी ने अपनी खनिजयुक्त प्रकृति खो दी हैं। मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जाँच कराई जाये एवं मिट्टी की प्रकृति, अम्लीयता एवं क्षारीयता का परीक्षण किया जाये एवं उपयुक्त खनिजों की उपस्थिति की जाँच कराई जाए जिससे मृदा की सम्पूर्ण स्थिति की पता चल सके |

कार्यक्रम में जैविक खेती करने वाले इंदौर से दो किसान भाई बहन राहुल मालवीय और वैशाली मालवीय उपस्थित थे इनके अलावा उमरियाखुर्द, सिमरोल, सोनकच्छ, बड़वाह ,अहीरखेड़ी ,खरगोन ,देपालपुर ,खुदेड़ ,देवास ,शाजापुर ,सदलपुर , तेजाजीनगर ,मांगलिया ,उज्जैन , और हॉलैंड की स्थानीय कंपनी की डायरेक्टर मोनिका यादव ने जैविक खेती करने वाले किसानो ने हिस्सा लिया |

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किसानों ने संकल्प लिया कि और किसानों को प्रोत्साहित करेंगे । फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री विरेंदर गोयल ने आभार प्रकट किया.

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