दो हफ्ते पहले यानी 13 जून को जब इजराइल ने ईरान पर हमला किया था, तब चीनी सरकार ने इसकी निंदा की थी. चीन ईरान का पुराना दोस्त है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी और सीजफायर की अपील की. चीनी विदेश मंत्री ने ईरान में अपने समकक्ष से बात की. लेकिन चीन यहीं रुक गया. हमेशा की तरह बयानबाजी की गई. तनाव कम करने और बातचीत का ढिंढोरा पीटा गया.
EPFO: जानिए कैसे…….’पीएफ खाते से अब 5 लाख तक की रकम चुटकियों में निकलेगी……..
उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व की पेचीदा राजनीति को देखते हुए बीजिंग बहुत ज्यादा दखल देने का इच्छुक नहीं है. वो भी तब जब वहां पर उसका आर्थिक और ऊर्जा दांव हैं. हालांकि यहां पर उसका सैन्य प्रभाव न्यूनतम है. चीनी सरकार संतुलित, जोखिम से दूर रहना पसंद करती है. चीन वाणिज्यिक हितों को तौलता है.
‘अस्थिरता चीन के पक्ष में नहीं’
पूर्वी चीन में नानजिंग विश्वविद्यालय में डीन झू फेंग ने कहा, मध्य पूर्व में अस्थिरता चीन के हित में नहीं है. झू ने कहा, चीन के दृष्टिकोण से इजराइल-ईरान तनाव चीन के व्यापारिक हितों और आर्थिक सुरक्षा को चुनौती देते हैं और प्रभावित करते हैं. यह कुछ ऐसा है जिसे चीन बिल्कुल नहीं देखना चाहता.
मंगलवार को युद्धविराम की घोषणा के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, चीन अब ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि युद्धविराम से ईरानी तेल उत्पादन में व्यवधान को रोका जा सकेगा.
अमेरिकी एनर्जी इंफोर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की 2024 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ईरान द्वारा निर्यात किए जाने वाले तेल का लगभग 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा चीन को जाता है. ईरान द्वारा प्रदान किए जाने वाले लगभग 1.2 मिलियन बैरल तेल के बिना चीनी अर्थव्यवस्था अपने औद्योगिक उत्पादन को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर सकती है.
वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के फेलो क्रेग सिंगलटन ने कहा, कोई ड्रोन या मिसाइल के पुर्जे नहीं, कोई आपातकालीन ऋण सुविधा नहीं. सिर्फ तेहरान को शांत करने के लिए लिखे गए शब्द. रियाद को परेशान किए बिना या अमेरिकी प्रतिबंधों को आमंत्रित किए बिना.
जंग के लिए तैयार नहीं चीन
चीन की खाड़ी में मौजूदगी वाणिज्यिक है. वो युद्ध के लिए तैयार नहीं है. जब मिसाइलें उड़ती हैं तो ईरान के साथ उसकी बहुचर्चित रणनीतिक साझेदारी बयानों तक सीमित हो जाती है. बीजिंग रियायती ईरानी तेल और शांति-मध्यस्थ की सुर्खियां चाहता है. बयानों में, चीन ईरान का पक्ष लेता है और मध्यस्थता करने का वचन देता है. उसने 2023 में ईरान और सऊदी अरब के बीच एक कूटनीतिक मेल-मिलाप की मध्यस्थता की. वो ईरान के पक्ष में खड़ा रहा और बातचीत का आग्रह किया.
संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने रूस और पाकिस्तान के साथ मिलकर ईरान में परमाणु स्थलों और सुविधाओं पर हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया . उसने तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया. भले ही परिषद के एक अन्य स्थायी सदस्य अमेरिका द्वारा प्रस्ताव पर वीटो लगाना लगभग तय है.
हमले के बाद चीनी विदेश मंत्री एक्टिव
इजराइल द्वारा ईरान पर हमला करने के तुरंत बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने ईरानी समकक्ष से फोन पर बात की और उन्हें बताया कि चीन स्पष्ट रूप से इजराइल द्वारा ईरान की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के उल्लंघन की निंदा करता है.
वांग ने सामान्य कूटनीतिक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि चीन तनाव को कम करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए ईरान और अन्य संबंधित पक्षों के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है. वांग ने बाद में इजिप्ट और ओमान के विदेश मंत्री से भी बात की. दोनों मिडिल ईस्ट के अहम देश हैं.
तनाव के दौरान शी जिनपिंग ने पुतिन से भी बात की. दोनों ने ईरान के मामले में संपर्क बनाए रखने और तनाव कम करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई, लेकिन चीन किसी भी प्रत्यक्ष भागीदारी से दूर रहा. रूस ने भी संघर्ष पर मौन प्रतिक्रिया दी.
ईरान शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी वैश्विक परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में एक महत्वपूर्ण कड़ी है. वो 2023 में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हो गया, जो अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो का मुकाबला करने के लिए रूस और चीन का एक सुरक्षा समूह है. ईरान ने चीन के साथ संयुक्त अभ्यास किए हैं, जिसमें इस साल ओमान की खाड़ी में ‘समुद्री सुरक्षा बेल्ट 2025’ भी शामिल है. अभ्यास में रूस ने भी हिस्सा लिया था.
