वडोदरा। भारत में शोध एवं विकास के साथ ही वित्तीय निवेशन की आवश्यकता है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता ही तय करेगी कि हमारा डेटा सुरक्षित है या नहीं। ये कहना था, पूर्व सचिव, डिफेंस फाइनेंस, रक्षा मंत्रालय डॉ. गार्गी कौल का। वे सोमवार को गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संकाय के सामरिक प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय “नेशनल सिक्योरिटी : नेविगेटिंग इंटरसेक्शन ऑफ टेक्नोलॉजी,लॉ एंड डिफेंस” विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी।
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सेमिनार के उद्घाटन सत्र में संयोजक डॉ. श्रीश कुमार तिवारी ने कहा कि साइबर सुरक्षा हम सभी का नैतिक कर्त्तव्य है, हमें इसके लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। संकाय के अधिष्ठाता प्रो. संजय कुमार झा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्मुख चुनौतियों का परिवेश समय के साथ परिवर्तित होता रहा है।
चुनौतियों को अवसर में बदलकर सुरक्षित साइबर स्पेस निर्माण पर दिया जोर
वर्तमान में साइबर स्पेस एक नया वार फ्रंट हो गया है। हमें आवश्यकता है इन चुनौतियों को अवसर में बदलकर एक सुरक्षित साइबर स्पेस का निर्माण करने की। इस दौरान प्रथम तकनीकी सत्र में साइबर विशेषज्ञ भौमिक मर्चेंट ने प्रभावी शासन की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। दूसरे तकनीकी सत्र में पारूल विश्वविद्यालय की प्रो. दीपल पटेल ने साइबर अपराधों के मनोवैज्ञानिक पक्षों की उदाहरण के साथ व्याख्या की। उन्होंने कहा कि तकनीकी अपराध विभिन्न मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभावों को जन्म देते हैं। इस दौरान डॉ. टी के सिंह ने साइबर पॉलिसी ऑफ इंडिया के विभिन्न आयामों को सरल ढंग से समझाया।
विभाग के प्रो. अरुण विश्वनाथन ने उक्त तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की। कार्यक्रम के समापन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. एच बी पटेल ने कहा कि सुरक्षा सावधानी की अनुगामिनी है अत: साइबर सेफ भारत के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। चार सत्रों में विभाजित सेमिनार में डॉ. विश्वास रावल, डॉ. सौरभ कुमार, डॉ. अमित मुखर्जी समेत विभिन्न संकाय सदस्य उपस्थित रहें।
