India GDP growth estimates: वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ में बीते 4 साल की सबसे बड़ी सुस्ती देखने को मिल सकती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत था। यह अनुमान राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) का है। बता दें कि कोरोना महामारी के बाद से यह सबसे धीमी वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर है। बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान वृद्धि दर निगेटिव में -5.8% पर आ गई थी। ये वो वक्त था जब देश में लॉकडाउन की वजह से सबकुछ ठप पड़ा था।
हेल्थ इंश्योरेंस पर घट सकती है GST, 35% स्लैब पर अभी कोई फैसला नहीं!
आरबीआई के अनुमान से भी कम
एनएसओ का चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी के 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान जताया है।
घर बैठे तुरंत पाएं ₹10 लाख तक का लोन!
मोबाइल नंबर एंटर करें
GVA के अनुमान में भी गिरावट
इसके अलावा ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) की अनुमानित वृद्धि दर भी 2024-25 में धीमी होकर 6.4% पर आ गई है, जबकि 2023-24 में यह 7.2% थी। जीडीपी की तरह GVA भी 2020-21 के बाद से सबसे निचले स्तर पर था। तब GVA -4.1% तक गिर गया था। नॉमिनल GVA की बात करें तो यह ₹168.91 लाख करोड़ होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह ₹158.74 लाख करोड़ था। आपको बता दें कि GVA से किसी इकोनॉमी में होने वाले टोटल आउटपुट और इनकम का पता चलता है।
सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2025 के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यानी वित्त वर्ष 2024 के दौरान 1.4% की वृद्धि देखी गई थी। इस बीच, निर्माण क्षेत्र के अलावा वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर के नॉमिनल जीवीए में वित्त वर्ष 2025 के दौरान क्रमशः 8.6% और 7.3% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
रिजर्व बैंक पर दबाव
यह आंकड़े बढ़ती आर्थिक अनिश्चितताओं और जियो पॉलिटिक्स के जोखिमों के बीच आए हैं। बता दें कि पहले से ही कुछ अर्थशास्त्रियों ने अपने पूरे साल के अनुमानों को कम किया है और केंद्रीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती का अनुमान लगाया जा रहा है। बीते 29 नवंबर को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 के जुलाई-सितंबर के दौरान विकास दर सात-तिमाही के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद रेपो रेट को कम करने की मांग तेज हो गई। मई में हुए आम चुनावों की वजह से सरकारी खर्च में कमी के कारण पिछली तिमाही की विकास दर में गिरावट आई थी। कॉमट्रेड के विश्लेषक अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि इसका असर पूरे साल के अनुमानों पर पड़ा।