इस बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिल रहा है. बिहार और झारखंड में कई सेवाएं प्रभावित हुई हैं. झारखंड में बस सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ बस अड्डों से बसें बाहर नहीं निकल पाई हैं.
बिहार के जहानाबाद में बंद समर्थक सड़कों पर नारेबाज़ी करते दिख रहे हैं. बिहार के ही आरा में बंद समर्थक रेलवे लाइनों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. राजस्थान के कई शहरों में दुकाने बंद हैं. बंद का असर कई राज्यों में साफ़ दिख रहा है.
प्रदर्शनकारियों ने बिहार संपर्क एक्सप्रेस को दरभंगा में रोक दिया है. हालांकि उत्तर प्रदेश में बंद का बहुत असर देखने को नहीं मिल रहा है. जहाँ बीजेपी की सरकार है, वहाँ बंद का असर कम बताया जा रहा है.
दलित संगठनों के अलावा अलग-अलग राज्यों में कई राजनीतिक दलों ने भी इसका समर्थन किया है.
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर सरकार से संविधान संशोधन करने की मांग की और भारत बंद को बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण तरीक़े से किए जाने की अपील की है.
मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने भारत बंद के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं से पार्टी के झंडे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से शामिल होने की बात कही.
इस बीच बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने इस बंद का समर्थन किया है जबकि केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इसे ‘विपक्ष का भारत बंद’ कहा.
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सरकार का क्या कहना है?
विपक्षी पार्टियों के भारत बंद पर केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बुधवार को कहा, ”एससी, एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के दो भाग हैं. एक विषय क्रीमी लेयर का है और दूसरा अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण का. इन दो विषयों में से एक में सुप्रीम कोर्ट ने ऑब्जर्वेशन दिया है. ये निर्णय का हिस्सा नहीं होता.”
अर्जुन राम मेघवाल ने बताया, ”जब बीजेपी के एससी-एसटी के सांसदों को ऐसा लगा कि विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि एससी-एसटी में भी क्रीमी लेयर आ गया. इसके लिए उन्होंने 9 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन दिया. प्रधानमंत्री ने कैबिनेट में फ़ैसला करके कहा कि क्रीमी लेयर एससी-एसटी में लागू नहीं है और इस फ़ैसले का हिस्सा भी नहीं है.”
क़ानून मंत्री ने कहा, ”दूसरा हिस्सा दिशा का है और इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य चाहें तो वे उप-वर्गीकरण कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए दो शर्त लगाई कि डेटा इकट्ठा करना होगा और जिसको भी आरक्षण दिया जा रहा है, उसको 100 फ़ीसदी नहीं दिया जा सकता. विपक्ष के लोग अनावश्यक रूप से इस विषय पर भ्रम फैला रहे हैं.”
उधर बंद को देखते हुए राजस्थान के कई ज़िलों में प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. प्रदेश के कई ज़िलों में शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश जारी किया गया है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और प्रशासन को बंद के दौरान किसी प्रकार की हिंसा न होने की हिदायत दी गई है.
मध्य प्रदेश में प्रशासन ने भारत बंद के दौरान विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं.
ग़ौरतलब है कि इससे पहले दो अप्रैल 2018 को दलित संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद में कई जगह हिंसा हुई थी और मध्य प्रदेश में छह लोगों की मौत हो गई थी.
यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारत बंद को लेकर क्या माहौल है और प्रशासन की क्या तैयारियां हैं, बीबीसी संवाददाताओं की टीम ने इसका जायजा लिया-
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती और आज़ाद समाज पार्टी के चन्द्रशेखर ने बंद का समर्थन किया है.
मायावती ने एक्स पर लिखा, “एक अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ एससी-एसटी के पू्र्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने हेतु केन्द्र संविधान संशोधन करे, जिसको लेकर कल (21 अगस्त) इन वर्गों द्वारा भारत बंद का अह्वान किया है.”
उन्होंने बंद को शांतिपूर्ण तरीके़े से करने की अपील की.
पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने कहा कि ‘बसपा के काडर पार्टी का झंडा लेकर इस बंद का समर्थन करेंगे.’
उन्होंने एक्स पर लिखा, “आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एससी-एसटी समाज में काफ़ी ग़ुस्सा है… 21 अगस्त को इसका शांतिपूर्ण तरीक़े से करारा जवाब देना है.”
सरकार की तरफ़ से इस बंद को लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
लखनऊ पुलिस ने 17 अगस्त को ही धारा 163 (पूर्व में 144) लगा दिया है. ये निषेधाज्ञा 14 सितंबर तक लगाई गई है.
लखनऊ पुलिस ने अपने बयान में कहा, “बिना अनुमति के निर्धारित धरना स्थल को छोड़कर अन्य किसी भी स्थान पर धरना प्रदर्शन के अलावा ड्रोन शूटिंग, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी का प्रवेश और घातक पदार्थ लेकर आवाजाही प्रतिबंधित है.”
प्रशासन इस बंद को लेकर काफ़ी चौकसी बरत रहा है और संवेदनशील ज़िलों मे अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. सरकार की तरफ़ से प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है.
कई जगह ज़िलाधिकारियों नें संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी तरह की हिंसा ना हो और ये प्रदर्शन शांतिपूर्वक निपट जाए.
शाहजहांपुर के ज़िलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने कहा, “बंद को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराना हमारी प्राथमिकता है और सभी लोग क़ानून का पालन करते हुए अनुशासित होकर अपनी बात रखें.”