सस्ते कर्ज का समय फिर लौटने वाला है. रिजर्व बैंक ने इसकी शुरुआत फरवरी की एमीपीसी बैठक में कर दी है और माना जा रहा है कि अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तवर्ष में रेपो रेट को और घटाया जा सकता है. इसका सीधा फायदा होम और ऑटो जैसे खुदरा लोन पर पड़ेगा. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि घर खरीदने वालों के लिए अब सही समय आ रहा है, जहां उन्हें होम लोन पर 0.75 फीसदी तक कम ब्याज देना पडे़गा. इससे ईएमआई का बोझ भी कम हो जाएगा.
क्रिसिल इंडिया आउटलुक 2025 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025-26 के दौरान बेंचमार्क दरों में 50-75 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है, ताकि खपत को समर्थन मिल सके और उधार लेने की लागत कम हो सके. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम ब्याज दरों से खपत को थोड़ी मदद मिलने की उम्मीद है, क्योंकि ये धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में अन्य ब्याज दरों पर भी असर डालेंगी, जिससे उधार लेने की लागत कम हो जाएगी.
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फरवरी से शुरू हो गया सिलसिला
केंद्रीय बैंक ने फरवरी की मौद्रिक नीति के दौरान रेपो दर को 25 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.25 फीसदी घटा दिया था, जो लगभग पांच वर्षों में पहली बार कम हुआ है. यह कदम 11 लगातार नीतियों के दौरान रेपो दर को 6.50 फीसदी पर बनाए रखने के बाद उठाया गया था. मई 2022 से फरवरी 2023 तक आरबीआई ने रेपो दर को 2.50 फीसदी बढ़ाया था. अप्रैल 2023 से रेपो दर 6.50 फीसदी पर स्थिर था, ताकि महंगाई पर नियंत्रण रखा जा सके और इसे मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 प्रतिशत के भीतर लाया जा सके.
विकास दर भी तेज रहेगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष में विकास स्थिर रहेगी, जबकि सरकार वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 फीसदी के संशोधित अनुमान से घटाकर 4.4 फीसदी करने की कोशिश करेगी. भारतीय अर्थव्यवस्था ने दिसंबर तिमाही में 6.2 फीसदी की वृद्धि दर हासिल की, जो जुलाई-सितंबर अवधि में सात तिमाही के निचले स्तर 5.6 फीसदी पर थी. अधिकांश वृद्धि कृषि और सेवा क्षेत्र से आई. खर्च के मामले में, निजी और सरकारी खपत दोनों में वृद्धि देखी गई, लेकिन पूंजी निर्माण 5.7 फीसदी पर स्थिर रहा, जो पिछली तिमाही में 5.8 फीसदी था.
