राजस्थान हाईकोर्ट ने शहरी निकाय-पंचायत चुनाव के लिए अंतिम तारीख तय कर दी, लेकिन धरातल पर इन चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे ही शुरू नहीं हो पाया है। वजह, पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया अटकी हुई और शहरी निकाय क्षेत्रों में भी सर्वे के लिए आधे जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं हुए। कई जिले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) कार्य में व्यस्तता का हवाला देकर सर्वे के लिए कर्मचारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। इसके चलते ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग की रिपोर्ट में देरी हो रही है।
हालांकि ओबीसी (राजनीतिक आरक्षण) आयोग ने आमजन से संवाद का संभागवार कार्यक्रम जारी कर दिया, जो सोमवार को शुरू होगा और 8 दिसंबर तक चलेगा।
सरकार तैयार पर आयोग स्तर पर हो रही है देरी
शहरी विकास राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा बार-बार बयान दे रहे हैं कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आते ही वार्डों के आरक्षण की लॉटरी जारी कर दी जाएगी, जिसका संदेश साफ है सरकार तो चुनाव के लिए तैयार है आयोग स्तर पर रिपोर्ट में देरी हो रही है।
इस बारे में पड़ताल की तो सामने आया कि पंचायतों के परिसीमन की अधिसूचना जारी नहीं होने से आयोग वहां ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे कराने में ही असमर्थ है। वजह साफ है सीमा तय हुए बिना सर्वे कहां का किया जाए।
उच्च अधिकारी आयोग का फोन तक नहीं उठाते
स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव के परिसीमन का कार्य पूरा कराने के लिए कोर्ट ने 31 दिसंबर की डेडलाइन तय की है और इसी दिन ओबीसी आयोग का कार्यकाल पूरा हो रहा है। आयोग का अब तक का समय बजट, गाड़ी व सर्वे कार्य के लिए कर्मचारी जुटाने में की मांग में ही बीत गया।
इसके चलते आयोग राजनीतिक दलों से संवाद, रिपोर्ट के लिए डेटा जुटाने जैसे कार्य ही पूरे कर पाया है। कई बार तो स्थिति यह सामने आई कि आयोग प्रतिनिधियों तक का नोडल बनाए गए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उच्च अधिकारियों ने फोन भी नहीं उठाया।
एसआइआर में व्यस्तता का दिया हवाला
उधर, शहरी निकायों के परिसीमन की अधिसूचना तो जारी हो गई, लेकिन आयोग ने सर्वे के लिए जिलों से नोडल अधिकारियों की सूचना मांगी तो करीब 18 जिलों ने आयोग को कोई जवाब ही नहीं भेजा।
वहीं जिन 23 जिलों ने नोडल अधिकारी बना दिए, उनका आयोग ने प्रशिक्षण करवा दिया। इस बीच कुछ जिले कर्मचारियों की एसआइआर में व्यस्तता का तर्क देकर कर्मचारी उपलब्ध कराने में असमर्थता जता चुके।





