देश में बढ़ती खाद्य महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है, ऐसे में ये सरकार के लिए भी चुनौती बनी हुई है. लेकिन अब सरकार खाद्य मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने जा रही है. इसके लिए सरकार आवश्यक वस्तुओं की सूची में 16 नए नामों को शामिल करने पर विचार कर रही है. दरअसल, सरकारी की योजना सब्जियों को भी निगरानी सूची में डालने की है. क्योंकि आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल चीजों की कीमतों पर सरकार नजर रखती है. ऐसा करने से इनकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है. यही नहीं कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी होने पर भी सरकार दाम को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप भी करती है.
बता दें कि खाने-पीने की चीजों में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव सब्जियों की कीमतों में देखने को मिलता है. इसलिए सरकार मूल्य निगरानी वाली 16 नई संभावित वस्तुओं में सब्जियों को शामिल करने जा रही है. गौरतलब है कि फिलहाल सरकार इस सूची में शामिल सिर्फ 22 वस्तुओं की कीमतों की ही निगरानी करती है. अब इस सूची में 16 नाम और जुड़ने जा रहे हैं. इसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 38 हो जाएगी.
कीमतों को नियंत्रित करने में मिलती है मदद
इस सूची में शामिल जरूरी वस्तुओं की कीमतों होने वाले फेरबदल पर सरकार नजर रखती है. इससे सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर इनके पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन कर सकेगी. बता दें कि देशभर के 167 केंद्रों से इन वस्तुओं के थोक और खुदरा कीमतों को रोजाना एकत्रित किया जाता है. इसके बाद इनका विश्लेषण किया जाता है. आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने पर सरकार हस्तक्षेप करके कीमतों को नियंत्रित करती है. इन हस्तक्षेपों को मूल्य स्थिरीकरण कोष अथवा मूल्य समर्थन योजना जैसी स्कीमों के जरिए आगे बढ़ाया जाता है.
मई में कम हुई खुदरा महंगाई
बता दें कि मई के महीने में थोक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई. तो वहीं खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 फीसदी पर आ गई है. जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.83 फीसदी थी. वहीं, एक साल पहले यानी मई, 2023 में यह 4.31 फीसदी रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.69 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8.70 प्रतिशत थी.
यानी एक महीने में इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई. वहीं कुल मुद्रास्फीति में फरवरी, से लगातार गिरावट जारी है. फरवरी में यह 5.1 फीसदी थी जबकि अप्रैल में ये घटकर 4.8 फीसदी पर आ गई. बता दें कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई मुद्रास्फीति दो प्रतिशत के उतार-चढ़ाव के साथ चार फीसदी पर बनी रहे.