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April 24, 2025 5:36 pm

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ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही सरकार……’2000 रुपये से अधिक के UPI लेनदेन पर GST का दावा अफवाह……

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सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स यूपीआई से संबंधित एक पोस्ट को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि वित्त मंत्रालय यूपीआई पर 2000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा शुल्क (GST) लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। कई यूजर्स के मुताबिक, सरकार की योजना 18 फीसदी जीएसटी लगाने की है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। फिलहाल इस सेवा का इस्तेमाल करते हुए एक खाता से दूसरे खाता में पैसे भेजने पर किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता है और वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, सरकार इस सेवा पर किसी तरह का शुल्क लगाने पर कोई विचार नहीं कर रही है। मंत्रालय ने ऐसे किसी प्रस्ताव के दावे को खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से झूठ और आधारहीन बताया है।

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क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Vijay Kumar’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “वित्त मंत्रालय 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने पर विचार कर रहा है।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

यूपीआई एक यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस है, जिसे नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 21 सदस्य बैंकों के साथ पायलट लॉन्च किया था और प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हुए ग्राहक एक खाता से दूसरे खाता में पैसे को ट्रांसफर कर सकते हैं और फिलहाल इसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होता है और यह सेवा साल के 365 दिन 24*7 काम करती है।

ऐसे में इसकी मदद से होने वाले लेनदेन पर किसी शुल्क को लगाए जाने के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक दायरे में होगी, सर्च में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट्स नहीं मिली, जिसमें ऐसे किसी प्रस्ताव का जिक्र हो।

हालांकि, सर्च में वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान मिला, जिसमें यूपीआई पर 2000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर जीएसटी लगाए जाने के बारे में प्रस्ताव पर विचार किए जाने का जिक्र है।

18 अप्रैल को जारी स्पष्टीकरण के मुताबिक, “जीएसटी मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) पर लगाया जाता है और यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर कोई एमडीआर नहीं लगता है, इसलिए इस पर कोई जीएसटी भी नहीं लगता है।” बयान में कहा गया है कि सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बताते चलें कि एमडीआर वह शुल्क होता है, जो बैंकों या कंपनियों को मर्चेंट या व्यापारी किसी लेनदेन के लिए बैंकों या भुगतान प्रॉसेस करने वाली कंपनियों को देते हैं।

बयान के मुताबिक, “सेंट्रल बोर्ड  ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने पर्सन टू मर्चेंट (P2M) यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर लगने वाले एमडीआर को 30 दिसंबर 2019 को जारी गजट अधिसूचना के तहत  हटा दिया है, जो जनवरी 2020 से प्रभाव में है।”

कई अन्य रिपोर्ट्स में भी वित्त मंत्रालय के इस बयान का जिक्र है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, “सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है” जिसमें यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर जीएसटी लगाए जाने का जिक्र हो।

हमारी पड़ताल से साफ है कि यूपीआई पर 2000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर न तो जीएसटी लगाया गया है और न ही ऐसा किए जाने संबंधित किसी प्रस्ताव पर सरकार विचार कर रही है।

वायरल पोस्ट को लेकर लेकर हमने बिजनेस स्टैंडर्ड के डिप्टी एडिटर नीलकमल सुंदरम से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है। सरकार इस अफवाह का खंडन कर चुकी है।”

गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में यूपीआई ने एक महीने में 16.58 अरब फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस का रिकॉर्ड बनाते हुए कुल कुल 23.49 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन को पूरा किया। अक्टूबर 2023 के 11.40 अरब ट्रांजैक्शंस के मुकाबले सालाना आधार पर 45% की जबरदस्त वृद्धि रही। इसके बाद यूपीआई कुल ट्रांजैक्शंस और लेनदेन की रकम के मामले में लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। जनवरी 25 में यूपीआई ने रिकॉर्ड करीब 17 बिलियन ट्रांजैक्शंस संख्या के साथ कुल 23.48 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन को पूरा किया।

2016 को 21 बैंकों के साथ इसका पायलट लॉन्च हुआ था और इसके बाद से बैंकों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। फरवरी 2017 में बैंकों की संख्या बढ़कर 44 हुई और फरवरी 25 में इस प्लेटफॉर्म पर कुल 652 बैंक लाइव या उपलब्ध हैं, जिनके उपभोक्ता यूपीआई के जरिए आसान भुगतान सेवा का लाभ उठा रहे हैं।

इससे पहले भी यूपीआई से संबंधित एक दावा वायरल हुआ था, जिसमें इसके बंद होने का जिक्र था। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया था, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

यूपीआई और बिजनेस और अर्थव्यवस्था से जुड़े अन्य मामलों की विस्तृत जानकारी प्रदान करती एक्सप्लेनर रिपोर्ट को विश्वास न्यूज के एक्सप्लेनर सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।

वायरल दावे को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब दो हजार लोग फॉलो करते हैं और इस प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है।

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