यौन शोषण के आरोप के बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन में पुलिस की एंट्री बैन कर दी थी।
पश्चिम बंगाल गवर्नर आनंद बोस से जुड़े सेक्शुअल हैरेसमेंट केस में कोलकाता पुलिस ने राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। शनिवार (18 मई) को हुई कार्रवाई में पुलिस ने एसएस राजपूत, कुसुम छेत्री और संत लाल का नाम शामिल किया है।
इन तीनों को बंगाल पुलिस ने CCTV फुटेज के जरिए पहचाना है। इन पर 2 मई को छेड़छाड़ की घटना के बाद राजभवन की महिला कर्मचारी को गलत तरीके से रोकने का आरोप है।
राजभवन में ही काम करने वाली शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया था कि घटना के बाद उसे स्टाफ ने पकड़ लिया था। 2 मई को उस पर चुप रहने के लिए दबाव डाला गया। पीड़ित इस मामले में पहले ही एक मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत बयान दर्ज करा चुकी है।
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राज्यपाल पर लगे यौन शोषण के 2 आरोप…
- पहला महिला स्टाफ ने लगाया :
- 2019 से राजभवन में संविदा पर काम कर रही महिला ने 3 मई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि वह 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी। तब राज्यपाल ने बदसलूकी की। अगले दिन फिर यही हुआ तो वह राजभवन के बाहर तैनात पुलिस अधिकारी के पास शिकायत लेकर गई।
- दूसरा क्लासिकल डांसर ने लगाया :
- एक ओडिसी क्लासिकल डांसर ने दिल्ली के एक 5 स्टार होटल में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। शिकायत अक्टूबर 2023 में दर्ज कराई गई थी। 14 मई को मामला सामने आया। ओडिसी डांसर ने अपनी शिकायत में बताया कि वह विदेश यात्रा से जुड़ी दिक्कतों को लेकर राज्यपाल से मदद मांगने गई थी।
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- राज्यपाल ने CCTV फुटेज की स्क्रीनिंग की थी
- आनंद बोस ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने 9 मई को 100 आम लोगों को 2 मई का सीसीटीवी फुटेज दिखाया। राज्यपाल ने राजभवन के दोनों गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरा के 2 मई शाम 5:30 बजे के फुटेज की स्क्रीनिंग की। एक घंटे के वीडियो में वह महिला भी नजर आई थी, जिसने राज्यपाल पर उत्पीड़न का आरोप लगाया।
- राज्यपाल के खिलाफ अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं हुआ
- सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक संविधान के आर्टिकल 361 (2) के तहत राज्यपाल के पद पर होने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला नहीं चलाया जा सकता। इसके अलावा आर्टिकल 361 (3) के तहत राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ गिरफ्तारी या जेल भेजने की कार्रवाई नहीं हो सकती।
- इतना ही नहीं अनुच्छेद-361 (2) के पहले प्रावधान के तहत राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कोई नया आपराधिक मामला भी दर्ज नहीं हो सकता। लेकिन, उनसे जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के साथ जांच भी हो सकती है।
ऐसे आरोपों के बाद राज्यपाल के इस्तीफे या कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यपाल के खिलाफ नए सिरे से मामला दर्ज हो सकता है। अनुच्छेद-361 (3) के प्रावधानों के तहत राज्यपाल बनने से पहले कोई मामला दर्ज हुआ है तो उनके पद पर रहने तक उन पर भी रोक लग जाती है। यानी पुराने मामलों में भी चार्जशीट, गिरफ्तारी और जेल का एक्शन नहीं हो सकता।
- ममता बनर्जी ने कहा था- राज्यपाल के पास बैठना भी पाप
- बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने 11 मई को हावड़ा में एक रैली में कहा था कि राज्यपाल आनंद बोस के बारे में अभी तक सब कुछ सामने नहीं आया है। एक और वीडियो और पेन ड्राइव है। ममता ने कहा- अगर अब राजभवन बुलाया जाएगा तो मैं नहीं जाऊंगी। अगर राज्यपाल मुझसे बात करना चाहते हैं तो वह मुझे सड़क पर बुला सकते हैं। मैं उनसे वहीं मिलूंगी। उनके पास बैठना भी अब पाप है।