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December 26, 2024 4:30 pm

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फरीदाबाद: बताया रेप केस में फंसा है बेटा, AI से सुनाई रोते हुए आवाज, ठग लिए 46 लाख,

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फरीदाबाद: अमेरिका में जॉब कर रहे फरीदाबाद के युवक की गिरफ्तारी का डर दिखाकर मां से करीब 46 लाख रुपये ठग लिए गए। जालसाजों ने फोन कर महिला से पूछा कि क्या आपका बेटा अमेरिका की आईटी कंपनी में इंजीनियर है? महिला ने हां कहा, जिसके बाद ठगों ने अपना जाल बिछा दिया। कहा गया कि यह कॉल अमेरिका पुलिस से है। रेप केस में आपके बेटे को अमेरिकन पुलिस ने पकड़ा है। उसका पासपोर्ट, कार और फोन पुलिस के कब्जे में है। बेटे को बचाने के नाम पर मां से कई बार में लगभग 46 लाख रुपये अलग-अलग अकाउंट में जमा करवा लिए गए। इतना ही नहीं, ठगों ने AI (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) की मदद से बेटे की आवाज भी सुनाई। आरोपियों ने युवक के माता-पिता को डराकर तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। पीड़ित दंपती की शिकायत पर मामले में साइबर थाना सेंट्रल में केस दर्ज किया गया है।

सेक्टर-15ए में रहने वाले रिटायर्ड बैंक अधिकारी ने पुलिस को बताया कि वह यहां अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनका बेटा विदेश में आईटी इंजीनियर है। दंपती ने बताया कि उनके पास वट्सऐप पर 12 दिसंबर को कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को अमेरिका की पुलिस का अधिकारी बताया। पहले पूछा कि आपका बेटा यूएस में है। पीड़ित दंपती ने हां कहा तो उन्होंने बातों में फंसा लिया और रुपये ऐंठ लिए।

तीन दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट
पीड़ित ने बताया कि कॉल पर उन्होंने आरोपियों से बेटे से बात कराने को कहा। उनकी बात करवाई गई तो कॉल पर काफी तेज-तेज रोने की आवाज आने लगी, जिसके तुरंत बाद खुद को अमेरिकन पुलिस अधिकारी बताने वाले शख्स ने फोन ले लिया। कॉल करने वालों ने कहा कि इस बारे में किसी को बताया तो उनके बेटे के साथ अच्छा नहीं होगा।

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ठगों ने उन्हें धमकाया

पीड़ित दंपती ने बताया कि ठगों ने उन्हें धमकाया तो वह डर गए। तीन दिन तक लगातार कॉल पर ही आरोपी उनके साथ जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने उनके बेटे को रेप केस से बचाने के लिए कई बार में अलग-अलग अकाउंट नंबर देकर 46 लाख रुपये 12 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच में ट्रांसफर करा लिए। पैसे देने के बाद अपने बेटे से बात करने की कोशिश की तो संपर्क हुआ नहीं। उनके बेटे ने कॉल बैक किया, तब ठगी का पता चला।

क्या है डिजिटल अरेस्ट
आमतौर पर अरेस्ट का मतलब है गिरफ्तारी या किसी को गिरफ्तार कर लेना। इसके आगे डिजिटल जुड़ जाना, यानी किसी व्यक्ति को डिजिटली गिरफ्तार कर लेना है। दरअसल ठगी के इस नए हथकंडे के जरिए लोगों को विडियो कॉलिंग और कॉलिंग के जरिए ब्लैकमेल किया जाता है। इसमें साइबर अपराधी नकली पुलिस अधिकारी या अन्य एजेंसी के जांच अफसर बनकर लोगों को धमकाते हैं। तकनीक के सहारे बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन या अन्य कोई ऑफिस क्रिएट कर लेते हैं। इससे सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि मानो कोई पुलिस अधिकारी थाने में बैठकर ही बात कर रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान पीड़ित को लगातार ऑनलाइन संपर्क में रहने को कहा जाता है।

डरें नहीं, तुरंत शिकायत करें
एसीपी साइबर क्राइम अभिमन्यु गोयत ने बताया कि पहले साइबर अपराधी लोगों को कॉल कर कहते हैं कि आपके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी क्राइम के लिए किया गया है। आरोपी मनगढ़ंत आरोप लगाते हैं और गिरफ्तारी का दिखाकर पीड़ितों से पैसे वसूलते हैं। पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य ने बताया कि आमतौर पर पुलिस, सरकारी एजेंसी और अधिकारी इस तरह से कॉल करके डराते-धमकाते नहीं हैं।

पहले कॉल करने वाले की पहचान करें।

आपको ऐसी कोई कॉल आती है तो पहले कॉल करने वाले की पहचान करें। इस तरह के फर्जी कॉल आने पर किसी भी परिस्थिति में अपनी गोपनीय जानकारी नहीं दें। खासतौर पर बैंक खाते, पैन कार्ड या आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी न बताएं। जब भी कोई आपके ऊपर इस तरह के आरोप लगाए तो पुष्टि के लिए ऑफिशल चैनल के माध्यम से सरकारी एजेंसियों या अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करें। इसके साथ ही ऐसा होने पर तुरंत थाने में जाकर शिकायत करें। https://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करवाएं।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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