अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चर्चा इस समय अगर दुनिया में सबसे ज्यादा कहीं हो रही है, तो वह भारत और पाकिस्तान में हो रही है. इसकी वजह भी साफ है, भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर पनपे तनाव को कम करने और सीजफायर कराने का श्रेय उन्होंने खुद को दिया है. दोनों देशों के बीच सीजफायर करने के लिए उन्हें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी, उनका सिर्फ ये कहना ‘वॉर रोको’ नहीं तो अमेरिका ‘ट्रेड रोक’ देगा कहने भर से ही काम हो गया. ऐसे में आम लोगों का ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर भारत के लिए अमेरिका से ट्रेड करना ज्यादा जरूरी है या पाकिस्तान से बदला लेना?
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड
भारत के लिए अमेरिका से व्यापार करना कितना जरूरी है? दोनों देशों का व्यापारिक रिश्ता कैसा है? अगर इस बात को समझना है तो हमें पहले कुछ आंकड़ों को देखना होगा. भारत के कुल विदेशी व्यापार में अमेरिका उसका सबसे बड़ा पार्टनर है. इसके बाद चीन का नंबर आता है. 2024 में भारत और अमेरिका के बीच टोटल 129.2 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. जबकि चीन के साथ ये आंकड़ा करीब 118 अरब डॉलर का है.
इस पूरे व्यापार में एक बड़ा पेंच है कि भारत अमेरिका को एक्सपोर्ट ज्यादा करता है, जबकि अमेरिका से इंपोर्ट कम करता है. 2024 के डेटा को देखें तो भारत ने अमेरिका में 87.4 अरब डॉलर का सामान भेजा, जबकि वहां से सिर्फ 41.8 अरब डॉलर का सामान ही आयात किया. इस तरह अमेरिका के साथ व्यापार करने में भारत के पास अपर हैंड है और उसे इससे मुनाफा भी हो रहा है. इसलिए अमेरिका के साथ व्यापार भारत के लिए अहम है. (सभी आंकड़े Office of the US Trade Representative की वेवसाइट से लिए गए हैं.
अमेरिका का भारत के साथ ट्रेड को लेकर नजरिया इसलिए भी अलग हो सकता है, क्योंकि अमेरिका का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर मेक्सिको है. इसके बाद कनाडा और चीन का नंबर है. इस लिस्ट में भारत तो 10वें नंबर पर आता है. इसके बावजूद अमेरिका को भारत के साथ व्यापार में हर साल करीब 45.7 अरब डॉलर का नुकसान होता है. हो सकता है कि भारत को ट्रेड रोकने की धमकी देने के पीछे डोनाल्ड ट्रंप का ये दर्द भी रहा हो.
किस-किस चीज का होता है व्यापार?
अब एक नजर भारत और अमेरिका के बीच होने वाले गुड्स एवं सर्विस के ट्रेड पर डालें, तो India Brand Equity Foundation के मुताबिक भारत हर साल अमेरिका को कुल 7,346 तरह के सामान का एक्सपोर्ट करता है. जबकि भारत वहां से सिर्फ 5,749 कमोडिटीज का आयात करता है.
अब अगर ये देखें कि अमेरिका सबसे ज्यादा कौन-सा सामान भारत से मंगाता है, तो United Nations Comtrade के आंकड़ों के हिसाब से 12.36 अरब डॉलर सिर्फ मोती और रत्न-आभूषण के आयात पर अमेरिका खर्च कर देता है. वहीं 12.08 अरब डॉलर इलेक्ट्रिकल मशीनरी और अन्य सामान पर और 10.97 अरब डॉलर का फार्मास्युटिकल इंपोर्ट करता है.
वहीं भारत वहां से सबसे ज्यादा खनिज तेल मंगाता है. ये करीब 12.96 अरब डॉलर का इंपोर्ट है. वहीं कच्चे मोती, लैबग्रोन डायमंड इत्यादि का इंपोर्ट 5.16 अरब डॉलर का रहा है. इसके अलावा भारत की इंपोर्ट बास्केट में न्यूकिलियर रिएक्टर्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, लेंस और अन्य सामान शामिल है.
ट्रेड में ‘अडंगा’ लगने के नुकसान
ऊपर दिए गए आंकड़ों से इतना तो साफ है कि अमेरिका के साथ व्यापार में भारत को फायदा ज्यादा है, और नुकसान कम. लेकिन अगर इस ट्रेड पर कोई अड़ंगा लग जाता है, तो अमेरिका की सेहत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत का विदेशी व्यापार चौपट हो जाएगा. ऐसे में भारत के लिए अमेरिका के साथ बने रहना ज्यादा अहम हो सकता है. वहीं भारत अमेरिका से खनिज तेल का आयात करता है, जो देश की ग्रोथ के लिए बहुत अहम है.
अगर इस व्यापार पर अड़ंगा लगता है, तो पहले तो भारत को अमेरिका से मिलने वाले कच्चे तेल में कमी आएगी. वहीं अमेरिका अन्य देशों को भी इसके लिए बाध्य कर सकता है. प्रगति के इस दौर में कच्चे तेल की कमी भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है.
ट्रंप बने ‘चौधरी’, अब भारत के पाकिस्तान से बदले का क्या?
भारत और पाकिस्तान के बीच का तनाव 1947 से ही बना हुआ है. इस बार तनाव के बीच पूरे घटनाक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एंट्री अनोखी रही. पहले उन्होंने खुद को इससे किनारे कर लिया और बोला कि भारत-पाकिस्तान आपस में इसे सुलझा लेंगे. लेकिन जब मामला सुलझा नहीं, तो उन्होंने दोनों देशों के बीच ‘सीजफायर’ कराने का श्रेय ले लिया. इसके लिए उनकी ‘ट्रेड रोक देने’ की धमकी ही काम कर गई.
हालांकि उनका यूं मामले में ‘चौधरी’ बनना भारत में तो पसंद नहीं किया गया. भारत-पाकिस्तान के सीमा विवाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दिलचस्पी शुरू से ही रही है. वह कई मौकों पर ‘कश्मीर’ की समस्या को हल कराने की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन इस मसले की शुरुआत से ही भारत इसे अपने और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला बताता रहा है.
भारत-पाक तनाव में पाकिस्तान की ओर से वजह ‘कश्मीर मुद्दे’ को बताया जाता है, जबकि भारत के लिए पाकिस्तान ‘आतंकवाद का पोषक’ है. सीमा पर मौजूदा तनाव की वजह भी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला है. भारत ने इसी पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी कैंपों पर हमला बोला. इसे उसने ऑपरेशन सिंंदूर नाम दिया.
ऐसे में भारत अगर पाकिस्तान के साथ बदले की कार्रवाई को चालू रखता है, तो सबसे बड़ी बात ये है कि दोनों देशों के बीच का ट्रेड करीब 10 अरब डॉलर के बराबर की है, जबकि दूसरी ओर अमेरिका के साथ ये व्यापार करीब 100 अरब डॉलर का है. यानी 10 गुने का अंतर.
