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April 24, 2025 5:48 pm

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Explained: फिर क्यों सस्ता नहीं हुआ पेट्रोल-डीजल……’4 साल के लोअर लेवल पर कच्चा तेल……

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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल इंपोर्टर है. अपनी जरुरत का 85 फीसदी कच्चा तेल इंपोर्ट करता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें भारत की इकोनॉमी पर खासा फर्क डालती हैं. कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिलता है और देश में महंगाई बढ़ती है. भारत में मार्च 2024 के बाद से देश के चारों महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. खास बात तो ये है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 4 साल के लोअर लेवल पर आ गई है. केंद्र सरकार ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए एक्साइज ड्यूटी में इजाफा कर दिया है. उसके बाद भी आम लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई कमी नहीं की गई.

यही से बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब कच्चे तेल के दाम चार साल के लोअर लेवल पर आ गए हैें, तो देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती क्यों नहीं की गई? अगला सवाल ये है कि क्या कच्चे तेल की कीमतों से ही पेट्रोल और डीजल के दाम तय होते हैं? क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू कितनी मायने रखती है? बीते चार साल में डॉलर के मुकाबले में रुपए की वैल्यू कितनी कम हो गई है? ये वो तमाम सवाल ये है, जो भले ही आम लोगों की जिंदगी से सीधे तो नहीं जुड़े हुए हैं, लेकिन उनकी जेब पर जरूर असर डालते हैं. आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर भारत में चार साल पहले पेट्रोल और डीजल के दाम कितने थे और अब जब कच्चा तेल चार साल के लोअर लेवल पर आ गया है, तो पेट्रोल और डीजल के दाम कम क्यों नहीं हो रहे हैं?

चार के लोअर लेवल पर कच्चा तेल

इंटरनेशरनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम चार साल के लोअर लेवल पर है. आंकड़ों को देखें तो खाड़ी देशों का कच्चा तेल 1.28 फीसदी की गिरावट के साथ 67 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. जोकि करीब 4 साल के लोअर लेवल पर था. 19 अप्रैल 2021 को ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 67 डाॅलर प्रत बैरल पर कारोबार कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी क्रूड ऑयल डब्ल्यूटीआई की बात करें तो मौजूदा समय में 1.36 फीसदी की गिरावट के साथ 63.80 डॉलर प्रति बैरल पर देखने को मिल रही है. जबकि 19 अप्रैल 2021 को अमेरिकी ऑयल के दाम 63.43 डॉलर प्रति बैरल पर देखने को मिल रहे थे. खास बात तो ये है कि मौजूदा साल में कच्चे तेल की कीमतें काफी नीचे आ चुकी है. जानकारों की मानें तो मौजूदा साल में कच्चे तेल के औसतन दाम 65-66 डॉलर प्रति बैरल के बीच में रहने आसार हैं.

चार साल पहले कितने थे फ्यूल के दाम

अगर बात देश में फ्यूल की कीमतों की बात करें तो चार पहले मौजूदा समय के हिसाब से काफी कम थी. आईओसीएल के आंकड़ों के अनुसार 21 अप्रैल 2021 को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीकमत क्रमश: 90.40 रुपए और 80.73 रुपए प्रति लीटर थी. जबकि मुंबई में पेट्रोल के दाम 96.83 रुपए और डीजल की कीमत 87.81 रुपए थी. दक्षिण भारत के सबसे बड़े महानगर चेन्नई में 21 अप्रैल 2021 को पेट्रोल के दाम 92.43 रुपए और डीजल की कीमत 85.75 रुपए प्रति लीटर थी. जबकि कोलकाता में पेट्रोल और डीजल के दाम क्रमश: 90.62 रुपए और 83.61 रुपए प्रति लीटर देखने को मिली थी.

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अब कितना महंगा है पेट्रोल और डीजल
  1. मौजूदा समय में भले ही कच्चे तेल की कीमतें चार साल के लेवल पर आ गई हों, लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम चारों महानगरों में ज्यादा बनी हुई हैं.
  2. देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 21 अप्रैल 2025 को 94.77 रुपए है, जोकि चार साल पहले के मुकाबले में 4.37 रुपए ज्यादा है. वहीं डीजल के दाम 87.67 रुपए हैं, जोकि तब से 6.94 रुपए ज्यादा है.
  3. बात कोलकाता की करें तो पेट्रोल 105.01 रुपए में मिल रहा है जो 4 साल पहले के मुकाबले में 14.39 रुपए प्रति लीटर ज्यादा है. वहीं डीजल अभी 91.82 रुपए का है जोकि 8.21 प्रति लीटर महंगा है.
  4. मुंबई में मौजूदा समय में पेट्रोल की कीमत 103.50 रुपए प्रति लीटर देखने को मिल रही है, जोकि चार साल पहले के मुकाबले में 6.67 रुपए ज्यादा है. जबकि डीजल के रेट मौजूदा समय में 90.03 रुपए प्रति लीटर है, जोकि 2.22 रुपए ज्यादा महंगा है.
  5. चेन्नई में पेट्रोल के दाम मौजूदा समय में 100.80 रुपए प्रति लीटर देखने को मिल रहे हैं, जोकि चार साल पहले के मुकाबले में 8.37 रुपए महंगा है. वहीं डीजल के दाम 92.39 रुपए प्रति लीटर हैं, जो चार साल पहले के मुकाबले में 6.64 रुपए महंगा है.
गिरता रुपया है सबसे बड़ा कारण

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि कच्चा तेल जब 4 साल के लोअर लेवल पर है, तो पेट्रोल और डीजल की कीमत में गिरावट क्यों नहीं. उसका सबसे बड़ा कारण है डॉलर के मुकाबले में गिरता हुआ रुपया. चार साल पह​ले यानी 21 अप्रैल 2021 को डॉलर के मुकाबले में रुपए का लेवल 75.43 पर था. जो मौजूदा समय में 85 के लेवल पर आ गया है. इसका मतलब है कि रुपए में डॉलर के मुकरबले में 10 रुपए से ज्यादा यानी करीब 13 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वो भी तब जब लगातार 5वें दिन रुपए में डॉलर के मुकाबले में इजाफा देखने को मिल रहा है. जानकारों की मानें तो बीते कुछ सालों में डॉलर के मुकाबले में रुपए में काफी गिरावट देखने को मिली है. जिसकी वजह से विदेशी सामान सस्ता होने के बाद भी भारत को उसे खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं.

कैसे असर डाल रही रुपए में गिरावट

इसे आम लोगों की भाषा में कैलकुलेशन से समझने की कोशिश करते हैं. 19 अप्रैल 2021 को ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 67.05 डॉलर प्रति बैरल पर थे. जब एक डॉलर की वैल्यू 75.43 रुपए थी. इसका मतलब है कि एक बैरल ऑयल खरीदने के लिए भारत को 5,057 रुपए खर्च करने पड़ते थे. मौजूदा समय में भले ही एक बैरल ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 66.97 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हों, लेकिन एक डॉलर की वैल्यू 85 रुपए पर आ चुकी है. इसका मतलब है कि भारत को एक बैरल क्रूड ऑयल खरीदने के लिए 5,692 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. इसका मतलब है कि सेम प्राइस पर भारत को चार के साल के बाद 635 रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं. यही कारण है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को ऑयल खरीदने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है.

क्या कहते हैं जानकार?

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि भले ही कच्चे तेल की कीमतें 4 साल के लोअर लेवल पर दिखाई दे रही हों, लेकिन रुपए के मुकाबले में डॉलर की वैल्यू में ज्यादा इजाफा देखने को मिला है. यही कारण है कि भारतीय कंपनियों को सेम प्राइज पर भी ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं. मौजूदा समय में डॉलर इंडेक्स में तो तेजी के साथ गिरावट आई है, लेकिन रुपए उसी तरह की तेजी देखने को नहीं मिली है. रुपया अभी 85 के लेवल पर है. उन्होंने कहा जब तक रुपया 82 या उससे नीचे नहीं आएगा, तब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती मुमकिन नजर नहीं आ रही है.

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