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December 21, 2024 7:10 pm

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Explained: यहां समझिए सारा गणित……..’नए पेंशन सिस्टम का विरोध, क्या है कारण, कैसे हो समाधान…….

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केंद्र सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS और न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS के विवाद के बीच यूनिफाइड पेंशन स्कीम का काट देश के सामने पेश कर दिया. माना जा रहा है कि इस स्कीम के बाद पुराना विवाद खत्म हो जाएगा. लेकिन देश के कई कर्मचारी यूनियन्स सरकार के नए यूपीएस सिस्टम का विरोध कर रहे हैं. इनके मुताबिक इस सिस्टम में कई लूप होल्स हैं. ऐसे में ये लोग OPS को ही सही ठहरा रहे हैं. आइए जानते हैं आखिर इसका विरोध क्यों हो रहा है इसकी जड़ क्या है और कैसे इसका समाधान किया जा सकता है.

सरकार ने क्यों लिया फैसला

देश के दिगग्ज अर्थशास्त्रियों में शुमार अरुण कुमार ने टीवी9 हिन्दी से बातचीत में कहा कि पेंशन सोशल सिक्योरिटी का मुद्दा है. न्यू पेंशन स्कीम में लोगों का पैसा सिक्योर नहीं था. लोगों का पैसा मार्केट और दूसरे जगह निवेश किया जाता है. इसलिए तमाम तरह के विरोध को खत्म करने के लिए सरकार अब नया सिस्टम लेकर आई है. लेकिन अब इसका भी विरोध होना शुरु हो गया है. अरुण कुमार के मुताबिक देश में 60 करोड़ की लेबर फोर्स है जिनमें से 1.8 करोड़ लोग ही सरकारी सेवाओं में है. जबकि दूसरे देशों में इसकी संख्या काफी ज्यादा है. वही सरकार का पेंशन बजट भी लगातार बढ़ रहा है. ऐसे सरकार को अगर इससे निपटना है तो देश में रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा देना चाहिए.

रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना समाधान!

अरुण कुमार का कहना है कि देश में अभी तक 1930 वाला सिस्टम ही लागू है. जबकि 1930 के दौर में लोग जल्दी काम करना बंद कर देते थे. अब लोगों की उम्र बढ़ी है. माहौल बदलने के साथ-साथ अब लोग 60-70 साल तक काम करते है. जबकि रियाटरमेंट की उम्र अभी ही 58 साल ही है. ऐसे में अगर सरकार इस एज को बढ़ाती है. तो सरकार का पेंशन पर बजट कम हो जाएगा. वही पेंशन अभी केवल संगठित क्षेत्र में है. इसे असंगठित क्षेत्र के लिए भी लागू करना चाहिए. अभी 58 साल की रिटायरमेंट में अगर कोई 80 साल तक जीवित रहता है तो सरकार को उसे 22 साल तक पेंशन देना पड़ता है. अगर रिटायरमेंट की एज को बढ़ाकर 70 कर दिया जाए तो पेंशन पर सरकार का खर्च भी आधा हो जाएगा. अब आइए जानते हैं कि नए सिस्टम में क्या लूप होल है जिसकी वजह से इसका विरोध हो रहा है.

न्यूनतम 25 साल की सर्विस

सरकार के इस नए स्कीम का लाभ लेने के लिए यूपीएस में आपको एश्योर्ड पेंशन के लिए न्यूनतम 25 साल की सर्विस पूरी करनी होगी. ऐसे में अगर ​रिटायरमेंट की उम्र अगर 60 साल है, तो आपको सरकारी नौकरी में 35 साल की उम्र तक शामिल होना ही होगा. नहीं तो आपकी पेंशन मिनिमम पेंशन के ​हिसाब से एडजस्ट की जाएगी.

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जाति का फैक्टर

यूपीएस सिस्टम में दूसरा सबसे बड़ा सवाल है जाति के फैक्टर का. दरअसल अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी को सरकारी नौकरी में उम्र का रिलेक्शन मिलता है. कई राज्यों में सरकारी सेवा में शामिल होने की उम्र 40 साल तक है, तो ​उन्हें एश्योर्ड पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा. ये विरोध कई राज्यों

पेंशन कैलकुलेशन का गणित

यूपीएस में कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी के 12 महीनों के एवरेज बेसिक पे के 50 प्रतिशत के बराबर ही एश्योर्ड पेंशन के तौर पर मिलता है. जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलता था. ये उसकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 50 प्रतिशत होता था. यूपीएस में सरकार ने इसी प्रावधान को थोड़ा बदला है. अब कर्मचारी को एश्योर्ड पेंशन 50 प्रतिशत ही मिलेगी, लेकिन ये उसकी आखिरी सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर नहीं बल्कि आखिरी 12 महीनों की बेसिक सैलरी के औसत के 50 प्रतिशत के बराबर होगी. सरकारी नौकरी में कई बार कर्मचारियों को आखिरी वक्त तक प्रमोशन मिलता है जिससे उसकी आखिरी सैलरी ऊंची होती है और फिर उस हिसाब से पेंशन कैलकुलेट होती है, लेकिन यूपीएस में ये फायदा नहीं मिलेगा.

जीपीएफ का झोल

सरकार जिस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन फंड तैयार करती है, उसे जनरल प्रोविडेंट फंड कहते हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फीसदी कटता था, इस पर 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिलता था और सरकार रिटायरमेंट पर पूरा पैसा बिना टैक्स काटे वापस कर देती थी. पेंशन आखिरी के मूल वेतन का 50 फीसदी पर डीए जोड़कर मिलती थी यानी रिटायर होते समय अगर किसी का मूल वेतन 50000 है तो पेंशन बनी 25000 प्लस डीए मिलता था.

टैक्स का फायदा नहीं

सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा तो कर दी लेकिन इसमें टैक्स बेनिफिट मिलेगा या नहीं इसको लेकर कोई बात नहीं की गई है. जबकि न्यू पेंशन स्कीम में टैक्स छूट का लाभ मिलता था. न्यू पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद जब कोई कर्मचारी पैसा निकालता है तो उसकी 60 फीसदी की रकम टैक्स फ्रा हुआ करती है. बची हुई 40 फीसदी की रकम पर सैलरी के हिसाब से टैक्स देना पड़ता था. यूपीएस में इसको लेकर कोई जिक्र अभी तक नहीं किया गया है.

क्या कहता है मजदूर संघ

देश के अलग-अलग कर्मचारी यूनियन्स इसका विरोध कर रहा है. भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के इस स्कीम का स्वागत तो किया है लेकिन इसकी कुछ कमियां भी बताई है. भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री रविन्द्र हिमते के मुताबिक पुरानी पेंशन योजना की जो विशेषताएं रही वह एनपीएस में नहीं हैं. उनमें से अधिकांश को नए यूपीएस में शामिल को किया गया है लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम की तुलाना में इसमें अभी भी कुछ खामियां है. यूपीएस एक अंशदायी पेंशन योजना है जहां ओपीएस में कर्मचारी को कुछ भी योगदान नहीं करना होता है, ओपीएस में पेंशन के कम्यूटेशन की सुविधा उपलब्ध है जो एनपीएस/यूपीएस में नहीं है.

क्या है कर्मचारी यूनियन्स की दिक्कत़

कई कर्मचारी यूनियन्स सरकार की इस नई योजना का विरोध कर रहें है. दरअसल कर्मचारी यूनियन्स का कहना है कि जब न्यू पेंशन स्कीम को लाया गया था तब इसे ओल्ड पेंशन स्कीम से ज्यादा अच्छा बतााया गया था. कर्मचारी यूनियनों के मुताबिक साल 2004 में जब एनपीएस लाया गया था तब के समय भर्ती हुए लोगों को काफी कम पेंशन मिल रहा है. वही कर्मचारियों को अपना हिस्सा भी देना पड़ रहा है जो ओल्ड पेंशन में नहीं देना पड़ता था. इसके अलावा जो सबसे बड़ी दिक्कत है वो यह है कि अपना पैसा निकालने को लेकर इसपर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है.

टैक्स सिस्टम की तरह विकल्प

जैसे सरकार ने टैक्स सिस्टम में लोगों को विकल्प दिया था कि वो न्यू रिजीम या ओल्ड रिजीम में से किसी एक को चुन सकते हैं. वैसा ही कुछ यहां भी देखने को मिल रहा है, केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम में बने रहने या यूनिफाइड पेंशन स्कीम में शिफ्ट होने का विकल्प दिया है.रिटायरमेंट के बाद NPS या UPS में विकल्प चुनने का मौका एक ही बार मिलेगा. जिसे बाद में बदला नहीं जा सकेगा.

1 अप्रैल से होगा लागू

कुल मिलाकर देखा जाएं तो मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS का ऐलान करके कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने का बड़ा दांव खेला है. इसके जरिए सरकार ने चार राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष से भी एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है. लेकिन अब कर्मचारी यूनियन इसका विरोध कर रहे है. फौरी तौर पर देखा जाए तो UPS काफी हद तक पुरानी पेंशन स्कीम OPS जैसी है. यह 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी. राज्य सरकारें भी चाहें तो इस योजना को लागू कर सकती हैं.

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