जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा पर्यावरण परिसंवाद सप्ताह के 6टे दिन की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना, दीप प्रज्ज्वलित कर, इंस्टीट्यूट के कुलगीत से हुई ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जनक दीदी के स्वागत उद्बोधन में संस्थान के डॉयरेक्टर जॉर्ज थॉमस ने सभी शिक्षकों, छात्र-छात्राओं को बताया कि डॉ.जनक पलटा इंदौर का गौरव हैं , उन्हें गर्व हैं वो इस संस्थान से 1987 से जुड़ी हुई हैं और हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है । उनका सबसे महत्वपूरण संदेश है पर्यावरण संरक्ष्ण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए अपने दैनिक जीवन में कुछ प्रकृति प्रेम की आदतें अपनाएं जिनसे पृथ्वी का संरक्षण हो सके। जैसे- जूट बैग, कपड़े के थैला का उपयोग करें । हर माह एक पौधा लगाएं। दीदी को विश्वास दिलाया कि उनकी प्रेरणा से संस्थान में वृक्ष अभिभावक (प्लांट पेरेंटिंग) नाम का कैंप चलाया है जिससे कैम्पस का वातावरण स्वच्छ ब पर्यावरण हराभरा रहे।
जनक मगिलिगन ने बताया कि चण्डीगढ़ अपने माता पिता ,परिवार , अच्छी नौकरी छोडकर बहाई पायनियर के नाते इंदौर में आदिवासी महिलायों के सशक्तिकरन के उदेश्य से प्रशिक्ष्ण संस्थान बनाकर ,शुरू कर स्थापित करने आई । उन्हें डायरेक्टर नियुक्त किया, जिस का नाम उन्होंने बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान दिया । शुरू से लेकर वर्तमान तक का सफ़र दीदी ने सांझा किया साथ ही 1985 से लेकर आज तक की जीवन यात्रा का विस्तार से वर्णन किया किस तरह से उन्होंने संस्थान के मेनेजर, अपने पति स्वर्गीय श्री जिम्मी मगिलिगन के कठिन परिश्रम से 6 एकड़ की उस बंजर भूमि के सूखे कुए को रेनवाटर हार्वेस्टिंग कर , उपजाऊ और सस्टेनेबल बना कर पुनर्स्थापित किया। पहले 26 साल 500 आदिवासी गांवों में 6000 लड़किओ को सस्टेनेबल कार्यकर्ता बना कर भेजा । 2011 में दोनों ने संस्था से सेवानिवृत हो सनावादिया गाँव की एक बंजर /
चट्टान पर 1/2 एकड़ जमीन खरीद कर सस्टेनेबल घर बनाया जो , जैविक भोजन , सोलर -विंड अक्षयउर्जा आत्मनिर्भर ,कचरामुक्त, केमिकलमुक्त प्रदूष्णमुक्त ग्रीन घर है बाज़ार पर निर्भर नहीं है। उनके पति के जिम्मी के अप्रैल 2011 में दुर्घटना से अकस्मात निधन के बाद जनक दीदी ने लाखों लोगो को सस्टेनेबल डेवलपमेंट जीवन सिखाया है । आज के विषय सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर चर्चा करते हुऐ उन्होंने बताया कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के साथ, जीवन जीने के लिए सबसे पहले कच्रामुक्त और प्रदूष्णमुक्त करने के लिए प्लास्टिक , डिसपोज़ेब्ल , केमिकलमुक्त व्स्तुओ और भोजन का उपयोग करना बंद करना होगा । स्वस्थ जीवन के लिए जैविक भोजन करने की आदत डालनी होगी, साथ ही सोलर कुकिंग, सोलर ड्रायर को बढ़ावा देना पड़ेगा । उन्होंने बताया कि वो हर साल जितनी उम्र की होती अपने जन्मदिन पर पौधे लगाती है राखी या हर उत्सव पौधे गिफ्ट स्वीकार करती है। पिछले इन वर्षों लोगो के सहयोग से बरसात के मौसम में 8 पहाडीयों पर पौधारोपण कर चुकी है उन्हें बड़ा किया है । ज्यादा पेड़ लगाएं उनको बड़ा करे । इसे सस्टेनेबल जीवनशैली कहते है, जिससे जीवन को , धरती को सभी जीवो को खुशहाल बनाना है, सिंगल यूज प्लास्टिक त्याग कर जैव विविधता से और धरती को निरोग बनाना है तो ही जलवायु संकट से मुक्ति
पाएंगे ।