Explore

Search

March 14, 2025 10:59 am

दुनिया के सबसे बड़े साहित्‍योत्‍सव में डॉ. हीरा मीणा ने दो सत्रों में सहभागिता की

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

विश्‍व के सबसे बड़े साहित्‍योत्‍सव में 175 भाषाओं-बोलियों के 1100 से अधिक लेखक विद्धान और विशिष्‍ट सम्‍मानित शख्सियतों की सहभागिता के साथ साहित्‍य अकादमी के परिसर, नई दिल्‍ली में 11-16 मार्च,2024 आयोजित हुआ। 190 से ज्‍यादा सत्रों के आयोजन में विभिन्‍न भाषा-भाषी और विविध विषयों के प्रसिद्ध कवि लेखक साहित्‍यकार और विद्वतजन अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व किया।

जयपुर में अप्रूवड प्लॉट मात्र 7000/- प्रति वर्ग गज 9314188188
साहित्‍य अकादमी ने इस महोत्‍सव में आदिवासी समुदाय के रचनाकारों को भी आमंत्रित किया। जो अपनी-अपनीमातृभाषा और बोलियों में अपनी रचनाओं का पाठ किया। राजस्‍थान के मीणा आदिवासी समुदाय की मीणी मातृभाषा की रचनाकार डॉ. हीरा मीणा को आदिवासी लेखक सम्मिलन सत्र में कविता पाठ एवं आदिवासी रहन-सहन, बोली-भाषा, रीति-रिवाज, रूढि-प्रथाएं, अस्मिता और अस्तित्‍व के साथ प्रकृति संरक्षण करते हुए जीवों और जीने दो के सिद्धांत की मूल भावनाओं को आदिवासी जीवनशैली और चिंतन पर व्‍यक्‍तव्‍य दिया।

बहुभाषी भारत एक जीवंत परंपरा के तहत देशभर की मातृभाषाओं और बोलियों के अस्तित्‍व पर मंडराते संकट के कारण लुप्‍त और मृतप्राय होने से बचाने के लिए साहित्‍य अकादमी दिल्‍ली के साहित्‍य उत्‍सव द्वारा इस बार देश भर के विभिन्‍न भाषा-भाषी आदिवासी और गैर आदिवासी भाषाओं के कलमकारों को विशेष रूप से आमंत्रित कर उनकी मातृभाषाओं को दर्ज किया गया हैं।

दूसरा सत्र मेघदूत परिसर में डॉ. हीरा मीणा एवं उनके साथ 150 से अधिक लेखकों ने सहभागिता दर्ज करते हुए विश्‍व रिकार्ड बनाया। इस सत्र में डॉ. हीरा मीणा ने बताया कि यूनेस्‍को द्वारा घोषणा की गई थी कि इस सदी के अंत तक 90 प्रतिशत भाषाएं समाप्‍त हो जाएगी। प्रति दो सप्‍ताह में एक आदिवासी भाषा मर रही है। इसीलिए देशभर के आदिवासियों की भाषा और बोलियों पर मंडराते भयावह संकट से बचाने के लिए यूएनओ ने 2019 में आदिवासी भाषाओं को सहेजने के लिए आदिवासी भाषा वर्ष घोषित किया था। यूनेस्‍को ने आदिवासी समुदायों की मातृभाषाओं और बोलियों के अस्तित्‍व को बचाने के लिए 2022-2032 को आदिवासी भाषा दशक वर्ष के रूप में घोषित किया है। जिसके तहत संसारभर के आरेचर, मौखिक, वाचिक ज्ञान परंपरा के अनमोल धरोहर को मूल भाषाओं और बोलियों में सहेज कर जीवंत रूप में लिपिबद्ध करके लिखित रूप में लाया जाए। साहित्‍योत्‍सव 2024 में साहित्‍य अकादमी दिल्‍ली द्वारा देशभर के वरिष्‍ट और प्रसिद्ध साहित्‍यकारों के साथ आदिवासी समुदायों के विभिन्‍न मातृभाषाओं-बोलियों के कवियों और साहित्‍यकारों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया हैं।
राजस्‍थान के मीणा आदिवासी समुदाय की मातृभाषा ‘मीणी भाषा’ की प्रमुख लेखिका डॉ. हीरा मीणा को साहित्‍य उत्‍सव के ‘आदिवासी लेखक सम्मिलन’ सत्र के लिए आमंत्रित किया है। मीणी भाषा की आरेचर, मौखिक वाचिक परंपरा, संस्‍कृति, इतिहास, जीवनशैली, जीवन दर्शन और आदिवासियत की ज्ञानधारा को विलुप्ति से बचाने के लिए डॉ हीरा मीणा महत्‍वपूर्ण कार्य कर रही हैं। मीणी भाषा की आरेचर, मौखिक दुर्लभ ज्ञाननिधि को बड़े बुजुर्गों के लोककंठ से सहेजकर दो अनमोल कृतियां ‘वाचिक साहित्‍य की पुरखौती परंपराऍं और गीत’ तथा ‘मीणा ब्‍याह गीत गाळ संसार’ के साथ आलेख और कविताऍं प्रकाशित कर मीणी भाषा को जीवंत रूप में दर्ज किया हैं।

पुस्‍तक के साथ-साथ अन्‍य पत्र-पत्रिकाओं में 60 से अधिक शोध आलेख प्रकाशित हुए है। डॉ हीरा मीणा आदिवासी समुदायों की मातृभाषा,  अस्मिता, परंपराएं, संस्‍कृति,  इतिहास, जनचेतना आदि के साथ देश की जनगणना में ट्राइबल कॉलम को लागू करवाने की जमीनी स्‍तर पर मुखरता से पहचान करवा रही हैं।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर