आयकर विभाग ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद के ठिकानों से 351 करोड़ का कैश बरामद किया है. घर के कोने-कोने में रखीं 500 और 200 रुपये के नोटों की गड्डियां इतनी मिलीं कि आयकर विभाग का भी माथा ठनक गया. नोटों को गिनने के लिए मशीनें मंगाई गईं, लेकिन उनकी भी सांसें फूलने लगीं. बाद में कुछ और मशीने और अधिकारियों को गिनती के लिए शामिल करना पड़ा. जानिए अब इस बरामद कैश का आगे क्या होगा…
दरअसल, आयकर विभाग (IT Department) की टीम ने 6 दिसंबर को धीरज साहू से जुड़े ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था. पांच दिन तक उनके घर पर तलाशी अभियान चला और .बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ. साहू के ठिकानों से 351 करोड़ रुपये का कैश बरामद हुआ है. आयकर विभाग ने कुल 176 बैग में से 140 बैग की गिनती पूरी कर ली.आयकर विभाग का कहना है कि यह अब तक का पकड़ा गया सबसे बड़ा काला धन है.
इन ठिकानों पर हुई छापेमारी
आयकर विभाग की ये कार्रवाई शराब (Liqour) से जुड़े कारोबार में टैक्स चोरी की आशंका में शुरू हुई थी. विभाग ने टैक्स चोरी के आरोप में शराब कारोबार से जुड़ी कंपनी के ठिकानों पर छापे मारे. इसमें बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड, बलदेव साहू इन्फ्रा लिमिटेड, क्वालिटी बॉटलर्स और किशोर प्रसाद-विजय प्रसाद बिवरेज लिमिटेड जैसी कंपनियों का नाम शामिल है. झारखंड के रांची और लोहरदगा के अलावा ओडिशा के बलांगीर, संबलपुर, रायडीह इलाकों में छापेमारी हुई है.
क्या करती है धीरज साहू की फैमिली?
बौद्ध डिस्टलरी राज्यसभा सांसद धीरज साहू के परिवार की कंपनी है. यह कंपनी शराब के कारोबार में है और ओडिशा में इसकी शराब बनाने की कई फैक्ट्रियां हैं. इस कारण टैक्स चोरी के आरोप में कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी हुई है. बता दें कि पहली बार धीरज साहू साल 2009 में हुए उपचुनाव में राज्यसभा सांसद बने थे. उसके बाद फिर 2010 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार राज्यसभा पहुंचे थे.
क्या कहता है आयकर नियम?
धीरज साहू के घर में मिली बेहिसाब दौलत को लेकर हमने आयकर नियमों के जानकार सौरव कुमार से बात की.उन्होंने बताया कि जिस तरह से धीरज के घर से दौलत मिली है. इससे आने वाले दिनों में टैक्स चोरी की जांच और तेज हो सकती है. उन्होंने बताया कि आयकर नियम के अनुसार, अघोषित आय पकड़े जाने पर टैक्स के साथ-साथ पेनल्टी का भी प्रावधान है. टैक्स स्लैब के हिसाब से 300 फीसदी तक टैक्स और पेनल्टी लगाया जा सकता है. उनका कहना है कि नियम के मुताबिक धीरज साहू के ठिकानों से मिली संपत्ति उन्हें वापस मिलना मुश्किल है. साथ ही और टैक्स भी देना पड़ सकता है.