नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने वाले कुछ वर्षों में ही कामकाज के तरीकों में बड़ा बदलाव करने वाला है। इसका एक और उदाहरण मिला जब दिल्ली पुलिस ने एक मृतक की ऐसी तस्वीर बनवा ली मानो वो जिंदा हो। एक मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने की यह तरकीब पुलिसिंग और जांच को पूरी तरह से बदल सकती है, खासकर गुमशुदा लोगों और फरार संदिग्धों के मामलों में। पुलिस ने एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का इस्तेमाल कर पीड़ित की पहचान करके यह कारनामा किया है। पुलिस ने एआई के जादू से एक तस्वीर को बदलकर मृतक को ‘जीवित’ कर दिया। उन्होंने उसकी बंद आंखें खोलीं, होंठों का रंग वापस लाया और बैकग्राउंड बदल दिया ताकि उसका चेहरा पहचानने में आसानी हो। पुलिस ने लगभग 2,000 पोस्टर छपवाए और उन्हें बस स्टॉप, पुलिस स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों पर चिपका दिया। जब पीड़ित के परिवार के लोग गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने एक पुलिस स्टेशन गए तो उन्होंने वहां लगा पोस्टर देखा।
एआई से तस्वीर में खोल दी मृतक की आंखें
उस व्यक्ति की पहचान 35 वर्षीय हितेंद्र सिंह के रूप में हुई, जो एक ऑडिट फर्म में काम करता था। उनका शव 10 जनवरी को गीता कॉलोनी फ्लाईओवर के पास गोल्डन जुबली पार्क में पाया गया था। पहचान हो जाने के बाद पुलिस ने उनके मोबाइल फोन और इंटरनेट एक्टिविटी का विश्लेषण किया, 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले तो हितेंद्र के तीन दोस्तों रॉकी, जेम्स और एनी पर शक की सुई चली गई। आरोप है कि इन तीनों ने पैसे के विवाद में हितेंद्र की हत्या कर दी और बाद में उसका शव फेंक दिया। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एआई ने फोटो में मृतक को जिंदा कर दिया!
मामले को सुलझाने के लिए पुलिस के लिए पीड़ित की पहचान बहुत महत्वपूर्ण थी। डीसीपी (नॉर्थ) मनोज मीना के अनुसार, इसमें कई चुनौतियां थीं। उन्होंने बताया, ‘उदाहरण के लिए, चेहरे के रंग को ठीक करना, खासकर होंठों के रंग को नीले से गुलाबी में लाना। फिर, चेहरे से गंदगी हटाकर उसे तरोताजा करना, मूल बैकग्राउंड को बदलना, आंखों को बढ़ाकर उन्हें एक जीवित व्यक्ति की तरह बनाना। हमने एक एआई एक्सपर्ट से संपर्क किया और चेहरे को फिर से बनाने के लिए कई उपकरणों का इस्तेमाल किया।’
पुलिस जांच में आएगी क्रांति
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर अगर कोई शिकायतकर्ता संदिग्ध को देख लेता है तो उसके बताए अनुसार व्यक्ति की पहचान के लिए एक स्केच तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘कुछ मामलों में हम फरार अपराधियों के कई स्केच बनाते हैं, यह अनुमान लगाते हुए कि वे विभिन्न हेयरस्टाइल या अलग-अलग आंखों के रंग के साथ कैसे दिख सकते हैं। इस मामले में हमारा लक्ष्य भी यही था। हम बस यह देखना चाहते थे कि खुली आंखों और अलग-अलग बैकग्राउंड के साथ पीड़ित कैसा दिख सकता है।’ ऑफिसर ने बताया कि फोटो दो घंटे में तैयार हो गया था।
अब लावारिश लाशों की पहचान आसान
उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में यह पाया गया कि गुमनाम शवों के पोस्टर में मृतक की साफ तस्वीर नहीं होती है। एक बार हितेंद्र की एआई जनरेटेड फोटो तैयार हो जाने के बाद ‘पहाचनें और पुलिस को बताएं’ के नोटिस छपवाकर प्रमुख स्थानों पर चिपकाए दिए गए। 14 जनवरी को पीड़ित का परिवार गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने छावला पुलिस स्टेशन पहुंचा तो उनकी नजर नोटिस पर पड़ी। उन्होंने नोटिस देखा और तुरंत कोतवाली के एसएचओ से संपर्क किया।
हत्यारे निकले तीन दोस्त
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘जांच के दौरान, हमें पता चला कि हितेंद्र को आखिरी बार 9 जनवरी को जेम्स, रॉकी और एनी के साथ देखा गया था। जब पुलिस ने जेम्स से संपर्क किया तो उसने कहा कि हितेंद्र रात 10.30 बजे तक उसके साथ था और फिर अकेले चला गया। हालांकि, जल्द ही तीनों संदिग्धों के फोन बंद हो गए जिससे पुलिस को शक हुआ। इस पर दिल्ली-एनसीआर में उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की गई और आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।’
अधिकारी ने बताया, ‘पकड़े गए लोगों की पहचान परमवीर सिंह उर्फ जेम्स, हरनीत सिंह उर्फ रिकी और प्रियंका उर्फ एनी के रूप में हुई। तीनों ने पूछताछ में कबूल किया कि उन्होंने 9 जनवरी की रात को सिंह की हत्या की थी। उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि सिंह और जेम्स के बीच बहुत बड़ा झगड़ा हुआ था, इसलिए उन्होंने उसे खत्म करने की योजना बनाई। आरोप है कि पीड़ित को पार्टी के बहाने बुलाया गया और फिर चादर से गला घोंटकर मार दिया गया। पुलिस ने बाद में उस कार को भी जब्त कर लिया जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर शव फेंकने के लिए किया गया था।’