नई दिल्ली। वह पिता कितना बेबस और लाचार था, जिसकी जान से भी प्यारी बेटियां फोन कर उससे गुहार लगा रही थी कि पापा हमें बचा लों…, लेकिन पिता कुछ नहीं कर सकें। उनका घर ही लाक्षागृह बन चुका था, जिसमें लगी आग के कारण धुंए में दम घुटने से परी जैसी दोनों बेटियों ने दम तोड़ दिया।
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सदर बाजार में अंतरराष्ट्रीय मीट कारोबारी हाजी सालिम के आलिशान बंगले में मंगलवार को लगी आग और धुंए में जब उनकी दोनों बेटियां गुलआशना और अनाया फंस गई तब गुलआशना ने कारोबार के सिलसिले में लखनऊ गए अपने पिता को फोन कर कहा…पापा हमें बचा लो, अंदर दम घुट रहा है…। यह आखिरी शब्द थे, जो उसने अपने पिता से कहे थे। साथ में बेटियों की चीखे थी, जो कुछ देर में खामोश हो गई।
दोनों बहनों ने मां गुलिस्ता से भी तब यहीं गुहार लगाई थी। बुधवार को दोनों के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद स्वजन को सौंप दिया गया। जिसके बाद उन्हें मस्जिद तकिया कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
बेटियों को खोने से अवसाद में पिता
मंगलवार को हादसे के दिन दोनों बहने स्कूल नहीं गई थी। गुलआशना, पुसा रोड स्थित रामजस स्कूल में 12वीं की छात्रा तो आयना मंदिर मार्ग स्थित सेंट थामस में छठवीं की छात्रा थीं। घर वालों के अनुसार दोनों हादसे के वक्त कमरे में सो रही थी, जिनसे पिता बहुत ज्यादा प्यार करते थे।
कभी उन्हें बेटियों को डांटते नहीं देखा गया था। अब बेटियों के खोने के बाद से पिता अवसाद में हैं। मां का भी बुरा हाल है। मंगलवार को वह कई बार बेहोश हुई। पूरी रात रोती रही। बुधवार को दोपहर में बमुश्किल उन्हें रिश्तेदारों ने किसी तरह सुलाया। बुधवार को पूरा दिन घर पर सांत्वना देने वालों का आना जाना लगा रहा।
ईद के लिए खरीद चुकी थी कपड़े, नृत्य में थी अनाया की रूचि
ईद को लेकर दोनों बहनें बहुत उत्साहित थीं। नए कपड़ों की खरीदारी कर चुकी थी। साथ ही योजनाएं बना रही थीं कि इस बार क्या-क्या करना है।
अनाया को नृत्य में रूचि थी और वह स्कूल में नृत्य के कार्यक्रमों में भाग लेती थी। इसके लिए उसे स्कूल स्तर पर कई पुरस्कार भी मिल चुके थे। इसके अलावा वह वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिताओं में भी भागीदारी करती रहती थी।
मीट कारोबारी नहीं बचा पाए बेटियों की जान
मीट कारोबारी की बेटियों की अपने ही बंगले में मौत तब हो गई जब उनके पिता पहले से ही आग को लेकर जागरूक थे। आग लगने की आशंकाओं को देखते हुए उन्होंने घर में फायर इक्यूपमेंट भी लगा रखा था, जिसका मंगलवार को आग लगने पर इस्तेमाल भी हुआ था।
साथ ही पहले से ही घर की छत पर अलग से दो फायर सेफ्टी टैंक बनवा रखे हैं, जिन्हें आग लगने पर फोड़ देने से पूरे घर में पानी चला जाता। मगर यह टैंक भी रखे रह गए। आग केवल एक कमरे में लगी थी। इसलिए पानी के टैंक को फोड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी, लेकिन एक कमरे में लगी आग ने पूरे घर के अंदर धुंआ भर दिया।
धुंआ अंदर भर जाने से गैस चैंबर बन गया था घर
हादसे में जान गंवाने वाली दोनो बहनों गुलआशना और अनाया के मामा आसिफ कुरैशी ने बताया कि एकीकृत वातानुकूलित प्रणाली के चलते घर बंद था और धुंआ अंदर भर जाने से घर गैस चैंबर बन गया था। आसिफ का कहना है कि उन्होंने भी अंदर जाने की कोशिश की थी, मगर थोड़ा अंदर जाते ही उनकी हालत खराब हो जाती। उन्होंने दो- तीन बार कोशिश की फिर उन्हें लोगों ने अंदर जाने से रोक लिया।
होम थियेटर वाले कमरे में लगी थी आग
आग होम थियेटर वाले कमरे में लगी थी, जिसमें धमाका हुआ, जिसकी आवाज पड़ोसियों ने भी सुनी। धमाके से उस कमरे का गेट भी टूट गया, बाकि आग से किसी अन्य कमरे को कोई नुकसान नहीं हुआ।