दिल्ली की जहरीली हवा में हर साल नवंबर आते ही सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस बार 2 नवंबर को AQI 366 पर था, जो अगले दिन अचानक 309 पर गिर गया। लेकिन ये राहत की खबर नहीं है। हिंदुस्तान टाइम्स की गहन पड़ताल से पता चला कि ये गिरावट असल में हवा की सफाई नहीं, बल्कि डेटा के छेद और एल्गोरिदम की चालाकी का नतीजा है। शहर के सबसे प्रदूषित हफ्ते में मॉनिटरिंग स्टेशनों से गायब आंकड़े, संदिग्ध पैटर्न और नियमों की ढील ने AQI को ठीक बना दिया, जबकि जमीन पर धुआं ही धुआं था।
कैसे होता है AQI का आंकलन?
दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों से 6 प्रदूषकों (PM2.5, PM10 समेत) का 24 घंटे का औसत निकाला जाता है। हर स्टेशन पर सबसे खराब प्रदूषक का सब-इंडेक्स ही AQI बनता है, फिर सभी का एवरेज शहर का आधिकारिक AQI। लेकिन यहां तीन बड़ी रियायतें हैं जो खेल बिगाड़ सकती हैं-
- सभी 39 स्टेशन जरूरी नहीं: बस 37-38 से भी काम चल जाता है।
- पूरे 24 घंटे डेटा नहीं तो?: 16 घंटे काफी हैं।
- सभी प्रदूषक चेक करने की जरूरत नहीं: सिर्फ 3 में से एक PM2.5 या PM10 हो, तो भी AQI मापा जा सकता है।
हालांकि ये ढील स्टेशन खराब होने पर मदद करती है, लेकिन प्रदूषण पीक पर डेटा गायब हो तो AQI को कम दिखाने का हथियार बन जाती है।

चार्ट 1: PM2.5 का राज छिना, PM10 और NO2 ने ली जगह
28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक दोपहर 4 बजे के AQI में PM2.5 प्रमुख होना चाहिए था। लेकिन 32-36 स्टेशनों पर ही PM2.5 हावी रहा। बाकी पर PM10 और 3 नवंबर को लोधी रोड (IITM) पर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) प्रमुख हो गया।
चार्ट 3: स्टेशन कम हुए
3 नवंबर तक के हफ्ते में औसतन 36-38 स्टेशन ही इस्तेमाल हुए। सिर्फ 1 नवंबर को पूरे 39 स्टेशन शामिल किए गए।
चार्ट 4: तीन स्टेशनों पर अचानक सुधार
2 से 3 नवंबर के बीच AQI में सबसे बड़ी गिरावट तीन स्टेशनों पर हुई:
लोधी रोड (IITM): 319 से 164।
श्री अरविंदो मार्ग (DPCC): 294 से 157।
ITO (CPCB): 280 से 155।
इन तीनों पर प्रमुख प्रदूषक बदला। ITO और अरविंदो मार्ग पर PM2.5 से PM10, लोधी रोड पर PM2.5 से NO2। ITO पर सुबह 4-5 बजे डेटा रुका, जब इंडेक्स 50 से नीचे था। दोपहर 12 बजे शुरू हुआ तो 350 पार पहुंच गया।
हर घंटे 1-2 स्टेशन PM2.5 डेटा मिस करते हैं। ITO जैसे प्रदूषित इलाकों में यह शहर के औसत को नीचे खींचता है। स्टेशनों पर अचानक उतार-चढ़ाव कैलिब्रेशन या बाहरी हस्तक्षेप का संकेत देते हैं। पर्यावरण समूहों ने कुछ स्टेशनों के पास पानी छिड़काव की शिकायत की है। नतीजतन, AQI स्वास्थ्य जोखिम की सही तस्वीर नहीं दिखा पा रहा।






