Currency Market: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपना मासिक बुलेटिन जारी किया है। इसमें मौजूद ताजा आंकड़ों से पता चला है कि रुपये को कमजोर होने से बचाने के लिए अक्टूबर में आरबीआई ने 44.5 अरब डॉलर (3.80 लाख करोड़ रु) खर्च किए। आरबीआई ने वायदा और स्पॉट करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप के जरिए ऐसा किया। स्पॉट बिक्री 9.3 अरब डॉलर की रही, फॉरवर्ड बिक्री सबसे अधिक 35.2 अरब डॉलर की रही। हालांकि फिर भी दिसंबर में रुपया 85 डॉलर के स्तर को पार कर गया।
आरबीआई के हस्तक्षेप का क्या हुआ फायदा
अक्टूबर में केन्द्रीय बैंक के हस्तक्षेप से यह सुनिश्चित हुआ कि डॉलर के मुकाबले रुपया बहुत अधिक कमजोर नहीं हुआ, जबकि डॉलर का बहुत अधिक आउटफ्लो देखने को मिला, जो 27 सितंबर के रिकॉर्ड हाई लेवल से इक्विटी बाजार में 11% की गिरावट के साथ हुआ है। बता दें कि करेंसी मार्केट में केन्द्रीय बैंक के उपायों ने भी लिक्विडिटी पर प्रभाव को कम किया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 10.9 अरब डॉलर निकाले
गौरतलब है कि अक्टूबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 10.9 अरब डॉलर निकाले। लेकिन महीने के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया केवल 30 पैसे गिरकर 84.06 रुपये पर बंद हुआ। हालांकि, अक्टूबर में अमेरिकी डॉलर में 3.2% (महीने-दर-महीने) की मजबूती आई, जबकि उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Market Economies) के लिए एमएससीआई मुद्रा सूचकांक अक्टूबर में 1.6% कम हुआ।
नवंबर में 2.4 अरब डॉलर निकाले
नवंबर में एफपीआई ने 2.4 अरब डॉलर निकाले। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार करेंसी मार्केट एनालिस्ट्स ने कहा कि आरबीआई ने नवंबर में भी भारी मात्रा में डॉलर की बिक्री जारी रखी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) नवंबर 2024 में भारतीय वित्तीय बाजारों में शुद्ध विक्रेता बने रहे, क्योंकि बढ़ते अमेरिकी डॉलर और यील्ड ने दुनिया भर में जोखिम वाली संपत्तियों के लिए सेंटीमेंट को प्रभावित किया।