चीन ने अपनी परमाणु ताकत बढ़ाने की तैयारी कर ली है, इसके लिए वह बलुआ पत्थर से यूरेनियम निकालेगा. इसका खजाना चीन ने धरती के 6 हजार फीट नीचे खोज निकाला है. यह कारनामा किया है चीन की सरकारी उर्जा कंपनी ने, जिसका कहना है कि यूरेनियम का मिला नया खजाना देश की ऊर्जा ओर सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगा.
चीन की सरकारी कंपनी नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन की ओर से दावा किया गया कि उसने झिंजियांग उइगर क्षेत्र में तारिम बेसिन में 1820 मीटर यानी तकरीबन 600 फीट गहराई पर एक बलुआ पत्थर की खोज की है. यह पत्थर ऐसा है जो औद्योगिक यूरेनियम खनिज के भंडार से भरा है. यह यूरेनियम के अन्य संसाधनों मसलन ज्वालामुखी चट्टान, ग्रेनाइट यूरेनियम की तुलना में आसान और सस्ता है.
अभी यूरेनियम को आयात करता है चीन
परमाणु हथियार और परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम बेहद महत्वपूर्ण है, परमाणु बम के लिए Highly Enriched Uranium या Plutonium चाहिए होता है जो यूरेनियम से ही मिलता है. अभी तक चीन इसके आयात पर निर्भर है. अगर पिछले साल के आंकड़े की ही बात करें तो चीन ने पिछले साल तकरीबन 1700 टन यूरेनियम का उत्पादन किया था. चीन की सरकारी मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन ने तकरीबन 13 हजार टून यूरेनियम का आयात किया था. अंतराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी की मानें तो 2040 तक चीन को तकरीबन 40 हजार टन यूरेनियम की जरूरत होगी.
यूरेनियम से परमाणु हथियार और बिजली बनाता है चीन
चीन यूरेनियम से बिजली और परमाणु हथियार बनाने का काम करता है, फिलहाल चीन में 55 से ज्यादा परमाणु रिएक्टर हैं, 20 से ज्यादा का निर्माण चल रहा है. इनसे चीन की मांग की अपेक्षा 5 प्रतिशत बिजली का उत्पादन किया जाता है. चीन की कोशिश है कि 2050 तक परमाणु रिएक्टरों से चीन की जरूरत का 20 प्रतिशत से अधिक बिजली का उत्पादन किया जाए.इसके अलावा चीन परमाणु हथियारों पर भी काम कर रहा है. ICAN के मुताबिक चीन के पास इस समय तकरीबन 500 परमाणु वॉर हेड हैं, US की रिपोर्ट के मुताबिक चीन 2035 तक इन्हें 1000 से ज्यादा करने की प्लानिंग कर रहा है.
चीन को कैसे मिला ये खजाना
चीन ने हाल ही में बलुआ पत्थर से यूरेनियम निकालने का तरीका खोजा है, हालांकि चीन में अभी जहां भी बलुआ पत्थर था, उसे इतना निम्न स्तर का माना जाता था कि उससे खनन नहीं किया जा सकता है. ऐसे में CNNC की ओर से बलुआ पत्थर का खजाना ढूंढने के लिए गहन रिसर्च किया गया. शोधकर्ता किन मिंगकुआन के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे क्षेत्रों पर फोकस किया गया जहां बलुआ पत्थर मिल सकते हैं, रिमोट सेंसिंग और रासायनिक प्रयोग के जरिए रिसर्च की.
इसके बाद 6 हजार फीट तक ड्रिलिंग की गई, ताकि ये पता चल सके कि धरती के अंदर बलुआ पत्थर है या नहीं. इससे पहले इसी कंपनी ने ओर्डोस बेसिन में भी जमीन के अंदर बलुआ पत्थर का भंडार मिला था. इस परियोजना से इस माह की शुरुआत में पहला बैरल यूरेनियम निकाला भी जा चुका है.
कैसे होती है ‘इन सीटू लीचिंग’ प्रक्रिया
बलुआ पत्थर ये यूरेनियम निकालने की प्रक्रिया को इन सीटू लीचिंग कहा जाता है, इस प्रक्रिया में कार्बन डाइ ऑक्साइड और ऑक्सीजन को घोलकर पत्थर की परत पर डाला जाता है, इससे पत्थर यूरेनियम के साथ प्रतिक्रिया करता है.इसके बाद यूरेनियम को सतह पर लाकर उसे मशीन से अलग किया जाता है. इससे पहले चीन ने समुद्री जल से भी यूरेनियम निकालने का तरीका खोज निकाला है, हालांकि इसका प्रयोग अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
