सकट । स्थित चौथ माता के मंदिर में मंगलवार को
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिन महिलाओं ने
चौथ माता का व्रत श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया। इस
मौके पर सुहागिन महिलाओं ने चौथ माता के मंदिर
पहुंचकर चौथ माता की प्रतिमा के समक्ष पूजा अर्चना की
और मत्था टेक माता से परिवार की खुशहाली की कामना
की। इस मौके
पर चौथ माता मंदिर में सुहागिन महिलाओं की अच्छी
खासी भीड़ रही है। चौथ माता मंदिर पर कई महिला
श्रद्धालुओं ने अपनी मन्नत पूरी होने पर माता रानी को
पोशाक व सिंगार की सामग्री चढाई।
सुहागिन महिलाओं ने चौथ
माता का व्रत रखकर चौथ माता की पूजा अर्चना की वही
मंदिर परिसर सहित आसपास के क्षेत्र में महिलाओं ने
समूह में बैठकर माता की कहानी सुनी व सूर्य देव को जल
चढ़ाकर बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर
चौथ माता से अखंड सुहाग व सुख समृद्धि की कामना की
मनौती मांगी और अपने से बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। वहीं देर रात चांद दिखने पर चौथ माता को जल चढ़ाकर अपना व्रत पूरा किया। चौथ माता के व्रत पर घरो में तरह-तरह के पकवान बनाए गए तथा चौथ माता को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया गया। चौथ माता मंदिर के पुजारी हितेश कुमार व बंटी पाराशर ने बताया कि चौथ व्रत को लेकर महिलाओं ने मंदिर में भजन कीर्तन भी किया। इस मौके पर मंदिर में विराजित चौथ माता संतोषी माता शिव जी हनुमान जी भैरू बाबा की प्रतिमाओं की फूल बंगला झांकी सजाई गई। चौथ माता के व्रत के मौके पर माता के दर्शनों के लिए आस-पास के गांव व ढाणियों के अलावा यहां दिल्ली, जयपुर अलवर, दौसा ,राजगढ़, बांदीकुई ,बसवा, महवा,टहला सहित अन्य जगह से श्रद्धालु पहुंचते है।
अलवर जिले में स्थित सकट चौथ माता का इतिहास
“महाराजा मानसिंह ने चौथ माता का मंदिर बनवाने के बाद बसाया था सकट गांव
राजस्थान के अलवर से करीब 60 किमी दूर सकट नाम का गांव है। वहां संकट चौथ माता का मंदिर है। राजस्थान सरकार के मुताबिक ये मंदिर तकरीबन 626 साल पुराना है। इस मंदिर परिसर में गणेशजी और भगवान भैरव की मूर्तियां भी हैं। इसलिए चौथ के दिन यहां गणेश जी की विशेष पूजा होती है। इनमें भी संकष्टी चतुर्थी व्रत को बहुत खास माना जाता है।
सकट चौथ का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। राजस्थान में इसी तिलकुट चतुर्थी के दिन चौथ का बरवाड़ा नाम की जगह पर बड़ा मेला भी लगता है।
चौथ माता का मंदिर बनवाने के बाद बसाया सकट गांव
मंदिर के मंदिर के शिलालेख से पता चलता है कि विक्रम संवत 626 साल पहले जयपुर के महाराजा मानसिंह प्रथम ने चौथ माता का मंदिर बनवाने के बाद सकट गांव बसाया था। पहले ये गांव मंदिर से करीब दो किलोमीटर दूर काली पहाड़ी की तलहटी में बसा था। इसके अवशेष आज भी मिलते हैं। सकट का नाम पहले गादरवाड़ा था।
चौथ माता मंदिर गांव के स्थान से पहले हरा भरा जंगल था। पहले यहां गादरवाड़ा के लोग पशु चराते थे। यहां के लोगों का मानना है कि 600 साल पहले टीले पर लगे जाल के पेड़ के नीचे एक गाय आकर खड़ी हो जाती थी और उसके थन से अपने आप दूध की धारा जमीन के भीतर चली जाती थी। इसको एक ग्वाले ने देखा और वो उस गाय के साथ ही रहा। इसके बाद वो रोज देखता कि गाय उसी पेड़ के नीचे खड़ी हो जाती है और अपने आप दूध की धारा निकलने लगती है। इसके बाद वहां मंदिर बनाने की कवायद शुरू हो गई।
Author: रिपोर्टर Rajkuma सिंघल
राजस्थान