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August 8, 2025 4:26 am

क्या वाकई घट सकती है; GDP ग्रोथ……’भारत की इकोनॉमी को कितना ‘आतंकित’ करेगा ट्रंप का ‘टैरिफ बम’

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अब तक का सबसे कड़ा आर्थिक हमला किया है. रूस से कच्चा तेल खरीदने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने भारत से होने वाले आयात पर 25% ‘Penalty Tariff’ लगाया है. यह टैरिफ 5 अप्रैल को लागू किए गए 10% ‘Baseline Tariff’ और 7 अगस्त से लागू किए गए 25% ‘Retaliatory Tariff’ के ऊपर लागू होगा. इस तरह अमेरिका में भारतीय उत्पादों के आयात पर शुल्क 60% टैरिफ हो जाएगा. पेनल्टी टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा.

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क्या है Goldman Sachs का आकलन?

Goldman Sachs के मुताबिक टैरिफ के चलते भारत की GDP ग्रोथ FY26 में 6% से नीचे फिसल सकती है. टैरिफ को ध्यान में रखकर Goldman Sachs भारत के DGP ग्रोथ के अनुमान को 6.5% से घटाकर 6.4% कर दिया है. Goldman Sachs का कहना है कि अगर यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहता है, तो एक्सपोर्ट आधारित सेक्टरों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा की क्षमता घटेगी, जिससे भारत की GDP पर भी असर देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही Goldman Sachs भारत में महंगाई के इंडिकेटर CPI के 3% के स्तर पर रहने का अनुमान जताया है, जो घरेलू मांग के कमजोर होने का संकेत है.

क्या है RBI का अनुमान?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिलहाल रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखा है. इसके साथ ही FY26 के लिए GDP ग्रोथ 6.5% के आसपास रहने का अनुमान बरकरार रखा है. RBI का मानना है कि टैरिफ जैसी स्थिति अस्थायी हो सकती है, लेकिन अगर टैरिफ से निर्यात में तेज गिरावट आती है, तो मौद्रिक नीति पर दबाव बढ़ सकता है. इसके साथ ही टैरिफ की वजह से रुपये पर कमजोरी के संकेत पहले ही देखे जा रहे हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए RBI ने डॉलर बिकवाली की है.

क्या है डेलॉइट की राय?

डेलॉइट इंडिया का अनुमान है कि 50% टैरिफ की वजह से भारत के श्रम-प्रधान उद्योग- जैसे टेक्सटाइल, लेदर, मरीन प्रोडक्ट्स और केमिकल्स पर असर देखने को मिलेगा. इसके साथ ही अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार समझौते पर भी दबाव बढ़ेगा. डेलॉइट के विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप को 50% टैरिफ असल में एक जियोपॉलिटिकल प्रेशर टैक्टिक है, जिससे भारत को रूसी तेल आयात कम करने और अमेरिकी मांगों के मुताबिक व्यापार नीतियों में बदलाव करने पर मजबूर किया जा सके.

अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका क्यों?

2024 में भारत की तरफ से अमेरिका को निर्यात 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया गया. इस निर्यात में से करीब 55% हिस्सेदारी उन क्षेत्रों की है, जो इस टैरिफ से प्रभावित हैं. निर्यात प्रतिस्पर्धा घटने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है. इसके अलावा विदेशी निवेश पर भी असर पड़ेगा. Goldman Sachs के अनुसार, अगर भारत कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करता है, तो GDP ग्रोथ में 40–50 बेसिस पॉइंट्स का नुकसान हो सकता है.

क्या हो सकता है समाधान?

भारत इसके लिए सबसे पहले अपने विदेशी व्यापार को और ज्यादा डायवर्सिफाई कर सकता है. इससे भारतीय एक्सपोर्टर की अमेरिका पर निर्भरता कम हो जाएगी. इसके अलावा भारत अपनी क्रूड इम्पोर्ट नीति में थोड़े बहुत बदलाव कर सकता है, जिससे अमेरिकी दबाव कम हो जाए. इसके साथ ही भारतीय निर्यातकों को भारी सरकारी समर्थन दिया जा सकता है, जिससे वे खुलकर निर्यात कर पाएं. आखिर में इसका स्थायी समाधान अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना है.

भारत का भरोसा खोना पड़ सकता है भारी

ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ सदस्य और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रह चुकीं निक्की हेली, सहित कई रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि टैरिफ की लड़ाई में अमेरिका को भारत का भरोसा नहीं खोना चाहिए. इस मामले में ट्रंप को चीन पर सचती करनी चाहिए. लेकिन, इस सख्ती की वजह से भारत का भरोसा नहीं खोना चाहिए. ऐसा हुआ तो अमेरिकी इकोनॉमी और रणनीतक हितों को टैरिफ से होने वाले फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है.

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