अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है उन्होंने 6 महीने में 6 जंग रुकवाई है. उन्होंने सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बैठक से पहले दावा करते हुए कहा कि मैंने 6 महीने में छह युद्ध समाप्त किए. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को ओवल ऑफिस में जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान भी अपने इसी दावे को दोहराया. ट्रंप फिलहाल रूस और यूक्रेन के बीच जंग को समाप्त कराने में जुटे हैं. वह पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले और उसके बाद जेलेंस्की से. ये दोनों मुलाकातें एक हफ्ते के अंदर हुई.
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ट्रंप के मुताबिक, वह हर महीने एक जंग खत्म करवा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के समर्थक उन्हें पीसमेकर इन चीफ कहने लगे हैं तो वहीं विरोधियों का कहना है कि ट्रंप नोबेल प्राइज पाने के लिए ये सब कर रहे हैं, जिसकी चाहत उन्होंने लंबे समय से पाल रखी है. जानकारों का कहना है कि हाल ही में कई संघर्षों में शांति समझौतों के लिए ट्रंप को कुछ श्रेय दिया जाना चाहिए. उन्होंने कंबोडिया और थाईलैंड, इजराइल और ईरान और भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षों का हवाला दिया. हालांकि पाकिस्तान के साथ सीजफायर पर भारत ट्रंप के श्रेय पर सवाल उठाता है.
ट्रंप ने कौन-कौन सी जंग को कराया खत्म?
ट्रंप दावा करते हैं कि मई में छिड़ी भारत और पाकिस्तान के बीच जंग को रुकवाया. हालांकि भारत उनके दावे को भाव नहीं देता है. उसका कहना रहा है कि पाकिस्तान भारत के पास शांति की भीख मांगने आया था. ]
10 मई को ट्रंप के श्रेय लेने के कुछ ही घंटों बाद के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की कि पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से बातचीत की और दोनों पक्ष गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने अमेरिका का जिक्र नहीं किया था.
30 जुलाई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने युद्धविराम में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज किया. यहां तक कि पीएम मोदी ने भी संसद में कहा कि किसी भी विदेशी नेता ने भारत से अपने सैन्य अभियान रोकने के लिए नहीं कहा.
ईरान और इजराइल की जंग
13 जून को इजराइल ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिनमें कई बड़े अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. ईरान ने भी जवाब में इजराइली शहरों और सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की झड़ी लगा दी. इजराइल की नजर ईरान की परमाणु क्षमताओं को नष्ट करने पर थी. दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इसे देखते हुए ट्रंप ने एंट्री की और 23 जून को इजराइल और ईरान के बीच सीजफायर कराने में सफल रहे. उन्होंने ऐलान किया कि इजराइल और ईरान के बीच इस बात पर पूरी तरह सहमति बन गई है कि पूर्ण और सम्पूर्ण युद्धविराम होगा.
कॉन्गो और रवांडा की लड़ाई रुकवाई
27 जून को रवांडा और कॉन्गो के विदेश मंत्रियों ने वाशिंगटन डीसी में अमेरिका की मध्यस्थता में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके साथ ही उनके बीच लगभग 30 वर्षों से चल रहा संघर्ष समाप्त हो गया. ओवल ऑफिस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रंप ने इस क्षण को शांति के लिए एक शानदार विजय बताया. 2023 में कॉन्गो और रवांडा के बीच तनाव बढ़ने पर अमेरिका ने शांति स्थापित करने के अपने प्रयासों को फिर से शुरू किया और दोनों देशों ने अंततः तनाव कम करने का संकल्प लिया. 2024 के मध्य में, दोनों पक्षों ने एक दीर्घकालिक युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, लेकिन दिसंबर 2024 में यह युद्धविराम टूट गया.
कोसोवो और सर्बिया
27 जून को कोसोवा और सर्बिया के बीच जंग होने वाली थी. ऐसा ट्रंप ने दावा किया था. उन्होंने कहा कि सर्बिया युद्ध की तैयारी कर रहा था. मैं इसका जिक्र भी नहीं करूंगा, क्योंकि ऐसा हुआ ही नहीं, हम इसे रोकने में कामयाब रहे. लेकिन सर्बिया में मेरे एक दोस्त हैं और उन्होंने कहा, हम फिर से युद्ध करने वाले हैं और मैं यह नहीं कहूंगा कि यह कोसोवो है. लेकिन वे एक बड़ा युद्ध करने वाले थे और हमने व्यापार के कारण इसे रोक दिया. वे अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हैं और मैंने कहा था कि हम उन लोगों के साथ व्यापार नहीं करते जो युद्ध करते हैं. कोसोवो ने तो ट्रंप के बयान का समर्थन किया, लेकिन सर्बिया ने युद्ध की योजना से इनकार किया.
कंबोडिया और थाइलैंड
24 जुलाई को कंबोडिया और थाइलैंड के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे और 3,00,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए थे. यह दोनों देशों के बीच एक दशक से भी ज़्यादा समय में सबसे भीषण संघर्ष था. 26 जुलाई को ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देशों के नेताओं से बात कर रहे हैं और जब तक लड़ाई बंद नहीं हो जाती, अमेरिका किसी भी देश के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत नहीं करेगा. वार्ता 28 जुलाई को शुरू हुई, उसी दिन युद्धविराम की घोषणा भी हुई. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अपनी टीम को व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है. दोनों देश अपनी विवादित सीमा पर और सैनिक तैनात न करने पर सहमत हुए. जानकारों ने सवाल उठाया है कि यह समझौता कब तक चलेगा क्योंकि इसमें इस मूल विवाद का समाधान नहीं किया गया है.
मिस्र और इथोपिया तनाव
दोनों देशों के बीच संघर्ष जल विवाद को लेकर शुरू हुआ. मिस्र और सूडान का कहना है कि इथियोपिया द्वारा बनाया गया नील नदी पर बांध उनके हिस्से के पानी से वंचित कर सकता है. 4 अरब डॉलर की लागत से बने बांध का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और हाल ही में पूरा हुआ है. ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में दोनों देशों के बीच समझौता कराने में नाकाम रहे थे. उन्होंने फिर से समाधान पर काम करने का वादा किया है. ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है.
कि अगर मैं मिस्र होता तो मैं नील नदी में पानी चाहता और हम इस पर काम कर रहे हैं. यह एक समस्या है, लेकिन इसका समाधान ज़रूर होगा. उन्होंने आगे कहा कि यह आय और जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत है, यह मिस्र का जीवन है और इसे छीन लेना अविश्वसनीय है. लेकिन हमें लगता है कि हम इसे बहुत जल्द हल कर लेंगे.
