पेट में गैस बने, तो एसिडिटी समझकर नजरंदाज न करें. वरना जान जाने की नौबत आ सकती है. ब्रिटेन की रहने वाली 25 साल की लिव रोज के साथ यही हुआ. लिव जब 18 साल की थी, तो पेट में गैस बनने की समस्या से परेशान थी. असहनीय दर्द होता था. ऐसा लगता था कि जान निकल जाएगी. डॉक्टरों को दिखाया तो पहले तो उन्होंने सामान्य एसिडिटी की समस्या बताकर दवाएं दे दी. लेकिन दर्द ठीक नहीं हुआ. बाद में गंभीरता से जांच हुई तो पता चला कि वह पेट के लकवे की बीमारी गैस्ट्रोपेरेसिस से ग्रसित हैं. इसकी वजह से वह बीते आठ साल से कुछ भी खा-पी नहीं पा रही है. उसे दिल के जरिये खाने की खुराक दी जाती है.
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, लिव ने कहा-3 साल की उम्र से मैं खाना खाते समय पेट में दर्द महसूस करती थी. बार-बार डॉक्टरों के पास गई, लेकिन सबने इसे बीमारी मानने से इनकार कर दिया. लेकिन धीरे-धीरे दर्द असहनीय होने लगा. 17 साल की उम्र होते-होते हालत खराब हो गई. कुछ भी तेल मसाले वाला खाना खा लूं, तो उल्टी हो जाती थी. खाना पचता ही नहीं था. भूख बहुत लगती थी, लेकिन कुछ भी खाने पर खूब दर्द होता था. इसके बाद डॉक्टरों ने मुझे ईटिंग डिसऑर्डर बताया. कई तरह की जांच के बाद पता चला कि मुझे दुर्लभ बीमारी है. इसे पेट का लकवा भी कहते हैं. आंत उस तरह से काम नहीं करती, जैसी करनी चाहिए.
हिकमैन लाइन से खाना दे रहे
अब डॉक्टर लिव को हिकमैन लाइन से खाना दे रहे हैं. यह लाइन सीधे उनके हार्ट तक जाती है, वहां से खून के जरिये पूरे शरीर को पोषण दिया जाता है. दूध पिलाने के लिए नाक में एक नली लगाई गई है. उसका कुपोषण ठीक किया जा सके, इसके लिए डॉक्टर कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं. लेकिन इसमें संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा है. इसलिए हिकमैन लाइन को बेहद सावधानी से रोजाना साफ करना होता है.
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हर दो सप्ताह में ब्लड टेस्ट
लिव का हर दो सप्ताह में ब्लड टेस्ट किया जाता है. उसकी एक नस दब गई थी. इसके लिए सर्जरी की गई, और नस काटकर बाहर निकाला गया. उसकी जगह कृत्रिम नस लगाई गई है. लिव ने कहा, मैं अब पहले से स्वस्थ महसूस करती हूं. लेकिन जब मेरा पूरा परिवार खाना खा रहा होता है, तो मुझे भी भूख लग जाती है. इसलिए मैं उस वक्त कमरे में ही नहीं रहती. मैं अपने परिवार के साथ समय बिताती हूं.