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August 9, 2025 6:34 am

F-1 वीजा में आई बड़ी गिरावट…….’क्या अब भारतीय छात्रों की पहली पसंद नहीं रहा अमेरिका……

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भारत से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने के लिए अमेरिका जाते हैं. कोरोना महामारी के बाद इन छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ी थी, लेकिन इसको लेकर हाल ही में जारी हुए एक आंकड़े ने चौंका दिया है. दरअसल, पढ़ने के लिए अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 यानी इस साल के पहले 9 महीनों में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में भारतीयों को जारी किए गए एफ-1 छात्र वीजा में 38 फीसदी की गिरावट आई है, जो कि एक बड़ी गिरावट है.

इंडियन एक्सप्रेस ने ब्यूरो ऑफ कांसुलर अफेयर्स की वेबसाइट पर मौजूद मंथली गैर-आप्रवासी वीजा रिपोर्ट का विश्लेषण किया है, जिससे पता चलता है कि अब तक भारतीय छात्रों को जितने एफ-1 वीजा जारी किए गए हैं, उनमें इस बार का आंकड़ा सबसे निचले स्तर पर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल जनवरी से सितंबर महीने तक भारतीय छात्रों को 64,008 एफ-1 वीजा जारी किया गया, जबकि पिछले साल इन्हीं महीनों में एफ-1 वीजा का ये आंकड़ा 1,03,495 था. डेटा से पता चलता है कि साल 2022 में 93,181 वीजा, 2021 में 65,235 वीजा और महामारी से प्रभावित साल 2020 में भारतीय छात्रों को सिर्फ 6,646 एफ-1 वीजा जारी किए गए थे.

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चीनी छात्रों की संख्या में भी आई गिरावट

वैसे अमेरिका पढ़ने जाने वालों की संख्या में ये गिरावट सिर्फ भारतीय छात्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि चीनी छात्रों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है. हालांकि 2024 में चीनी छात्रों को छात्र वीजा जारी करने में मामूली 8 फीसदी की ही गिरावट आई है. इस साल जनवरी से सितंबर महीने तक चीनी छात्रों को कुल 73,781 एफ-1 छात्र वीजा जारी किए गए, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 80,603 था. वहीं, 2022 में कुल 52,034 चीनी छात्रों को एफ-1 वीजा जारी किया गया था.

वीजा के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार

इस साल एफ-1 छात्र वीजा जारी करने में गिरावट क्यों आई, इसको लेकर भारत में विदेशी शिक्षा सलाहकारों ने कुछ संभावित कारण बताए हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण तो ये है कि छात्रों को वीजा के इंटरव्यू के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है, जो छात्रों के लिए एक चिंता का विषय है. रीचआईवी डॉट कॉम की सीईओ विभा कागजी ने कहा कि इसके बावजूद अमेरिका भारतीय छात्रों की पहली पसंद बना हुआ है, लेकिन ज्यादातर छात्र विकल्प के तौर पर कनाडा, यूके और जर्मनी को भी शामिल कर लेते हैं.

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