दुनिया में जितने भी देश हैं, उनके अलग-अलग कानून हैं, जो उस देश की सभ्यता, संस्कृति, वहां के लोगों के तौर-तरीकों को देखकर बनाए गए हैं. कई कानून बेहद विचित्र हैं और जब इनके बारे में लोगों को पता चलता है तो वो हैरान हो जाते हैं. ऐसा ही एक कानून एक शहर का है, जहां पर सरकार ने लोगों के मरने पर बैन लगा दिया है. लोग जब मौत के मुहं में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें इस जगह से हटा दिया जाता है, और अगर किसी बीमारी या अन्य कारण से इंसान की मौत हो जाए, तो उसे फौरन शहर से करीब 2000 किमी दूर ले जाकर दफनाते हैं. आखिर ये जगह कहां है…चलिए आपको बताते हैं.
नार्वे का लॉन्ग इयरबेन शहर आर्किट सर्किल में बसा हुआ है. ये जगह बेहद ठंडी रहती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां का न्यूनतम तापमान -46 डिग्री तक चला जाता है और अधिकतम 3-7 डिग्री तक होता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यहां का टेंप्रेचर कितना भीषण होता है. पर इसी तापमान की वजह से ये अजीबोगरीब नियम बनाया गया है.
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1950 में बना था कानून
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे की सरकार ने साल 1950 में ये अजीबोगरीब कानून बनाया था, जिसके तहत इस क्षेत्र में कोई भी मर नहीं सकता था, ना ही मरे हुए लोगों को दफन किया जा सकता था. ऐसा करने के लिए नर्वे के मेनलैंड, जो 2000 किमी दूर है, ले जाना पड़ता था. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों नियम क्यों बनाया गया था?
इस वजह से बनाया गया ऐसा नियम
दरअसल, ज्यादा ठंड की वजह से ये इलाका हमेशा हमेशा बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है. इस वजह से यहां पर जब लाश को दफनाया जाता है, तो लाश सड़ती नहीं है, चमड़ी भी सालों साल अपने ओरिजनल फॉर्म में कायम रहती है. ऐसा रिपोर्ट्स में पाया गया कि सदियों पुराने वायरस और बैक्टीरिया उस इलाके में सुरक्षित मिले. ऐसे में इन वायरस की वजह से वहां के लोगों के लिए खतरा बढ़ सकता है. बस यही कारण है कि सरकार ने ये नियम बनाया था और लोगों की लाशों को दूर जाकर दफनाने के लिए बोला था.
