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August 5, 2025 12:45 pm

Baba Ram Rahim: जानें अब तक कितनी बार हो चुका है रिहा……’बलात्कार के दोषी बाबा राम रहीम को फिर मिली पैरोल, 40 दिन के लिए जेल से आया बाहर……

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Gurmeet Ram Rahim Gets 40-Day Parole: हरियाणा सरकार ने एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को जेल से 40 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया है. बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर मामलों में दोषी पाए गए राम रहीम अब 14 सितंबर तक जेल से बाहर रहेंगे. इस बार की रिहाई के साथ ही लोगों के बीच एक बड़ा सवाल उठने लगा है, आखिर कितनी बार बाहर आएंगे बाबा?”

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एक साल में तीन महीने जेल से बाहर

गुरमीत राम रहीम को इस साल 2025 में ही अब तक कुल 91 दिन की रिहाई मिल चुकी है. इससे पहले अप्रैल में उन्हें 21 दिन की फरलो दी गई थी और अब 40 दिन की ताजा पैरोल. यानी 1 जनवरी से 14 सितंबर तक राम रहीम लगभग तीन महीने जेल के बाहर रह चुके होंगे. यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, क्योंकि वह एक ऐसे अपराधी हैं जिन्हें 2017 में विशेष सीबीआई अदालत ने दो साध्वियों के साथ बलात्कार और पत्रकार की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था.

सिरसा आश्रम में रहेंगे बाबा**

ताजा पैरोल के नियमों के मुताबिक, राम रहीम अपने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम में ही रहेंगे. मंगलवार को उन्हें रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा किया गया और वे तुरंत सिरसा रवाना हो गए. हालांकि इस रिहाई का विस्तृत आदेश समाचार लिखे जाने तक सामने नहीं आया था.

क्या है पैरोल और फरलो का अंतर?

सामान्य भाषा में पैरोल और फरलो, दोनों ही अस्थायी रिहाई के रूप होते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य और नियम अलग होते हैं. पैरोल आमतौर पर किसी आपात स्थिति में दी जाती है जैसे – बीमार माता-पिता, शादी या अंतिम संस्कार. वहीं फरलो एक तयशुदा समय की छुट्टी होती है जो कुछ समय जेल में बिताने के बाद कैदी को कानूनी तौर पर मिलती है. राम रहीम को इन दोनों का लाभ मिल रहा है और यही वजह है कि लोग अब इस पर सवाल उठाने लगे हैं.

राम रहीम को 2017 में मिली थी सजा

गौरतलब है कि राम रहीम को अगस्त 2017 में दो साध्वियों के बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था. बाद में एक पत्रकार की हत्या में भी उन्हें सज़ा सुनाई गई. पंचकूला और आसपास के इलाकों में जब उन्हें दोषी ठहराया गया था, तब भारी हिंसा हुई थी जिसमें लगभग 40 लोगों की जान चली गई थी.

अब जब उन्हें बार-बार पैरोल दी जा रही है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कानून सभी के लिए बराबर है? क्या इतने गंभीर अपराधों में दोषी व्यक्ति को बार-बार जेल से बाहर आने की छूट मिलनी चाहिए?

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