नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश चीन इन दिनों आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश की इकॉनमी की रीढ़ माने जाने वाला रियल एस्टेट सेक्टर एक तरह से डूब गया है। चीन की जीडीपी में इसकी करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है। रियल एस्टेट के डूबने से पूरी इकॉनमी के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। इसकी भरपाई के लिए चीन ने अब दूसरा रास्ता पकड़ लिया है। चीन तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने में काम आने वाले कलपुर्जे और सोलर पैनल बना रहा है। चीन में जितनी डिमांड है, उससे दोगुना ज्यादा उत्पादन किया जा रहा है। अमेरिका समेत पूरी दुनिया के बाजारों में इस माल को खपाया जा रहा है। इसके लिए इंडस्ट्री को भारी सब्सिडी दी जा रही है। चीन की यात्रा पर पहुंची अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने भी चेतावनी दी है कि इंडस्ट्री के लिए बीजिंग की सब्सिडी दुनिया के लिए खतरा पैदा कर सकती है
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येलेन एक साल से भी कम समय में दूसरी बार चीन की यात्रा पर आई हैं। गुरुवार को वह चीन के दक्षिणी शहर ग्वांगझू पहुंचीं। उन्होंने अमेरिकी और अन्य देशों की कंपनियों को कमजोर करने वाली चीन की नीतियों पर चिंता जताई। चीन सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वीकल और बैटरियों जैसी इंडस्ट्रीज को भारी सब्सिडी दे रही है। इससे चीन से आने वाले सस्ते सामान से दुनिया के बाकी देशों की इंडस्ट्री तबाह हो सकती है। येलेन ने शुक्रवार को ग्वांगझू में एक प्रोग्राम में कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सरकारी समर्थन से चीन की इंडस्ट्री घरेलू मांग से कहीं ज्यादा माल बना रही है जो ग्लोबल मार्केट के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की आशंकाएं चीन विरोधी नीति का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि चीनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं होने से ग्लोबल इकॉनमी को खतरा हो सकता है।