जस्टिस सूर्यकांत ने आज (सोमवार, 24 नवंबर को) देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक सादे समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। जस्टिस कांत ने हिंदी में शपथ ली। उन्होंने जस्टिस बीआर गवई का स्थान लिया, जो कल (रविवार, 23 नवंबर को) अपने पद से रिटायर हो गए थे। मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे। 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की उम्र होने पर जस्टिस कांत ये पद छोड़ देंगे
CJI बनते ही जस्टिस सूर्यकांत ने तीन जजों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए केसों की लिस्टिंग के तौर-तरीकों पर सख्त नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इस बात पर घोर ऐतराज जताया कि कुछ लोग मामलों को उसी दिन मेंशन करते हैं और उसे लिस्ट करने का अनुरोध करते हैं, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा, “किसी केस को मेंशन करने और उसी दिन उसे लिस्ट करने का यह तरीका हमेशा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता। मैंने पहले ही कहा है कि मौत की सजा या अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े जरूरी मामलों को छोड़कर.. आपको मेंशनिंग के लिए सर्कुलेट करना होगा और प्रोसेस को फॉलो करना होगा।”
तत्काल सुनवाई का अनुरोध खारिज
इसके साथ ही नवनियुक्त CJI ने साफ किया कि ‘बहुत खास’ हालात को छोड़कर, अर्जेंट लिस्टिंग के लिए रिक्वेस्ट मेंशनिंग स्लिप के ज़रिए लिखकर की जानी चाहिए, न कि बोलकर। उन्होंने आगे कहा कि रजिस्ट्री पहले स्लिप और अर्जेंट होने के कारणों का पता लगाएगी, और उसके बाद ही मामला लिस्ट किया जाएगा। एक वकील ने CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस एएस चंदुरकर की बेंच के सामने एक कैंटीन गिराने से जुड़े मामले का अर्जेंट मेंशन किया था। इसी पर जस्टिस कांत ने ये सख्त टिप्पणी की और वकील के मामले की तत्काल सुनवाई के अनुरोध को खारिज कर दिया।
जब तक कोई खास हालात न हों…
लाइव लॉ के मुताबिक, जब उस वकील ने मामले में अर्जेंट होने पर जोर दिया, तो CJI ने कहा कि “जब तक कोई खास हालात न हों, जब किसी की आज़ादी शामिल हो, मौत की सज़ा वगैरह का सवाल हो, तभी मैं इसे लिस्ट करूंगा। नहीं तो, कृपया (स्लिप में) मेंशन करें, रजिस्ट्री फैसला करेगी और मामले को लिस्ट करेगी।”
हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस कांत
हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं। वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे। उन्हें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसले देने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत को पांच अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने से जुड़े फैसले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता के अधिकारों पर फैसले देने के लिए जाना जाता है।






