Explore

Search

October 15, 2025 3:50 am

चाह कर भी चीन से नहीं हो पाएगा दूर……’क्या ट्रंप के टैरिफ ने भारत के सपने को किया चकनाचूर……

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

अमेरिका अभी भी दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है. वहां के राष्ट्राध्यक्ष की पावर इतनी है कि वह पूरी दुनिया की इकोनॉमी को हिला सकता है. ऐसा ही कुछ फिलहाल अभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर भी रहे हैं.

उन्हें भारत सहित दुनिया के बाकी देशों पर भी टैरिफ का ऐसा चाबुक चलाया है कि आने वाले समय में इकोनॉमी को तगड़ा डेंट लग सकता है. ट्रंप के टैरिफ की वजह से भारत को चाइना प्लस वन की रणनीति भी फेल होती दिख रही है. क्योंकि इस घड़ी में भारत चाह कर भी चीन से नाता नहीं तोड़ सकता है. अमेरिका से होने वाले ट्रेड नुकसान के बाद चीन से रिश्ता बनाए रखना भारत के लिए जरूरी है.

भारत ने दुनिया को यह दिखाने की खूब कोशिश की कि वह चीनी कारखानों का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. इसे ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत अपनाया गया था, जिसमें कंपनियां चीन के अलावा अन्य देशों में निवेश करती हैं. लेकिन अब यह कोशिश कमजोर पड़ती दिख रही है. हाल ही में अमेरिका ने नए टैरिफ लगाए, जिसके बाद नई दिल्ली के अधिकारी और व्यापारी अभी भी इस बदले हुए माहौल को समझने की कोशिश कर रहे हैं.

एक्सपर्ट की राय……’रोजाना 21 दिनों तक स्प्राउट्स खाने से शरीर को मिलेंगे ये गजब के फायदे……

तनाव के बीच पीएम मोदी की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने हाल में मुलाकात भी है. दोनों नेता 7 साल बाद एक दूसरे मिले. इससे भारत और चीन के रिश्ते पहले से तनावपूर्ण रहे हैं उसमें कुछ नरमी आने की उम्मीद है. भारत का ‘चाइना प्लस वन’ दृष्टिकोण उसकी कारखाना शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के लिए अहम है.

खासकर प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण बढ़ाना भारत के लिए जरूरी है, ताकि युवा श्रमिकों की बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान हो सके. लेकिन, अब अमेरिका का समर्थन कम होने के चलते चीन से दूरी बनाना मुश्किल मालूम हो रहा है.

पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात
चीन से ट्रेड करना है मजबूरी?

चीन भारत में अपना ट्रेड हमेशा से बढ़ाना चाहता है. उसके लिए भारत का बाजार इनकम का एक प्रमुख जरिया है. ऐसे में यह व्यापार भारत के लिए भी उतना जरूरी होता दिखाई दे रहा है जितना चीन के लिए है. क्योंकि अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए देश को किसी दूसरी जगह ट्रेड ऑप्शन तलाशना होगा. उसमें से चाइना के मुख्य विकल्प के तौर पर प्रस्तुत हो रहा है. भारत को भी इस समय भारत को विदेशी मुद्रा की जरूरत है.

अमेरिकी टैरिफ से मचा है भूचाल

अमेरिका के नए टैरिफ ने आपूर्ति श्रृंखलाओं में उथल-पुथल मचा दी है. भारत अब अमेरिकी आयातकों के लिए उतना आकर्षक नहीं रहा. कंपनियां कम टैरिफ वाले देशों जैसे वियतनाम या मेक्सिको की ओर रुख कर सकती हैं. हाल ही में एक अमेरिकी अदालत ने टैरिफ को अमान्य कर दिया, लेकिन ट्रंप की अपील तक इसे लागू रखा गया है. इससे भारत और अमेरिका के बीच की खाई कम नहीं हुई.

Seema Reporter
Author: Seema Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर