केंद्र सरकार की ओर से 8वें वित्त आयोग को मंजूरी दिए जाने बाद से ही इसकी चर्चा खूब हो रही है. 7वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन कितनी बढ़ेगी. कितना फिटमेंट फैक्टर लागू होगा. इस पर अनुमान लगाए जा रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है नए वित्त आयोग में सैलरी को रिवाइज करने पर सरकार को तगड़ा झटका लग सकता है. केंद्र सरकार पर अतिरिक्त 1.8 लाख करोड़ का भारी बोझ पड़ सकता है.
अंबिट कैपिटल के अनुसार, नया वेतन ढांचा लागू होने से 1 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और रिटायर लोगों की कुल सैलरी में 30-34% की बढ़ोतरी हो सकती है. अगर यह बदलाव लागू होता है, तो यह 2026 या वित्तीय वर्ष 2027 से शुरू हो सकता है. इससे सरकार के खर्च में 1.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.
8वें वेतन आयोग में सैलरी बढ़ाने का सबसे बड़ा आधार होगा फिटमेंट फैक्टर. इस बार फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.46 के बीच हो सकता है. मतलब, अभी जो मिनिमम सैलरी 18,000 रुपये है, वो 1.83 फिटमेंट फैक्टर पर 32,940 रुपये और 2.46 पर 44,280 रुपये तक जा सकती है. उदाहरण के लिए, अगर किसी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है, तो वो 91,500 रुपये लोअर फिटमेंट से लेकर 1.23 लाख रुपये हायर फिटमेंट तक हो सकती है. साथ ही, डियरनेस अलाउंस (DA) को महंगाई के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा और पेंशनर्स के लिए भी पेमेंट्स अपडेट होंगे. ये बदलाव 2026 या 2027 के फाइनेंशियल ईयर से लागू हो सकते हैं.
बढ़ेगी इकोनॉमिक ग्रोथ
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 8वां वेतन आयोग इकॉनमी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और पेंशनर्स की बढ़ी सैलरी से कंजम्पशन में तेजी आएगी. लोग हेल्थकेयर, हाउसिंग और लेजर पर ज्यादा खर्च करेंगे. रिटेल, रियल एस्टेट और सर्विस सेक्टर्स को इसका बड़ा फायदा मिलेगा. लेकिन सरकार के लिए ये आसान नहीं होगा. 1.8 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ फिस्कल डेफिसिट को बढ़ा सकता है. सरकार को बैलेंस बनाना होगा ताकि इकॉनमी ग्रो करे और फाइनेंशियल स्ट्रेस भी न बढ़े.
