कॉफी, खासकर एस्प्रेसो, इटली में सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि जिंदगी का हिस्सा है. वहां सुबह की शुरुआत एक कप कॉफी के बिना अधूरी मानी जाती है. इटली में कॉफी इतनी जरूरी है कि प्रथम विश्व युद्ध से पहले इसे कानूनन जरूरी चीजों की लिस्ट में शामिल किया गया था, ताकि इसकी कीमत को नियंत्रित किया जा सके, जैसे रोटी और अन्य जरूरी सामान.
लेकिन अब इटली में हंगामा मचा हुआ है. कॉफी की कीमतें आसमान छू रही हैं और कॉफी प्रेमी खुश नहीं हैं. इटली के मशहूर कॉफी ब्रांड लवाज़ा और इल्ली के बड़े अधिकारियों का कहना है कि कॉफी बीन्स की बढ़ती कीमतें अब लंबे समय तक कम होने वाली नहीं हैं. ये समस्या सिर्फ इटली तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में कॉफी की कीमतें बढ़ रही हैं. इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन इसमें बड़ा खलनायक बनकर उभरा है.
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तेजी से बढ़ रही कॉफी की कीमत
जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ भविष्य की चिंता नहीं रहा, ये आज की हकीकत बन चुका है. कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन की वजह से वैश्विक तापमान में इजाफा हो रहा है. इससे मौसम के पैटर्न में भारी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. ये बदलाव न सिर्फ हमारे पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि खेती-बाड़ी पर भी गहरा असर डाल रहे हैं. कॉफी की खेती भी इसकी चपेट में आ चुकी है.
2024 में कॉफी की कीमतें कई सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं. पिछले साल की तुलना में कीमतों में करीब 38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक, इसका सबसे बड़ा कारण प्रमुख कॉफी उत्पादक देशों में खराब मौसम रहा.
FAO की एक रिपोर्ट में बताया गया कि दिसंबर 2024 में अरेबिका कॉफी, जो कि उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी है और ज्यादातर रोस्टेड और ग्राउंड कॉफी के लिए इस्तेमाल होती है, की कीमत पिछले साल की तुलना में 58 फीसदी बढ़ गई. वहीं, रोबस्टा कॉफी, जो मुख्य रूप से इंस्टेंट कॉफी और ब्लेंडिंग के लिए उपयोग होती है, की कीमत में 70 फीसदी का उछाल आया.
कॉफी उत्पादक देशों की मुश्किलें
कॉफी उत्पादन करने वाले देशों की हालत खराब है. वियतनाम, जो दुनिया का बड़ा कॉफी उत्पादक देश है, वहां 2023/24 सीजन में लंबे समय तक सूखे की वजह से कॉफी उत्पादन में 20 फीसदी की गिरावट आई. दूसरी तरफ, इंडोनेशिया में अप्रैल-मई 2023 में हुई भारी बारिश ने कॉफी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे वहां का उत्पादन 16.5 फीसदी कम हो गया.
ब्राजील, जो कॉफी का एक और बड़ा उत्पादक देश है, वहां भी सूखा और गर्म मौसम ने कॉफी की फसलों को प्रभावित किया. पहले अनुमान था कि 2023/24 में ब्राजील का कॉफी उत्पादन 5.5 फीसदी बढ़ेगा, लेकिन खराब मौसम की वजह से ये अनुमान बदल गया और अब 1.6 फीसदी की गिरावट की बात कही जा रही है.
कॉफी की फसल पर जलवायु की मार
कॉफी के पौधे मौसम और तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से कॉफी उत्पादक इलाकों में मौसम में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कभी तेज गर्मी, तो कभी ठंड, और कभी सूखा तो कभी मूसलाधार बारिश. ये सारी चीजें कॉफी के पौधों की ग्रोथ, फूल आने और बीन्स के विकास पर बुरा असर डाल रही हैं. नतीजा? कॉफी का उत्पादन कम हो रहा है और कीमतें बढ़ रही हैं.
खासकर सूखा और ज्यादा बारिश कॉफी की खेती के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं. सूखे की वजह से पौधों को पानी नहीं मिल पाता, जिससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है. वहीं, ज्यादा बारिश कॉफी की फलियों को खराब कर देती है. ये दोनों ही समस्याएं कॉफी उत्पादक देशों में बढ़ रही हैं, और इसका असर पूरी दुनिया में कॉफी की सप्लाई और कीमतों पर पड़ रहा है.
कॉफी प्रेमी हो रहे हैं परेशान
कॉफी की बढ़ती कीमतें सिर्फ इटली तक सीमित नहीं हैं. भारत से लेकर अमेरिका तक, हर जगह कॉफी प्रेमी परेशान हैं. कॉफी की कीमतों में ये उछाल न सिर्फ आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है, बल्कि कॉफी शॉप्स और कैफे के बिजनेस पर भी असर डाल रहा है. अगर यही हाल रहा, तो आने वाले समय में कॉफी और महंगी हो सकती है.
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई अब सिर्फ पर्यावरणविदों की जिम्मेदारी नहीं रही. ये हर उस इंसान की चिंता का विषय है, जो अपनी सुबह की कॉफी के बिना दिन की शुरुआत नहीं कर सकता. कॉफी की कीमतों में ये बढ़ोतरी न सिर्फ आर्थिक समस्या है, बल्कि ये हमें ये भी याद दिला रही है कि जलवायु परिवर्तन का असर हमारी जिंदगी के हर पहलू पर पड़ रहा है.
