3 जुलाई, 2025 – इंदौर के डेली कॉलेज जूनियर स्कूल के छात्रों ने अपने प्रमुख कार्यक्रम “इमर्स एंड इंस्पायर” के तहत जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में आयोजित दूसरे दिन की गतिविधियों में हिस्सा लिया। इस अनुभव ने छात्रों को जीवन में सस्टेनेबिलिटी को सहजता से अपनाने का तरीका दिखाया।
सेंटर की निदेशक, पदमश्री डॉ. (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन ने इस अवसर पर कहा कि सस्टेनेबिलिटी हर रोज़ की जिंदगी में आसानी से शामिल की जा सकती है। उन्होंने छात्राओं और छात्रों को सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जीरो वेस्ट जैसी अभिनव तकनीकों का परिचय कराया। कोयंबटूर से एस एस वी एम, कोल्हापुर से एस जी आई एस, मोहाली से गिल्को इंटरनेशनल और इंदौर के विभिन्न स्कूलों के छात्र उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।
एक छात्र ने बताया कि वह सामुदायिक खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाली बड़ी ऑटो-रोटेटिंग सोलर थर्मल डिश को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, “मैं एक दिन अपना सोलर किचन जरूर बनाऊंगा।” वहीं, एक अन्य छात्र ने सूर्य की ऊर्जा का प्रयोग कर कागज़ के टुकड़े पर सौर कुकर से आग जलाने का प्रयोग देखा, जिससे उसकी सूर्य की शक्ति और उपयोगिता के प्रति जिज्ञासा जागृत हुई।
छात्रों ने प्राकृतिक वायु संचालित घर की डिज़ाइन को भी देखा, जिसमें बिना किसी कृत्रिम शीतलन के आरामदायक तापमान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने जाना कि पौधों की व्यवस्था और प्राकृतिक वेंटिलेशन से ऊर्जा की खपत कम की जा सकती है। एक छात्र ने बताया कि यहां हर चीज़ का पुनः उपयोग और खाद बनाना एक नई सोच है, जिसे वह अपने घर पर भी अपनाने का विचार कर रहा है।
इस यात्रा के दौरान, 77 वर्षीय पदमश्री जनक पलटा मगिलिगन ने अपने जीवन का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने आदिवासी महिलाओं को समाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से 40 साल पहले काम शुरू किया था। उनके जीवन साथी, ब्रिटिश नागरिक, भी भारत में सस्टेनेबल डेवलपमेंट का कार्य कर रहे थे। 2011 में सड़क दुर्घटना में उनका निधन होने के बाद, उन्होंने सनावदिया में अपना घर बनाया और आज भी अपने मिशन को जारी रखे हैं।
जनक पलटा मगिलिगन ने बिना किसी आर्थिक सहयोग के लाखों लोगों को सिखाया है कि प्रकृति से सीखकर जीवन को सरल और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सकता है। उनके कार्य और जुनून से छात्र और शिक्षक सभी बहुत प्रेरित हुए हैं।
यह यात्रा न केवल शिक्षाप्रद थी, बल्कि यह युवाओं में जिम्मेदारी और जागरूकता का संचार भी कर गई। सभी छात्र और कर्मचारी नई ऊर्जा और जिज्ञासा के साथ वापस लौटे, यह संदेश देते हुए कि सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाकर हम अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।
